शिकार हुए हिरणों की साधु-संत की तरह दी समाधि: टेंट लगाकर शोकसभा, हलवे-चने का भोग, ग्रामीण बोले- बच्चों की तरह पाला था, बनाएंगे स्मारक – Barmer News

बाड़मेर का लीलसर गांव…कभी 500 से 700 हिरणों से आबाद था। हिरण झुंड बनाकर बेखौफ रहते थे। गांव के लोग उन्हें बच्चों से भी ज्यादा दुलार देते थे, लेकिन शिकारियों ने सब कुछ तबाह कर दिया।

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दो दिन पहले जब एक साथ सात हिरणों के अवशेष और उनके शव देखे तो ग्रामीण भड़क गए। दो दिन तक धरने पर बैठे रहे और खुलासा हुआ कि इन हिरणों का शिकार कर इनके मांस को राजस्थान की होटलों में बेचा जा रहा था। 7 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई।

इस घटना के बाद भास्कर रिपोर्टर लीलसर गांव पहुंचा। जहां हिरणों का बेरहमी से शिकार किया गया था, वहां ग्रामीण टेंट लगाकर शोक सभा कर रहे थे। एक तरफ कड़ाही पर हलवा और चने की सब्जी बन रही थी।

पूछने पर ग्रामीणों ने बताया- जिन हिरणों का शिकार किया गया, उन्हें हम साधु-संतों की तरह अंतिम विदाई दे रहे हैं। उनके लिए समाधि बनाई जाएगी। थोड़ी ही देर में वहां मौजूद लोगों ने शिकार हुए हिरणों के लिए स्मारक बनाने की घोषणा की और चंद मिनटों में लाखों रुपए का चंदा भी पहुंच गया। पढि़ए- ये विशेष रिपोर्ट…

हिरणों के शिकार पर लोगों में आक्रोश है, शेरपुर के पास टेंट लगाकर शोकसभा रखी गई।

हिरणों के शिकार पर लोगों में आक्रोश है, शेरपुर के पास टेंट लगाकर शोकसभा रखी गई।

बाड़मेर से करीब 56 किलोमीटर दूर लीलसर गांव से महज 1 किलोमीटर दूर शेरपुरा गांव में हिरणों का शिकार किया गया था। यहीं पर लगे एक बड़े पंडाल में गांव के महंत पूर्णनाथ सहित लोगों की भीड़ इकट्ठा थी। महंत पूर्णनाथ ने बताया- धर्म के अनुसार इनकी समाधि होती है।

जैसे साधु-संतों को समाधि देते हैं, वैसे ही मृत हिरणों को उनके शिकार वाली जगह पर ही समाधि दी गई है। हिंदू धर्म के अनुसार सारे विधि-विधान कर मंत्रोच्चार के साथ इन्हें अंतिम विदाई दी गई।

इससे पहले धोरीमन्ना हॉस्पिटल में हिरणों का पोस्टमाॅर्टम करने के बाद सभी को लीलसर शेरपुरा रोड पर नाड़ी के पास लाया गया था।

हिरणों को समाधी देने के बाद प्रसादी के लिए हलवा तैयार करते ग्रामीण।

हिरणों को समाधी देने के बाद प्रसादी के लिए हलवा तैयार करते ग्रामीण।

4 हजार गांव की आबादी के लिए बनाए हलवा-चने, 10 लाख का चंदा किया
गांव के लोगों ने बताया कि हिरणों के प्रति उनका जुड़ाव काफी गहरा रहा है, इसलिए जब समाधि बनाने की बात आई तो यह निर्णय लिया गया कि लीलसर गांव की ओर से महाप्रसादी रखी जाएगी।

जैसा-सामान्य तौर पर होता है कि अंतिम संस्कार के बाद जब कोई लौटता है तो उसके लिए गांव के लोग खाना बनाते हैं। इसी तरह गांव की ओर से प्रसादी बनाई गई है। गांव की आबादी करीब 4 हजार की है। प्रसादी के लिए पूरे गांव ने चंदा किया।

जैसे ही हिरणों का स्मारक बनाने की घोषणा की गई, चंद घंटों में 10 लाख रुपए इकट्‌ठा हाे गए। ग्रामीणों ने बताया कि स्मारक के बाद विधि-विधान के साथ प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। मृत हिरणों की याद में हर साल जागरण का आयोजन भी करवाया जाएगा।

मृत हिरणों को संतों की तरह पूरे विधि-विधान से समाधि दी गई है।

मृत हिरणों को संतों की तरह पूरे विधि-विधान से समाधि दी गई है।

सैकड़ों की तादाद में हिरण थे, अब 100 के आस-पास
ग्रामीण जोगेंद्र बेनीवाल ने बताया कि यहां पर इस इलाके में दो साल पहले तक करीब 700 हिरण हुआ करते थे। गांव में करीब 200 बीघा ओरण भूमि है, जिस पर केवल वन्य जीवों का अधिकार है।

इनके संरक्षण के लिए हमने जगह-जगह हौदी बनाई थी, ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो। ग्रामीण हिरणों को बड़े दुलार के साथ रखते थे। बच्चों की तरह उनकी देखभाल होती थी। लेकिन, पता नहीं कब शिकारियों की यहां नजर पड़ गई। पिछले कोई एक दो महीने से शिकारियों ने हिरणों को शिकार बनाना शुरू कर दिया था।

ग्रामीण जोगेंद्र ने बताया कि पहले यहां 700 हिरण थे, अब महज 100 के करीब ही हिरण बचे हैं।

ग्रामीणों के मुताबिक उनके गांव के आस-पास ओरण भूमि पर पूरी तरह वन्य जीवों का अधिकार था।

ग्रामीणों के मुताबिक उनके गांव के आस-पास ओरण भूमि पर पूरी तरह वन्य जीवों का अधिकार था।

नामचीन होटलों में होती थी सप्लाई, 7 दिन का दिया अल्टीमेटम
जोंगेंद्र बेनीवाल ने बताया कि हिरणों का शिकार बड़ी संख्या में हुआ है। यह किसी छोटे-मोटे शिकारी का काम नहीं, इसके पीछे कोई बड़ी गैंग का हाथ है। कोई ढाबे वाला इतनी बड़ी संख्या में हिरणों का मांस अपने पास नहीं रख सकता है।

हमें अंदेशा है कि शहर की बड़ी-बड़ी होटलें, कंपनियों से बड़ी डील हो रखी थी, उनको ही मांस सप्लाई होता था। हमारा दोषी हिरण मारने वाले और माल खरीदने वाले दोनों हैं।

प्रशासन ने केवल शिकार करने वालों को गिरफ्तार किया है। माल किसने खरीदा है, कड़ी से कड़ी जोड़कर प्रशासन उनका पता लगाए। प्रशासन को 7 दिन का अल्टीमेटम दिया है। कार्रवाई नहीं होती है तो फिर बाड़मेर जाकर कलेक्ट्रेट का घेराव करेंगे।

अभी आधे शिकारी पकड़े हैं, बड़े मगरमच्छ गिरफ्त में नहीं आए
सरपंच हीरालाल ने बताया- हिरणों के शिकार से एक बात साफ है कि बड़े स्तर पर व्यापार हो रहा है। कोई इतनी बड़ी तादाद में मांस लोकल तो नहीं बेच सकता। होटलों में जाता है। हीरालाल का कहना है कि बड़े मगरमच्छ अभी तक गिरफ्त में नहीं आए हैं।

सरपंच हीरालाल हिरणों के शिकार को रोका जाना चाहिए। अभी तक उन लोगों को पकड़ा है घटना की है इसमें आधे लोग पकड़े है।

सरपंच हीरालाल हिरणों के शिकार को रोका जाना चाहिए। अभी तक उन लोगों को पकड़ा है घटना की है इसमें आधे लोग पकड़े है।

