सीरियल किलर ने मां से कहा था-जल्द मुझे सब जानेंगे: मशहूर होने की सनक में भोपाल-सागर में 6 दिन में 4 मर्डर

नीलेंद्र पटेल/ जितेंद्र तिवारी (भोपाल/ सागर)3 घंटे पहले

नाम- शिव गोंड उर्फ हल्कू। उम्र 19 साल। पहचान- सीरियल किलर। छह दिन में चार गार्ड्स की हत्या। तीन सागर में और एक भोपाल में। सभी का तरीका एक जैसा। सोते हुए गार्ड्स पर वार करना। शिव अब पुलिस की गिरफ्त में है। गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात भोपाल में चौकीदार की हत्या के बाद सागर पुलिस ने मोबाइल लोकेशन के आधार पर शिव को गिरफ्तार कर लिया। मोबाइल भी उसी चौकीदार का था जिसकी दो दिन पहले सागर में उसने हत्या की थी। इन सिलसिलेवार हत्याओं की वजह है- फेमस होने की चाहत।

दैनिक भास्कर ने शिव के गांव केकरा के लोगों और परिवार से बातचीत कर उसके बचपन से लेकर अब तक की पूरी कहानी जानी। पता लगाया कि कैसे उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा, कैसे पुलिस की गिरफ्त में आया? पढ़िए पूरी कहानी –

सबसे पहले सीरियल किलर को जानते हैं…
शिव 8वीं तक पढ़ा है। गांव के उप सरपंच बसंत मेहर बताते हैं कि वह बचपन में लड़ाकू प्रवृत्ति का था। स्कूल में गांव के लड़कों को छोटी-छोटी बात पर पीट देता था। उसकी गांव में किसी से दोस्ती नहीं थी। सभी से झगड़ता रहता था। 6 साल पहले 13 साल की उम्र में घर से भागकर सागर आया। ट्रेन से पुणे पहुंचा। यहां होटल में नौकरी करने लगा।

शिव बीच-बीच में एक-दो दिन के लिए गांव आता था। यहां किसी से मिलता-जुलता नहीं था। एक दिन होटल मालिक के साथ किसी बात को लेकर विवाद हो गया। शिव ने उसे इतना पीटा कि अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। शिव को बाल सुधार गृह भेज दिया गया। पिता नन्हे आदिवासी उसे छुड़ाकर लाए। इसके बाद वह गोवा चला गया। यहां वह काम करते-करते इंग्लिश बोलने-समझने लगा।

सागर के केकरा गांव में आरोपी शिव इसी घर में रहता है। वह रक्षाबंधन पर घर भी आया था।

सागर के केकरा गांव में आरोपी शिव इसी घर में रहता है। वह रक्षाबंधन पर घर भी आया था।

नौकरी के बारे में किसी को नहीं बताया
रक्षाबंधन पर वह सात-आठ दिन के लिए गांव केकरा आया था। इसके बाद कहां गया, किसी को नहीं पता। शिव के पिता नन्हे आदिवासी ने पुलिस को बताया कि उनकी फोन पर कभी बात नहीं हुई। उसने नौकरी के बारे में भी कुछ नहीं बताया।

मां सीताबाई ने बताया कि जब वह रक्षाबंधन पर घर आया था, तब स्वभाव से ऐसा नहीं लगा कि वह बेगुनाहों को मार रहा है। हां, वह इतना जरूर कहता था कि जल्द ही उसे लोग पहचानने लगेंगे। शिव सबसे छोटा बेटा है। बड़ा बेटा पुणे में मजदूरी करता है। दो बहनों की शादी हो चुकी हैं। पिता के पास एक-डेढ़ एकड़ कृषि भूमि है। उसी से उनका खर्च चलता है।

