‘विकास दुबे जिंदा होता…तो मैं उसे नोच-नोचकर मार देती’: 4 गोलियां खाकर SO महेश ने 30 पुलिसकर्मियों को बचाया, बिकरू में 8 शहादत के बदले सिर्फ 4 नौकरी

29 मिनट पहलेलेखक: देवांशु तिवारी

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“रात के 3 बज रहे थे। बेटा ड्यूटी से वापस घर नहीं आया था। मन घबरा रहा था कि कहीं कुछ अनहोनी न हो जाए। मैंने बहू से पूछा कि क्या महेश का फोन आया। उसने न में सिर हिला दिया। अचानक मोबाइल की घंटी बजी। बहू ने फोन उठाया। दूसरी तरफ से आवाज आई, महेश जी को गोली लग गई है। आप लोग जल्द से जल्द थाने आ जाइए।”

“जिसका डर था, वही हुआ। पूरा घर थाने की तरफ भागा। वहां पहले से लोग इकट्ठा थे। हम भीड़ को हटाते हुए बीचों बीच पहुंचे। सामने देखा तो दिल धक्क से हुआ। स्ट्रेचर पर खून से लथपथ महेश की डेड बॉडी रखी हुई थी। शरीर पर 4 जगह गोलियां लगी थीं। बेटे को देख मेरे हाथ-पैर कांपने लगे। बहू रोते-रोते महेश को हिलाने लगी, बोली- उठिए…कुछ बोल क्यों नहीं रहे। लेकिन वह नहीं उठा।”

“महेश को गुजरे 3 साल हो चुके हैं। एक भी दिन ऐसा नहीं हुआ, जब उसकी याद न आई हो। उसकी वर्दी, उसकी तस्वीर, उसकी यादें…हमें हर दिन रुला देती हैं। सोचता हूं काश मैंने अपने बेटे को पुलिस की नौकरी करने भेजा ही न होता।” इतना कहते हुए देव नारायण यादव की आंखें भर आती हैं। उनके बगल में बैठी पत्नी रामदुलारी कंधे पर हाथ रखकर उन्हें संभालती हैं।

  • 3 साल पहले, 10 जुलाई को गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर हुआ, लेकिन आज हम उसकी बात नहीं करेंगे। आज उन 8 लोगों की बात, जो विकास दुबे को पकड़ने बिकरू गए, लेकिन फिर कभी वापस नहीं लौटे।

चलिए सबसे पहले आपको SO महेश यादव के घर ले चलते हैं…

SO महेश यादव की मां रामदुलारी घर में हर दिन उनके नाम का एक दीपक जलाती हैं।

SO महेश यादव की मां रामदुलारी घर में हर दिन उनके नाम का एक दीपक जलाती हैं।

रायबरेली जिले के सरेनी थाना क्षेत्र में पड़ता है बनपुरवा गांव। महेश यहीं के रहने वाले थे। साल 1994 में पुलिस विभाग में भर्ती हुई। 3 साल बाद यानी 1997 में सुमन देवी से शादी हुई। उनके 2 बच्चे (विवेक और विराट) हैं। विवेक BA फाइनल इयर में है। विराट अभी 4 साल का है। बिकरू कांड के सालभर पहले महेश की पोस्टिंग कानपुर के शिवराजपुर थाने में SO के पद पर हुई थी। तब से वह परिवार के साथ कानपुर में ही रह रहे थे।

महेश के पिता देव नारायण 2 जुलाई 2020 का किस्सा बताते हैं। कहते हैं, “जिस रात यह घटना घटी मैं शिवराजपुर में ही था। रोज की तरह महेश ड्यूटी करने थाने गया। जाते-जाते बोला था कि रात में साथ खाना खाएंगे। फिर पता चला कि CO साहब देवेंद्र मिश्रा ने उसे किसी अर्जेंट चेकिंग पर भेजा है। इसलिए उसे घर आने में देर हो जाएगी। महेश जिस चेकिंग की बात कर रहा था, वह असल में बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे के घर होने वाली दबिश थी।”

रात 12 बजे बिल्हौर, शिवराजपुर और मंधना थाने के करीब 40 पुलिसकर्मी बिकरू गांव पहुंचे। इस टीम को CO देवेंद्र और SO महेश लीड कर रहे थे। लेकिन छापेमारी की सूचना लीक होने के कारण विकास दुबे ने पहले ही अपने शूटरों के साथ गांव में जाल बिछा रखा था।

पुलिस जैसे ही विकास के दरवाजे पर पहुंची, घर की छतों पर पहले से मौजूद शूटरों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। हमला तेज होते ही SO महेश ने मोर्चा लेने की कोशिश की। टीम घर के अंदर घुसने लगी। लेकिन बदमाशों का फायर पावर इतना स्ट्रॉन्ग था कि एक-एक कर पुलिसकर्मी घायल होकर गिरने लगे।

ये वही किलेनुमा घर है, जहां जाल बिछाकर पुलिसवालों पर गोलियां चलाई गईं। दूसरी तस्वीर बिकरू कांड के सीन री-क्रेएशन के वक्त की है।

ये वही किलेनुमा घर है, जहां जाल बिछाकर पुलिसवालों पर गोलियां चलाई गईं। दूसरी तस्वीर बिकरू कांड के सीन री-क्रेएशन के वक्त की है।

‘मेरे पति को 4 गोली लगी, लेकिन उन्होंने 30 पुलिसवालों को बचाया’
विकास दुबे के घर दबिश देने वाली टीम में महेश यादव सबसे आगे थे। बदमाश लगातार पुलिस पर गोलियां चला रहे थे। तब घायल होते हुए भी महेश ने सूझबूझ दिखाई। उनकी एक कोशिश ने 30 से ज्यादा पुलिसकर्मियों की जान बचा ली।

पति महेश की तस्वीर दिखाते हुए सुमन कहती हैं, “उनके (महेश) लिए परिवार से ज्यादा ड्यूटी थी। CO साहब ये बात जानते थे, तभी उन्होंने बिकरू जाने के लिए उन्हें खासतौर पर बुलाया। उनके दोस्तों से पता चला कि उस रात विकास दुबे के लोग बेखौफ होकर गोलियां चला रहे थे। कार्रवाई के दौरान मेरे पति को 4 गोलियां लगीं। घायल हालत में किसी तरह से वह घर के एक कमरे में छिपे और वहीं से पास वाले थाने के ASP को फोन पर मुठभेड़ की सूचना दी।”

फोन पर महेश ने ASP से कहा- बदमाशों ने हम लोगों को घेर लिया है। चारों तरफ से गोलियां चल रही हैं…अब बचना मुश्किल है। आप जल्द से जल्द और फोर्स भेजिए। नहीं तो हम सब के सब मारे जाएंगे। SO महेश के इसी फोन कॉल के बाद भारी पुलिस फोर्स और अधिकारी बिकरू गांव पहुंचे। फोर्स को देख बदमाश फरार हो गए और 30 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को सुरक्षित बचाया जा सका। लेकिन मुठभेड़ में SO महेश और CO देवेंद्र सहित 8 पुलिसवालों की मौत हो गई।

SO महेश के पिता देव नारायण यादव कहते हैं, “महेश के एक साथी पुलिस वाले ने मुझे बताया कि जब विकास दुबे गोलियां चला रहा था तब कुछ पुलिस वाले डर कर भागने लगे। इस दौरान एक होमगार्ड ने महेश से कहा कि साहब अभी भी मौका है,चलिए भाग चलते हैं। लेकिन महेश ने कहा- तुम्हें जाना है तो जाओ…मैं यहीं रहूंगा।”

CM योगी ने 1 करोड़ रुपए दिए… बेटे की नौकरी मिलनी बाकी
बिकरू कांड में शहीद हुए 8 पुलिसकर्मियों के परिवारों को सहारा देने के लिए सरकार ने 3 वादे किए। पहला: एक करोड़ की आर्थिक मदद। दूसरा: परिवार के एक सदस्य को पुलिस विभाग में नौकरी। तीसरा: पुलिसकर्मियों के गांव जाने वाली सड़क उनके नाम से जानी जाएगी। बाकायदा उनके नाम का एक स्मृति द्वार भी बनाया जाएगा।

