सिद्धरमैया ने कर्नाटक में 100% कोटा बिल पर पोस्ट हटाई: श्रम मंत्री ने कहा- यह 50% और 70% है; कई फर्म्स ने रिजर्वेशन का विरोध किया

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बेंगलुरु6 मिनट पहले

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सिद्धारमैया ने प्राइवेट नौकरियों में 100% आरक्षण वाला पोस्ट डिलीट किया। - Dainik Bhaskar

सिद्धारमैया ने प्राइवेट नौकरियों में 100% आरक्षण वाला पोस्ट डिलीट किया।

कर्नाटक में प्राइवेट कंपनियों में ग्रुप सी और डी में स्थानीय लोगों को 100% आरक्षण देने का फैसला विवादों में घिर गया है। 16 जुलाई को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने इसकी घोषणा की थी। 24 घंटे के अंदर ही उन्होंने सोशल मीडिया पर 100% कोटा बिल को लेकर की गई पोस्ट हटा ली।

CM के पोस्ट डिलीट करने पर राज्य के लेबर मिनिस्टर संतोष लाड ने बुधवार को कहा- कर्नाटक में निजी फर्मों की नौकरियों में नॉन मैनेजमेंट पोस्ट के लिए रिजर्वेशन 70% और मैनेजमेंट लेवल के स्टाफ के लिए 50% तक सीमित है।

दरअसल, सिद्धरमैया कैबिनेट ने इसके लिए नियम तैयार कर लिए हैं। बिल कैबिनेट से भी पास हो चुका है। इसे 18 जुलाई को विधानसभा में पेश किया जाएगा। हालांकि उससे पहले ही इस पर बड़े इंडस्ट्रीज ने विरोध जताया है।

CM सिद्धरमैया ने बिल को लेकर कहा- हम कन्नड़ समर्थक सरकार हैं। हमारी प्राथमिकता कन्नड़ लोगों के कल्याण का ध्यान रखना है। हमारी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ लोगों को कन्नड़ भूमि में नौकरियों से वंचित न होना पड़े और उन्हें अपनी मातृभूमि में आरामदायक जीवन जीने का अवसर दिया जाए।

कंपनियों के लिए दो शर्तें
बिल के मुताबिक, योग्य स्थानीय कैंडिडेट उपलब्ध नहीं हैं, तो कंपनियों को सरकार या उसकी एजेंसियों के सहयोग से 3 साल के अंदर उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए कदम उठाने चाहिए। हालांकि इसमें एक शर्त ये भी जोड़ी गई है कि अगर योग्य कैंडिडेट नहीं मिल रहे हैं तो कंपनियां इस नियम के प्रावधानों में छूट के लिए सरकार से आवेदन कर सकती हैं।

सरकार की नोडल एजेंसी कंपनी में काम कर रहे कर्मचारियों के रिकॉर्ड्स की जांच कर सकेगी और स्टाफ के बारे में जानकारी हासिल कर सकेगी। अगर कोई भी कंपनी इन प्रावधानों का उल्लंघन करती है तो कंपनी पर जुर्माना लगाया जा सकेगा।

कर्नाटक में 20% गैर कन्नड़ आबादी काम करती है
कर्नाटक में 20 फीसदी गैर कन्नड़ आबादी काम करती है। बेंगलुरु की कंपनियों में गैर कन्नड़ कर्मचारियों की तादाद 35 फीसदी आंकी गई है। इनमें से अधिकतर उत्तर भारत, आंध्र और महाराष्ट्र से हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, बेंगलुरु शहर की कुल आबादी का 50 फीसदी गैर कन्नड़ है। पिछले दिनों बेंगलुरु में कन्नड़ भाषा की अनिवार्यता पर लंबी बहस भी छिड़ी थी, जिसके बाद हिंदी में नाम लिखे गए साइन बोर्ड तोड़े गए थे।

स्थानीय की परिभाषा क्या है
कर्नाटक सरकार के बिल में स्थानीय को परिभाषित किया गया है। बिल के मुताबिक, स्थानीय वो है जो कर्नाटक में जन्मा हो, 15 वर्षों से राज्य में रह रहा हो, और स्पष्ट रूप से कन्नड़ बोलने, पढ़ने और लिखने में सक्षम हो।

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