65 किलोमीटर साइकिल चला कर सागर आया
केकरा गांव से शिव साइकिल से 65 किलोमीटर का सफर तय कर सागर पहुंचा। 25 अगस्त को कोतवाली क्षेत्र के कटारा स्थित एक धर्मशाला में रूम लेकर रुका। यहां कैंट थाना क्षेत्र में 27 अगस्त की रात कारखाने में तैनात चौकीदार कल्याण लोधी (50) के सिर पर हथौड़ा मारकर हत्या कर दी। अब तक वह इन चार लोगों को मार चुका…

ऐसे आया गिरफ्त में…मोबाइल लोकेशन मिलने पर दबोचा
तीसरे गार्ड की हत्या के बाद सागर से भोपाल तक हड़कंप मच गया। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सागर एसपी तरुण नायक से बात कर सीरियल किलर को जल्द पकड़ने के निर्देश दिए। लिहाजा पुलिस चारों तरह फैल गई। मोतीनगर, सागर में गार्ड मंगल अहिरवार की हत्या के बाद 30 अगस्त को ट्रेन से शिव भोपाल आ गया। उसे पता चल गया था कि पुलिस सक्रिय हो गई है।

वह भोपाल में रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड के आसपास घूमता रहा। उसने सागर में आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज में गार्ड शंभू दयाल को मारकर उनका मोबाइल अपने पास रख लिया था। मोबाइल उसने स्विच ऑफ कर रखा था। उधर, सागर पुलिस ने भी शंभू के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर ले रखा था।

शिव ने गुरुवार रात करीब 11 बजे मोबाइल चालू किया। सागर पुलिस को लोकेशन पता चल गई। तुरंत टीम भोपाल के लिए रवाना हो गई। सागर पुलिस भोपाल पहुंचती, इससे पहले शिव ने मोबाइल बंद कर दिया। रात करीब डेढ़ बजे से पुलिस उसे बैरागढ़, कोहेफिजा, लालघाटी इलाके में खोजती रही, लेकिन वह नहीं मिला। रात करीब 3:27 बजे शिव ने एक बार फिर मोबाइल को ऑन किया। पुलिस को उसकी लोकशन लालघाटी इलाके में पता चली।

पुलिस ने तड़के 5 बजे उसे दबोच लिया। भोपाल से पुलिस उसे लेकर करीब 40 किलोमीटर दूर पहुंची ही थी कि उसने पुलिस को बताया कि थोड़ी देर पहले ही उसने भोपाल में मार्बल दुकान में एक गार्ड की हत्या कर दी है। पुलिस को उसके पास भोपाल वाले गार्ड का भी मोबाइल मिला। सागर पुलिस ने तुरंत ही भोपाल पुलिस के अधिकारियों को सूचना दी। खजूरी रोड पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। गार्ड खून से लथपथ मिला।

सीरियल किलर शिव को सागर पुलिस ने भोपाल में गिरफ्तार किया। पुलिस उसे अपने साथ ले जा रही थी, तब उसने विक्ट्री साइन भी दिखाया। उसे कोई पछतावा नहीं था।

सीरियल किलर शिव को सागर पुलिस ने भोपाल में गिरफ्तार किया। पुलिस उसे अपने साथ ले जा रही थी, तब उसने विक्ट्री साइन भी दिखाया। उसे कोई पछतावा नहीं था।

शिव ने कबूला- फेमस होने के लिए मारा
शिव ने प्रारंभिक पूछताछ में कबूला कि वह फेमस होने के लिए चौकीदारों की हत्या कर रहा था। सोते हुए लोग उसके निशाने पर थे। सुनसान इलाकों में उसे चौकीदारों के रूप में सॉफ्ट टारगेट मिले, उन्हें वह मारता गया। उसका अगला टारगेट पुलिसकर्मी थे।