इनमें से कौन-कौन से वादे पूरे हुए? हमारे इस सवाल पर सुमन कहती हैं, “सरकार ने जो आर्थिक मदद देने की बात कही थी, उसकी पूरी रकम मिल चुकी है। लेकिन बेटे को अभी तक नौकरी नहीं मिली है।” हमने पूछा कि नौकरी न देने की वजह क्या है? इस पर वह कहती हैं कि सरकार ने SI के पद पर नौकरी देने का वादा किया था। इसके लिए ग्रेजुएशन जरूरी है। अभी बड़ा बेटा विवेक BA फाइनल इयर में है। ग्रेजुएशन पूरा करने पर हम पुलिस विभाग में नौकरी के लिए एप्लिकेशन देंगे।

ये उस दिन की तस्वीर है जब SO महेश का परिवार CM योगी से मिलने पहुंचा था।

ये उस दिन की तस्वीर है जब SO महेश का परिवार CM योगी से मिलने पहुंचा था।

परिवार का कहना है कि 3 साल बाद गांव तक जाने वाली सड़क पर शहीद महेश के नाम का बोर्ड लगाया गया है। लेकिन स्मृति द्वार अभी तक नहीं बना। हालांकि, अगर कोई बाहरी व्यक्ति गांव का पता पूछता है, तो उसे सिर्फ कहना पड़ता है कि…शहीद महेश यादव के गांव जाना है। इतना भर कहने से पता चल जाता है कि फलाने शख्स को बनपुरवा गांव जाना है।

‘विकास दुबे जिंदा होता तो मैं उसे नोच-नोचकर मार डालती’
महेश की मौत के बाद जब भी टेलीविजन या अखबारों में कुख्यात विकास दुबे की फोटो दिखती है, सुमन का खून खौल उठता है। वह परेशान हो जाती हैं। सुमन कहती हैं, “जिसने खुद 8 परिवारों को बर्बाद कर दिया, उसे जिंदा रहने का कोई हक नहीं था। ये तो अच्छा हुआ कि विकास खुद एनकाउंटर में मारा गया। अगर वह जिंदा होता तो मैं उसे नोच-नोचकर कर मार डालती।”

सुमन कहती हैं कि सिर्फ विकास दुबे ही नहीं बिकरू कांड में शामिल बेईमान पुलिसवालों को भी सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने घटना के दौरान चौबेपुर थाने में तैनात SO विनय तिवारी पर भी आरोप लगाए। महेश के परिवार ने सरकार से अपील की है कि जल्द से जल्द बिकरू कांड के सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। विनय तिवारी को फांसी मिले।

मां भूल नहीं पाई बेटे के आखिर शब्द…
75 साल की रामदुलारी हर दिन अपने बेटे के नाम का दीपक जलाती हैं। वह कहती हैं, “जिस दिन महेश खत्म हुए उस दिन भी मेरी उनसे बात हुई थी। मुझे याद है तब लॉकडाउन लगा हुआ था। मैंने महेश से कहा कि कोरोना फैल रहा है…बच्चा, ड्यूटी पर बाहर जाना तो किसी को ज्यादा छूना नहीं। मेरी बात सुनकर वह हंसने लगा, फिर बोला- अम्मा तुम हल्दी-दूध पीती रहना। बुजुर्गों को ज्यादा खतरा है।”

बेटे से आखिरी बार हुई इस बातचीत को रामदुलारी अभी तक भूल नहीं पाई हैं। वह खुद को दोष देते हुए आगे कहती हैं, “अगर पहले पता होता कि मेरा बेटा मुझे छोड़कर चला जाएगा। तो मैं कभी उसे पुलिस की नौकरी न करने भेजती।”

अब…
यहां तक आपने SO महेश यादव के परिवार की बात सुनी। आगे बिकरू कांड में जान गवांने वाले 7 अन्य पुलिसकर्मियों के बारे में जान लीजिए…

