नई दिल्ली5 घंटे पहले
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24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में अपने 3 जनवरी के फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में अडाणी ग्रुप की ओर से स्टॉक प्राइस में हेरफेर के आरोपों की जांच SIT या CBI को ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया था।
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने यह याचिका खारिज की है। इस याचिका को अनामिका जायसवाल ने दायर किया था। समीक्षा याचिका में दावा किया गया था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में गलतियां और त्रुटियां थीं।
8 मई को खारिज कर दी याचिका, आदेश आज पब्लिक हुआ
समीक्षा याचिका 8 मई को खारिज कर दी गई थी, लेकिन आदेश सोमवार को सार्वजनिक किया गया। जज मौखिक सुनवाई किए बिना अपने चैंबर में समीक्षा याचिकाओं पर विचार करते हैं। जायसवाल की याचिका, फरवरी में दायर की गई थी।
2023 में अडाणी ग्रुप पर लगे थे शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप
24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए थे। केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इसके अलावा मार्केट रेगुलेटर SEBI को भी जांच करने के लिए कहा था।
3 जनवरी को कोर्ट ने कहा था- अदालत की शक्ति सीमित
कोर्ट ने कहा कि सेबी के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में दखल देने की इस अदालत की शक्ति सीमित है। सेबी ने 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी कर ली है। सॉलिसिटर जनरल के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए हम सेबी को अन्य दो मामलों में 3 महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश देते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि OCCPR की रिपोर्ट को सेबी की जांच पर संदेह के तौर पर नहीं देखा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि जांच को सेबी से SIT को ट्रांसफर करने का कोई आधार नहीं है। इन्वेस्टर और कारोबारी जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स जैसे लोगों की फंडेड ‘OCCRP’ 2006 में बनी एक इन्वेस्टिगेटिव संस्था है।
SEBI को 2 पहलुओं पर जांच करने के लिए कहा था
- क्या सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स के नियम 19 (A) का उल्लंघन हुआ?
- क्या मौजूदा कानूनों का उल्लंघन कर स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर किया गया?
19 मई 2023 को कमेटी ने सार्वजनिक की थी रिपोर्ट
वहीं सुप्रीम कोर्ट की कमेटी अडाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच रिपोर्ट 19 मई 2023 को सार्वजनिक की थी। कमेटी ने कहा था कि अडाणी के शेयरों की कीमत में कथित हेरफेर के पीछे SEBI की नाकामी थी, अभी इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता। कमेटी ने ये भी कहा था कि ग्रुप की कंपनियों में विदेशी फंडिंग पर SEBI की जांच बेनतीजा रही है।
एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट के पॉइंट…
- कमेटी ने रिपोर्ट में कहा- SEBI को संदेह है कि अडाणी ग्रुप में निवेश करने वाले 13 विदेशी फंडों के प्रमोटर्स के साथ संबंध हो सकते हैं।
- अडाणी ग्रुप के शेयरों में वॉश ट्रेड का कोई भी पैटर्न नहीं मिला है। वॉश ट्रेड यानी वॉल्यूम बढ़ाने के लिए खुद ही शेयर खरीदना और बेचना।
- कुछ संस्थाओं ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिश होने से पहले शॉर्ट पोजीशन ली थी। जब शेयर के भाव गिरे तो इसे खरीदकर मुनाफा कमाया।
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अडाणी-हिंडनबर्ग केस में सुप्रीम कोर्ट का SIT जांच से इनकार: सेबी को जांच के लिए 3 और महीने का समय दिया, अडाणी बोले- सत्यमेव जयते
अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी 3 जनवरी को सेबी को बचे हुए 2 मामलों की जांच के लिए 3 और महीने का समय दिया है। वहीं मामले की जांच को SEBI से लेकर SIT को देने से भी इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने यह फैसला सुनाया।
कोर्ट ने कहा कि सेबी के रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में दखल देने की इस अदालत की शक्ति सीमित है। सेबी ने 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी कर ली है। सॉलिसिटर जनरल के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए हम सेबी को अन्य दो मामलों में 3 महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश देते हैं। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें