विधवा महिला को मंदिर में जाने से रोका: मद्रास HC ने कहा- महिला की पहचान मैरिटल स्टेटस से नहीं, खत्म करनी होगी ये प्रथा

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चेन्नई41 मिनट पहले

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विधवा होने के कारण महिला ने पेरियाकरुपरायन मंदिर में पूजा के लिए पुलिस प्रोटेक्शन की मांग की है। - Dainik Bhaskar

विधवा होने के कारण महिला ने पेरियाकरुपरायन मंदिर में पूजा के लिए पुलिस प्रोटेक्शन की मांग की है।

मद्रास हाईकोर्ट ने विधवा महिलाओं के मंदिर में जाने से रोकने वाली प्रथा की कड़ी निंदा की है। कोर्ट ने कहा की कानून से चलने वाले इस सभ्य समाज में कभी ऐसा नहीं हो सकता। कोर्ट ने यह टिप्पणी थंगामणी नाम की एक महिला याचिकाकर्ता के केस पर की।

दरअसल, तमिलनाडु के इरोड जिले में 9 और 10 अगस्त को होने वाले त्योहार होना है। विधवा होने के कारण महिला ने पेरियाकरुपरायन मंदिर में पूजा के लिए पुलिस प्रोटेक्शन की मांग की है।

कोर्ट ने कहा- ये प्रथाएं महिलाओं का अपमान करती हैं
कोर्ट ने कहा कि अभी भी विधवा महिलाओं के मंदिर में जाने को अपवित्र समझा जाता है, राज्य में पुरानी मान्यता अभी भी प्रचलित हैं। यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि समाज सुधारक ऐसी बेतुकी प्रथाओं को तोड़ने की कोशिश कर रहे है, जो अभी भी राज्यों को कुछ गांवों में जारी है। ये प्रथा पुरुषों ने अपनी सुविधाओं के लिए बनाई है। ये प्रथा सिर्फ महिलाओं का अपमान करती है क्योंकि उसने अपने पति को खो दिया।

जस्टिस आनंद वेंकटेश ने कहा कि महिला का अपना एक स्टेटस है और अपनी एक पहचान है। महिला के मैरिटल स्टेटस के आधार पर उसे किसी तरह से कम नहीं आंका जा सकता ना ही अपमान किया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि सभ्य समाज में ऐसा नहीं चल सकता जहां पर कानून का शासन हो। जो भी व्यक्ति किसी विधवा को मंदिर में जाने से रोकता है ऐसे में उस पर कानून के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए।

याचिकाकर्ता बोली- पति की मौत के बाद मंदिर में नहीं मिल रही इंट्री
थंगामणी ने कोर्ट को बताया कि उनके पति मंदिर में पुजारी थे। उनके पति की मौत 28 अगस्त 2017 को हुई। अब वो अपने बेटे के साथ मंदिर में पूजा करना चाहती है। लेकिन कुछ लोग उन्हें धमकी दे रहे है और उन्हें विधवा होने के कारण मंदिर नहीं जाने दिया जा रहा है। कोर्ट ने इस मामले में कहा कि कोई इन्हें और इनके बेटे को त्योहार में शामिल होने और पूजा करने से कोई नहीं रोक सकता।

कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि पुलिस महिला और उसके बेटे को मंदिर जाने और त्योहार में शामिल होने से रोकने वालों को सूचित करें कि उन्हें न रोका जाए। फिर भी वो ऐसा करते है तो यह कानून का उल्लंघन होगा। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पुलिस यह सुनिश्चित करे की याचिकाकर्ता और उसका बेटा 9 और 10 अगस्त को होने वाले त्योहार में शामिल हो सके।

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