CO देवेंद्र और गैंगस्टर विकास दुबे के बीच की लड़ाई साल 1998 में शुरू हुई। देवेंद्र उस समय कल्याणपुर थाने में सिपाही और विकास दुबे बिकरू गांव का प्रधान था। एक दिन किसी बात को लेकर विकास और कल्याणपुर थाने के इंस्पेक्टर हरिमोहन यादव के बीच हाथापाई हो गई।

मारपीट इतनी बढ़ गई कि विकास ने बंदूक निकालकर इंस्पेक्टर पर गोली चला दी, फायर मिस हो गया। एक गोली देवेंद्र मिश्रा पर भी चली, लेकिन वह भी खाली चली गई। देवेंद्र ने दौड़कर विकास को पकड़ लिया। उसकी गर्दन दबाकर नीचे जमीन पर पटक दिया। इस घटना के बाद विकास को 30 पुड़िया स्मैक और बंदूक के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन कुछ ही दिनों में उसे बेल मिल गई।

22 साल पहले हुई बेइज्जती का बदला विकास दुबे ने 2-3 जुलाई 2020 को लिया। बिकरू में हुई मुठभेड़ में विकास ने सबसे पहले गोली CO देवेंद्र मिश्रा पर चलाई। गैंगस्टर ने एक के बाद एक 5 गोलियां देवेंद्र को मारी। फायर इतना तेज था कि सभी गोलियां शरीर के आर-पार निकल गईं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में देवेंद्र के शरीर में सिर्फ छेद मिले। एक भी बुलेट शरीर में नहीं थी। उनकी बॉडी पर कुल्हाड़ी से वार के भी निशान थे।

आज परिवार की हालत: देवेंद्र बांदा के रहने वाले थे। कानपुर तैनाती के दौरान वह परिवार के साथ वहीं पर रह रहे थे। घर में पत्नी और 2 बेटियां हैं। बड़ी बेटी वैष्णवी को जुलाई 2021 में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी यानी कि OSD पद पर पुलिस विभाग में नौकरी मिली है।

कानपुर की मंधना चौकी के प्रभारी अनुप कुमार सिंह भी विकास दुबे के घर दबिश देने गई टीम का हिस्सा थे। रात 12 बजे दबिश पर निकलते समय अनूप ने पत्नी नीतू सिंह को आखिरी बार फोन किया था। नीतू कहती हैं, “अनूप उस दिन बहुत खुश थे, कह रहे थे कि उन्हें 1 दिन की छुट्टी मिल गई है। आज की ड्यूटी निपटाकर कल सुबह घर आ जाएंगे। अगले दिन वह नहीं आए…बड़े भइया ने हमें उनकी मौत की खबर दी।”

आज परिवार की हालत: अनूप प्रतापगढ़ के बेलखरी उसरहा गांव के रहने वाले थे। साल 2004 में पुलिस फोर्स ज्वाइन की। 2015 में प्रमोशन के बाद दरोगा बने थे। बेटी गौरी 7वीं क्लास में और बेटा सूर्यांश 1st में हैं। 3 जुलाई 2022 को अनूप की पत्नी नीतू सिंह को लखनऊ पुलिस हेडक्वार्टर में OSD के पद पर नौकरी मिली है। परिवार अनूप की पेंशन और नीतू की नौकरी पर चल रहा है।

जब बिकरू गांव में घरों की छत से विकास दुबे और उसके शूटर्स पुलिस पर गोलियां चला रहे थे। उस समय दरोगा नेबू लाल CO देवेंद्र और SO महेश के साथ मोर्चा संभाले हुए थे। उन्होंने अपने कंधे के सहारे देवेंद्र को ऊंची बाउंड्री के दूसरी ओर फांदने में मदद की। इसी बीच 3 गोलियां उनकी कमर, पीठ और हाथ में लगीं। नेबू लाल जमीन पर गिर गए। जब तक पुलिस फोर्स उनके पास पहुंची उनकी सांसें थम चुकी थीं।

