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नई दिल्ली6 मिनट पहले
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![सुप्रीम कोर्ट ने पानी की मात्रा मापने के लिए अपस्ट्रीम यमुना रिवर बोर्ड को जिम्मेदारी सौंपी है। - Dainik Bhaskar](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/06/06/delhi-5_1717653672.jpg)
सुप्रीम कोर्ट ने पानी की मात्रा मापने के लिए अपस्ट्रीम यमुना रिवर बोर्ड को जिम्मेदारी सौंपी है।
दिल्ली सरकार ने राज्य में जलसंकट के चलते सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी कि वह हरियाणा, हिमाचल और उत्तर प्रदेश को एक महीने एक्स्ट्रा पानी देने का निर्देश दे। कोर्ट ने 6 जून को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हिमाचल को पानी देने में कोई आपत्ति नहीं है, इसलिए वह अपस्ट्रीम से 137 क्यूसेक पानी दिल्ली के लिए छोड़े।
वहीं, हरियाणा सरकार को निर्देश दिया है कि जब पानी हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा जाए तो हरियाणा वजीराबाद तक पानी पहुंचाने में मदद करे, ताकि बिना किसी बाधा के दिल्ली के लोगों को पीने का पानी मिल सके। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से भी पानी की बर्बादी रोकने कहा है।
जस्टिस पी के मिश्रा और के वी विश्वनाथन की वेकेशन बेंच ने 7 जून से ही पानी छोड़ने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा- पानी की बर्बादी नहीं होनी चाहिए, न ही कोई राजनीति होनी चाहिए। कोर्ट ने सभी पक्षों से सोमवार 10 जून तक इस मामले पर रिपोर्ट सौंपने कहा है।
दिल्ली सरकार ने जल सकंट पर 31 मई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश को दिल्ली को एक महीने तक एक्स्ट्रा पानी छोड़ने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
कोर्ट रूम लाइव…
दिल्ली सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील रखीं। वहीं ASG विक्रमजीत बनर्जी हरियाणा सरकार की तरफ से पेश हुए।
सिंघवी: कृपया मुझे बताने दीजिए। हिमाचल को कोई आपत्ति नहीं है और हरियाणा ने कोई जवाब नहीं दिया है। हम अभी (बोर्ड की) रिपोर्ट के लिए आए हैं।
जस्टिस विश्वनाथन : मिस्टर बनर्जी यह एक अस्तित्वगत समस्या है। यह रास्ते के अधिकार के बारे में है। अगर हम इस तरह के गंभीर मुद्दे का संज्ञान नहीं लेते तो… हिमाचल 150 क्यूसेक दे रहा है, आप (हरियाणा) इसे पास होने दें।
जस्टिस मिश्रा: कल यह कहते हुए राजनीति नहीं होनी चाहिए कि हिमाचल पानी दे रहा है, लेकिन हरियाणा नहीं छोड़ रहा।
सिंघवी: हमने सिर्फ 1 महीने का समय मांगा था।
जस्टिस विश्वनाथन: यह अब बोर्ड की सिफारिश है, हम याचिका पर एक्शन लेकर नहीं बल्कि उस पर आदेश पारित कर रहे हैं।
जस्टिस मिश्रा: हिमाचल सरप्लस पानी छोड़ रहा है या नहीं, इसकी निगरानी कौन करेगा?
शादान फरासत: हरियाणा का रवैया देखिए। यह सर्वोच्च न्यायालय के काम में बाधा उत्पन्न कर रहा है। उनके पास कोई वैध कारण नहीं है।
जस्टिस विश्वनाथन: क्या जल संकट को (रिपोर्ट में) पहचाना नहीं गया है?
जस्टिस मिश्रा: वकील, अगर हम आदेश पारित करते हैं तो आपको क्या आपत्ति है?
सिंघवी: बहुत सम्मान के साथ कहना पड़ रहा है कि उनके पास जस्टिस मिश्रा के सवाल का कोई जवाब नहीं है।
जस्टिस मिश्रा: आपको बस रास्ता देना है।
3 जून की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि सभी राज्य इस बात पर सहमत हुए कि दिल्ली के नागरिकों के सामने पानी की कमी की समस्या को लेकर आपस में टकराव नहीं करेंगे। दिल्ली की समस्या का समाधान किया जाएगा।
दिल्ली में जल संकट क्यों हुआ
दिल्ली में जल संकट के दो कारण हैं- गर्मी और पड़ोसी राज्यों पर निर्भरता। दिल्ली के पास अपना कोई जल स्रोत नहीं है। पानी के लिए यह पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है। दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक इस साल दिल्ली जरूरत हर दिन 32.1 करोड़ गैलन प्रति दिन पानी की कमी से जूझ रहा है।
दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक राज्य को रोजाना 129 करोड़ गैलन पानी की जरूरत है। लेकिन गर्मियों में केवल 96.9 करोड़ गैलन प्रति दिन ही मांग पूरी हो पा रही है। यानी दिल्ली की 2.30 करोड़ आबादी को हर दिन 129 करोड़ गैलन पानी चाहिए, लेकिन उसे सिर्फ 96.9 करोड़ गैलन पानी ही मिल रहा है।
दिल्ली को पानी इन राज्यों से मिलता है
दिल्ली में पानी की जरूरत हरियाणा सरकार यमुना नदी से, उत्तर प्रदेश सरकार गंगा नदी से और पंजाब सरकार भाखरा नांगल से मिले पानी से पूरी करती है। 2023 की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली को हर दिन यमुना से 38.9 करोड़ गैलन, गंगा नदी से 25.3 करोड़ गैलन और भाखरा-नांगल से रावी-व्यास नदी से 22.1 करोड़ गैलन पानी मिलता था।
इसके अलावा कुंए, ट्यूबवेल और ग्राउंड वाटर से 9 करोड़ गैलन पानी आता था। यानी दिल्ली को हर दिन 95.3 करोड़ गैलन पानी मिलता था। 2024 के लिए यह आंकड़ा बढ़कर 96.9 करोड़ गैलन हो गया है।
जेल जाने से पहले केजरीवाल ने भी अपील की थी
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने सरेंडर करने से पहले पानी की कमी से जूझ रही दिल्ली की जनता के लिए भारतीय जनता पार्टी से अपील की थी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि BJP हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अपनी सरकारों से दिल्ली को एक महीने के लिए पानी देने के लिए कहे।