10 टीम, 250 पुलिसकर्मी लगे थे तलाश में
सागर में चार दिन में तीन गार्ड्स की हत्या के बाद 5 थानों की पुलिस को अलर्ट किया गया था। 10 टीम बनाकर 250 पुलिसकर्मियों को आरोपी की तलाश में लगाया गया। सागर एसपी तरुण नायक ने इसे लीड किया। नाइट गश्त में सिविल ड्रेस में पुलिस पार्टियां शहर में तैनात की गईं। सीसीटीवी के फुटेज खंगालने के लिए टीमें लगाई गईं। वारदात स्थल के आसपास और शहर के सरकारी और निजी कैमरों के फुटेज खंगाले गए। साइबर सेल की मदद से घटना वाले क्षेत्रों में एक्टिव मोबाइल नंबरों को चेक किया। शहर के संभावित सुनसान जगह और ढाबे आदि जहां खाना मिलने की संभावना रहती है, वहां चेकिंग की।

भोपाल के चौकीदार की कहानी…घर चलाने के लिए करता था दो नौकरियां
सीरियल किलर ने गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात करीब 1.30 बजे खजूरी रोड स्थित गौरा मार्बल के गार्ड सोनू वर्मा की मार्बल के टुकड़ों से वार कर हत्या कर दी। सोनू की मौत के बाद उसकी मां और टीबी से पीड़ित बड़े भाई बेसहारा हो गए हैं। ऐसे में परिजन सरकार से हत्यारे को सख्त सजा देने और परिवार को आर्थिक सहायता देने की मांग कर कर रहे हैं।

सोनू का परिवार मूल रूप से भिंड जिले का रहने वाला है। 2005 में उनका परिवार रोजगार के लिए भोपाल आकर बस गया। भोपाल आकर उसके पिता सुरेश वर्मा ने गौरा मार्बल में चौकीदार की नौकरी शुरू कर दी।

उनके चार बेटे और एक बेटी है। सोनू उनकी चौथे नंबर की संतान था। कुछ महीने पहले ही सोनू के पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इसके बाद सोनू गौरा मार्बल में चौकीदारी करने लगा। 25 साल का सोनू पांचवीं तक ही पढ़ा था। सोनू रात में चौकीदारी करता। वह शाम 7 बजे ड्यूटी पर आता और सुबह 7 बजे घर जाता था। 12 घंटे की ड्यूटी के बाद उसे महीने के 5000 रुपए मिलते थे।

घर चलाने के लिए सोनू पानी सप्लाई करने वाले टैंकर पर पार्ट टाइम काम करता था। वहां काम करने के बाद उसे मुश्किल से 3-4 हजार रुपए मिलते थे। महीने में इस तरह दिन-रात काम करने के बाद भी वो मुश्किल से 8-9 हजार रुपए ही कमा पाता था।

चार भाइयों में एक विकलांग और एक पीड़ित
सोनू के तीन भाई और एक बहन थीं। बहन की टीबी की बीमारी के कारण मौत हो चुकी है। एक भाई अभी भी टीबी की बीमारी से जूझ रहा है। उसका इलाज भी सोनू ही करवा रहा था। सबसे बड़े भाई मंगल वर्मा पैर से विकलांग हैं। इनका पूरा परिवार सरकार द्वारा दिए गए दो कमरों के फ्लैट में रहता था।

घर में जगह कम पड़ने पर सबसे बड़ा और सबसे छोटा भाई दूसरी जगह शिफ्ट हो गए थे। वे दोनों भाई भी छोटे-मोटे काम करके मुश्किल से घर चला रहे थे। ऐसे में मां और टीबी से बीमार भाई की जिम्मेदारी सोनू के कंधों पर ही थी।

एक मई को हुई चौकीदार की हत्या में नहीं मिला सुराग
एक मई की रात पिपरिया करकट निवासी 58 साल के चौकीदार उत्तम रजक की भी हत्या सोते समय सिर पर डंडा मारकर की गई थी। इस मामले में अभी तक पुलिस के हाथ सुराग नहीं लगा है। इस मामले में सीरियल किलर शिव की संलिप्तता की पुष्टि पुलिस ने नहीं की है।

इनपुट- केसली से अनिरुद्ध दांगी

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