आज परिवार की हालत: नेबू लाल प्रयागराज में हंडिया के भीटी नउआन बस्ती गांव के रहने वाले थे। परिवार में पत्नी श्यामा देवी के अलावा 2 बेटे अरविंद और हिमांशु हैं। छोटा बेटा हिमांशु पिछले साल 12वीं पास किया जबकि बड़ा अरविंद BA कर रहा है। ग्रेजुएशन पूरा कर वह नौकरी के लिए पुलिस विभाग में आवेदन करेगा। श्यामा देवी को 1 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद दी गई है। उन्हें मिल रही असाधारण पेंशन से फिलहाल, घर चल रहा है।

झांसी के रहने वाले सिपाही सुलतान सिंह भी उस टीम में शामिल थे, जो गैंगस्टर विकास दुबे के घर दबिश देने पहुंची थी। मुठभेड़ के दौरान सुलतान विकास के गुर्गों के सबसे करीब पहुंच गए थे। शूटरों ने उन्हें घेर लिया, फिर एक-एक करके 5 गोलियां मारी गईं। घायल सुलतान ने वहीं पर दम तोड़ दिया।

आज परिवार की हालत: सिपाही सुलतान सिंह की पत्नी उर्मिला कहती हैं, “3 साल पूरे होने के बाद भी मुझे नौकरी नहीं मिल पाई है। पहले मुझे कहा गया कि फिजिकल और लिखित परीक्षा देने के बाद नौकरी दी जाएगी। मैंने दोनों परीक्षा दी लेकिन कुछ भी नहीं मिला।

अब मुझे कहा जा रहा है कि फिजिकल टेस्ट निकालने के बाद ही नौकरी दी जाएगी। आप बताइए…पति की शहादत के बाद मानसिक तनाव और 35 साल की उम्र में मैं कैसे फिजिकल टेस्ट निकाल लूंगी।” उर्मिला ने नौकरी के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट ने इस साल नौकरी दिलवाने का आश्वासन दिया है।

गाजियाबाद के राहुल भी विकास दुबे के घर दबीश देने पहुंचे थे। जब गैंगस्टर्स ताबड़तोड़ गोलियां चला रहे थे। तब राहुल ने चिल्लाते हुए बाकी पुलिसकर्मियों को अलर्ट कर दिया। राहुल की होशियारी के कारण बाकी पुलिस वाले जिनके पास बदूंके नहीं थी, वह गांव के दूसरे घरों में छिप गए। इससे उनकी जान बच गई। मुठभेड़ के दौरान सिपाही राहुल को 4 गोलियां लगीं।

आज परिवार की हालत: राहुल गाजियाबाद के देवेंद्रपुरी मोदीनगर के रहने वाले थे। पिता ओम कुमार सब-इंस्पेक्टर थे। साल 2018 में रिटायर हो चुके हैं। घर में 2 भाई और बहन है। राहुल की पत्नी दिव्या ने 2021 में लिखित और फिजिकल परीक्षा पास कर ली थी। इसके बाद उनका चयन दरोगा पद पर हुआ है।

आगरा के फतेहाबाद के रहने वाले सिपाही बबलू जब विकास दुबे के घर दबिश देने गए थे उस दौरान घरवाले उनकी शादी की तैयारी में जुटे थे। राहुल की शादी के लिए रिश्ता देख रहे परिवार को 3 जुलाई 2020 की सुबह मौत की खबर मिली। बिकरू गांव में हुई मुठभेड़ के दौरान बबलू को 3 गोलियां लगी थीं।

आज परिवार की हालत: सिपाही बबलू के परिवार की आर्थिक स्थिती अच्छी नहीं है। उनके पिता छोटे लाल राजमिस्‍त्री का काम करते हैं। 4 भाइयों में से बबलू तीसरे नंबर के थे। पांच बहनें भी हैं। राहुल के छोटे भाई उमेश को 23 जून 2021 को पुलिस विभाग में नौकरी मिली। उन्हें कानपुर पुलिस लाइन में पोस्टिंग दी गई है।

