सिख-विरोधी दंगा मामले में कांग्रेस नेता को अग्रिम जमानत मिली: देश से बाहर नहीं जा सकेंगे जगदीश; CBI बोली- गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं

नई दिल्ली22 मिनट पहले

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दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को सिख विरोधी दंगों के आरोपी कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को सशर्त अग्रिम जमानत दे दी। स्पेशल जज विकास ढुले ने कहा कि जगदीश कोर्ट की इजाजत के बिना देश से बाहर नहीं जा सकेंगे। साथ ही वे मामले से जुड़े सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे।

CBI ने कोर्ट में क्या दलीलें दीं
CBI ने कोर्ट में जगदीश को जमानत देने का विरोध किया। एजेंसी की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील एचएस फुल्का ने कहा कि गवाह बहुत हिम्मत दिखाकर आगे आए हैं। अगर आरोपी को जमानत मिली तो गवाहों को प्रभावित करने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।

फुल्का ने कहा कि गवाहों के बयानों के मुताबिक, मामले में जगदीश की भूमिका सामने आई है। टाइटलर ने वकीलों को लाइव टीवी पर धमकियां दी हैं। उन्होंने सिर्फ गवाहों को ही नहीं बल्कि मामले से जुड़े वकीलों को भी धमकियां दी हैं। उन्हें जमानत कतई नहीं दी जानी चाहिए।

उधर, मजिस्ट्रेट कोर्ट ने जगदीश को समन जारी कर पांच अगस्त को कोर्ट में पेश होने को कहा है। मामले में अग्रिम जमानत मिलने के बाद अब उन्हें गिरफ्तारी का खतरा नहीं है।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के थे दंगे

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे शुरू हुए।

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे शुरू हुए।

31 अक्टूबर को 1984 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे भड़के थे। CBI ने बताया कि नवंबर 1984 में दिल्ली के आजाद मार्केट में स्थित पुल बंगस गुरुद्वारा को भीड़ ने आग लगा दी थी।

पुल बंगस गुरुद्वारा के पास तीन सिख ठाकुर सिंह, बादल सिंह, गुरचरन सिंह को भीड़ ने जलाकर मार डाला था। सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए भारत सरकार ने साल 2000 में जस्टिस नानावटी कमीशन की स्थापना की गई थी।

जस्टिस नानावटी कमीशन की रिपोर्ट जारी होने के बाद तत्कालीन गृह मंत्रालय ने CBI को तत्कालीन सांसद और अन्य लोगों के खिलाफ जांच के आदेश दिए।

टाइटलर पर भीड़ को भड़काने का आरोप

दंगाइयों ने सिख व्यक्तियों की हत्या और उनकी दुकानों में आग लगाई और सामान की लूट की।

दंगाइयों ने सिख व्यक्तियों की हत्या और उनकी दुकानों में आग लगाई और सामान की लूट की।

CBI ने जांच में पाया कि जगदीश टाइटलर ने भीड़ को भड़काया और उकसाया। जिसके चलते भीड़ ने आजाद मार्केट स्थित पुल बंगस गुरुद्वारा को आग लगा दी, तीन सिख व्यक्तियों को मार दिया और उनकी दुकानों को लूटने के बाद आग लगा दी गई।

कोर्ट ने चार्जशीट के आधार पर फैसला सुरक्षित रखा
19 जुलाई को कोर्ट ने कहा कि CBI ने धारा 188 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश का उल्लंघन) जोड़ी है, इसलिए अधिकारी को CrPC की धारा 195 के तहत शिकायत दर्ज कराना आवश्यक है। कोर्ट ने CBI से कहा कि चार्जशीट को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है कि आप CrPC की धारा 195 के तहत शिकायत दर्ज कराएं या फिर धारा 188 को हटा दें।

अदालत ने CBI के काउंसल से विभाग के साथ चर्चा करें और जल्द से जल्द अदालत को सूचित करें। जज ने आगे कहा कि सप्लीमेंट्री चार्जशीट पढ़ी है। जिसमें IPC की धाराएं 153A, 148 और 188 जोड़ी गई है। 7 जुलाई को कोर्ट ने आदेश दिया कि अदालत ने जगदीश टाइटलर के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट के आधार पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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