टॉर्च की रोशनी से करते हैं शिकार, लाठियों से करते है हमला
डीएफओ सविता दहिया ने बताया कि हिरणों के शिकार करने का तरीका ट्रेडिशनल है। पहले ये दिन में उस जगह की रेकी करते हैं, जहां सबसे ज्यादा हिरण का झुंड नजर आता है, वहां पर रात में गश्त करते हैं। रात में हिरण के सामने टॉर्च की रोशनी करते हैं। इससे हिरण वहीं बैठ जाता है।

टॉर्च की रोशनी के बाद एक शिकारी पीछे से उस पर लाठियों से हमला कर उसे मार देता है। इसके बाद हाथ-पैर बांधकर उन्हें ले जाते हैं और फिर धारदार हथियार से मांस निकाल देते हैं। डीएफओ ने बताया कि आरोपियों से हमने हथियार भी बरामद किए हैं। ऐसी जानकारी मिली है कि एक-दो आरोपियों के पास टोपीदार बंदूक है, लेकिन अभी तक बरामद नहीं हुई है।

डीएफओ का कहना है कि अब 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। कोर्ट में पेश कर 5 दिन का रिमांड मिला है। 5 को डिटेन कर पूछताछ की गई है। इसमें तीन लोगों ने स्वीकार किया है कि मांस खरीदते, पकाते और बेचते भी थे। ये भी सामने आया है कि इस गैंग में कुछ महिलाएं भी शामिल हैं, जिन्हें जल्द ही डिटेन किया जाएगा।

डीएफओ का दावा है कि जिन दुकान और होटल में सप्लाई की जाती थी, उनकी जानकारी भी वन विभाग को मिली है। ऐसी होटल को ​चिन्हित कर उन्हें तोड़ने की कार्रवाई की जाएगी।

शिकारियों के घर से जब्त किए गए हथियार, जिनसे ये हिरणों को शिकार करते थे।

शिकारियों के घर से जब्त किए गए हथियार, जिनसे ये हिरणों को शिकार करते थे।

ज्यादा शिकार धोरीमन्ना, चौहटन इलाके में
हिरण का शिकार करने वाली गैंग जिले में कितनी है, इसकी अभी तक जानकारी नहीं है। मुख्य गैंग धोरीमन्ना, चौहटन और बाड़मेर के आसपास एक्टिव है। इसमें तीन गैंग को चिन्हित किया है।

मुख्य आरोपी आईदानराम के पास गाड़ी भी है। आईदानराम शिकार के लिए शिकारियों को मौके पर छोड़कर भी आता है। लेकर भी आता है और मीट भी सप्लाई करता है। शिव इलाके में भी गैंग सक्रिय है। उनको चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी। डीएफओ ने बताया- मुख्य आरोपी हिरण मारने वाले को वजन के अनुसार 400-500 रुपए देते थे। यह 200 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेच देते थे।

गिरफ्त में हिरण शिकार के आरोपी।

गिरफ्त में हिरण शिकार के आरोपी।

डीएफओ ने बताया कि मीट खरीदने वाले लोग खरीदकर घर पर लेकर जाते हैं। इनकी महिलाएं घर पर पकाती और परोसती हैं। एक किशन नाम के व्यक्ति के घर पर दबिश देने पर उसके घर 10-12 हिरण के सींग बरामद किए हैं। महिला को पता था कि कहां पर क्या छुपा हुआ है। जांच में अगर महिलाओं की भूमिका होगी तो उनके खिलाफ भी मामला दर्ज करेंगे और जेल जाना पड़ेगा।

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बाड़मेर जिले के लीलसर गांव में बीती रात एक साथ दर्जन भर हिरणों का शिकार करने की घटना सामने आई है। घने पेड़ों के बीच शवों के मिलने पर लोगों ने वन विभाग और वन्य जीव प्रेमियों को सूचना दी। आक्रोशित ग्रामीण और वन्य जीव प्रेमियों ने मौके पर टेंट लगाकर धरने पर बैठ गए।(पूरी खबर पढ़िए)