बिकरू कांड वाले दिन 26 साल के जितेंद्र पुलिस टीम के साथ बिकरू गांव पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों के साथ मोर्चा संभाला। गैंगस्टर्स की गोलियों का जवाब दिया। लेकिन मुठभेड़ के दौरान एक गोली उनके सीने में लग गई। वह जमीन पर गिर गए, इसके बाद शूटरों ने उन्हें घेर लिया। सभी जितेंद्र के करीब पहुंचे। उनकी सांसें चल रही थीं, ये देख शूटर्स ने 4 और गोलियां दाग दीं। जब पुलिस फोर्स गांव पहुंची, तो जितेंद्र का शव एक तखत के नीचे मिला था।

आज परिवार की हालत: सिपाही जितेंद्र मथुरा के बरारी गांव के रहने वाले थे। 2018 में यूपी पुलिस में भर्ती हुए थे। घर पर मां-पिता, 2 भाई और 1 बहन है। जितेंद्र की शहादत के बाद क्षेत्र के युवाओं में पुलिस की नौकरी करने का जुनून बढ़ा है। मथुरा की मंडी पुलिस चौकी का नाम भी सिपाही जितेंद्र के नाम पर रखा गया है।

जितेंद्र के पिता तीरथपाल सिंह कहते हैं, “2022 में दूसरे नंबर वाले बेटे जिनेंद्र को अपने दम पर पुलिस विभाग में नौकरी मिली। अभी वह अमरोहा में कांस्टेबल है। सबसे छोटा बेटा सुरेंद्र अभी BSC फाइनल इयर में है। ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद हम उसकी नौकरी के लिए विभाग में प्रार्थना पत्र भेजेंगे।”

  • बिकरू में शहीद हुए 8 परिवारों की कहानियां यहां खत्म होती हैं। विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद अपराधियों पर हो रही कार्रवाई कहां तक पहुंची। क्या अपडेट है…आइए आखिर में यह जान लेते हैं…

फिलहाल…

  • बिकरू कांड के 3 साल बाद विकास दुबे और उसके गैंग के सदस्यों, सहयोगियों सहित 91 लोगों के खिलाफ 79 मुकदमे दर्ज किए गए। इसमें 63 केस में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है।
  • जनवरी 2023 में खुशी दुबे को जमानत मिल गई। बिकरू कांड से पहले 29 जून को खुशी दुबे की विकास दुबे के भतीजे अमर से शादी हुई थी।
जेल से बाहर आते हुए खुशी दुबे।

जेल से बाहर आते हुए खुशी दुबे।

  • बिकरू कांड से जुड़े मुकदमों की सुनवाई कानपुर की स्पेशल कोर्ट में चल रही है। मुकदमों की अच्छी पैरवी करने के लिए कानपुर कमिश्नरेट ने बिकरू पैरवी सेल का भी गठन किया है।
  • सभी शहीद पुलिसवालों को 1 करोड़ की आर्थिक मदद दी जा चुकी है। 8 में से 4 परिवारों को नौकरी दी गई है। कुछ नौकरियां आश्रितों की शैक्षिक योग्यता पूरी न होने के कारण पेंडिंग हैं।
  • मामले में दोषी पाए गए 37 पुलिसवालों पर विभागीय ऐक्शन हुआ। SO विनय तिवारी और बीट चौकी इंचार्ज केके शर्मा को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। दोनों को बिकरू कांड के बाद जमानत नहीं मिली है। विनय तिवारी और दरोगा ने दबिश की मुखबिरी की थी। इसके बाद ही विकास तिवारी ने प्लानिंग से पुलिस पर हमला किया था।
  • शहीद SO महेश यादव की पत्नी सुमन ने पुलिस की मुखबिरी करने वाले SO विनय तिवारी को फांसी की सजा देने की अपील की है।

यहां तक आपने बिकरू कांड के शहीदों के बारे में पढ़ा। कुछ और ग्राउंड रिपोर्ट्स आगे दिए लिंक में पढ़ सकते हैं…

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