विज्ञापनों से जुड़े केंद्र के आदेश पर SC की रोक: सरकार ने आयुर्वेदिक-यूनानी दवाओं को नियम 170 से छूट दी थी; यह भ्रामक विज्ञापन रोकता है

दिल्ली10 मिनट पहले

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (27 अगस्त) को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के नियम 170 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इससे जुड़ा आयुष मंत्रालय का नोटिफिकेशन भी रद्द कर दिया है। नियम 170 लाइसेंसिंग अधिकारियों की मंजूरी के बिना आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी दवाओं के विज्ञापनों पर रोक लगाता है।

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने केंद्र को फटकार लगाई। कहा कि मंत्रालय का नोटिफिकेशन उसके 7 मई, 2024 के आदेश के खिलाफ है। सरकार कोर्ट के आदेश के बावजूद नियम 170 हटाने का फैसला कैसे कर सकते हैं?

नियम 170 को 2018 में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स,1945 में जोड़ा गया था। इसमें कहा गया कि आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाएं, जिस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में बन रही है, वहां की लाइसेंसिंग अथॉरिटी के अप्रूवल के बिना विज्ञापन नहीं दिया जा सकेगा।

केंद्र ने राज्यों को कंपनियों पर कार्रवाई से रोका था
नियम 170 को लेकर केंद्र की तरफ से 29 अगस्त, 2023 में एक लेटर जारी किया गया। इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स नियम, 1945 के नियम 170 के तहत कंपनियों पर कोई कार्रवाई शुरू या न करने को कहा गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को पतंजलि के भाम्रक विज्ञापन केस की सुनवाई के दौरान आयुष मंत्रालय के लेटर पर केंद्र से सवाल किया। कोर्ट ने पूछा कि आपने रूल 170 के तहत कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए क्यों कहा है?

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र ने आयुष मंत्रालय 1 जुलाई, 2024 को लेटर वापस ले लिया था। हालांकि, केंद्र ने लेटर वापस लेने के बाद एक नोटिफिकेशन जारी किया और इस नियम को पूरी तरह से हटा दिया।

कोर्ट ने ब्रॉडकास्टर्स को सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म दाखिल करने को कहा था
कोर्ट ने 7 मई को कहा कि ब्रॉडकास्टर्स को कोई भी विज्ञापन दिखाने से पहले एक सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म दाखिल करना होगा, जिसमें कहा जाएगा कि विज्ञापन नियमों का अनुपालन करते हैं। टीवी ब्रॉडकास्टर्स ब्रॉडकास्ट सर्विस पोर्टल पर घोषणा अपलोड कर सकते हैं और आदेश दिया कि प्रिंट मीडिया के लिए चार हफ्ते के भीतर एक पोर्टल स्थापित किया जाए।

कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों से जुड़ी 2022 की गाइडलाइन का भी जिक्र किया था। इसकी गाइडलाइन 13 में कहा गया है कि किसी व्यक्ति को उस प्रोडक्ट या सर्विस के बारे में पर्याप्त जानकारी या अनुभव होना चाहिए जिसे वो एंडोर्स कर रहा है। उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह भ्रामक नहीं है।

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