लॉन्ग रेंज ग्लाइड बम गौरव का पहला सफल फ्लाइट टेस्ट: 1000 Kg वजन वाला ग्लाइड बम लंबी दूरी के टारगेट को हिट करने में सक्षम

भुवनेश्वर25 मिनट पहले

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इस बम को हैदराबाद के रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) में डिजाइन किया गया और बनाया गया।  - Dainik Bhaskar

इस बम को हैदराबाद के रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) में डिजाइन किया गया और बनाया गया। 

भारत ने मंगलवार को ओडिशा के तट से लॉन्ग रेंज ग्लाइड बम (LRGB) का पहला सफल परीक्षण किया। इस बम को वायु सेना के सुखोई MK-I फाइटर जेट से लॉन्च किया गया था। रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि फलाइट टेस्ट के दौरान ग्लाइड बम ने लॉन्ग व्हीलर आइलैंड पर बनाए गए टारगेट को सटीकता से हिट किया।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि गौरव हवा में लॉन्च किया जाने वाला 1000 Kg का ग्लाइड बम है, जो लंबी दूरी के टारगेट को हिट करने में सक्षम है। लॉन्च किए जाने के बाद यह ग्लाइड बम बेहद सटीक हाइब्रिड नैविगेशन स्कीम की मदद से टारगेट की तरफ बढ़ता है। इसे हैदराबाद के रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) में डिजाइन किया गया और बनाया गया।

रक्षा मंत्री बोले- इस बम से सेना की ताकत बढ़ेगी
इस परीक्षण के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, भारतीय वायु सेना और इंडस्ट्री की सराहना की। उन्होंने इस सफल परीक्षण को स्वदेशी डिफेंस टेक्नोलजी बनाने की दिशा में बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि इससे आर्म्ड फोर्सेस की क्षमता बढ़ेगी।

मंत्रालय ने कहा कि टेस्ट लॉन्च का पूरा फ्लाइट डेटा टेलिमेट्री एंड इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम ने कैप्चर किया। इस सिस्टम को इंटीग्रेटिड टेस्ट रेंज ने पूरे तट पर डिप्लॉय किया है। फ्लाइट को DRDO के साइंटिस्ट ने मॉनिटर किया।

मंत्रालय ने कहा कि इस ग्लाइड बम को डेवलप करने और बनाने के पाटनर्स अडाणी डिफेंस और भारत फोर्ज भी टेस्ट फ्लाइट के दौरान मौजूद रहे। सेक्रेटरी डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस R&D और DRDO के चेयरमैन समीर वी कमात ने DRDO की पूरी टीम को इस सफल परीक्षण पर बधाई दी।

भारत में तैयार हो रहा 1000 km की रेंज वाला स्वदेशी कामिकेज ड्रोन

भारत ने स्वदेशी कामिकेज ड्रोन विकसित किया है। यह 25 किलोग्राम विस्फोटकों को 1000 किलोमीटर तक ले जा सकता है।

भारत ने स्वदेशी कामिकेज ड्रोन विकसित किया है। यह 25 किलोग्राम विस्फोटकों को 1000 किलोमीटर तक ले जा सकता है।

भारत स्वदेशी कामिकेज ड्रोन बना रहा है। यह ड्रोन 1,000 किलोमीटर तक उड़ान भर सकेगा। इसमें घरेलू इंजन लगाया जा रहा है। ये मानव रहित ड्रोन टारगेट पर जाकर नष्ट हो जाते हैं। नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज (NAL) ये ड्रोन बना रही है।

इस तरह के ड्रोन रूस-यूक्रेन और गाजा में इजराइल-हमास संघर्ष में इस्तेमाल हो रहे हैं। यूक्रेन ने इनका उपयोग रूस की पैदल सेना और बख्तरबंद वाहनों को टारगेट करने के लिए बड़े पैमाने पर किया है।

ड्रोन लंबे समय तक टारगेट के इलाके में उड़ सकते हैं। इनमें विस्फोटक लगा होता है। दूर बैठा कोई भी व्यक्ति इन्हें कंट्रोल कर सकता है। इन्हें झुंड में यानी कई ड्रोन एक साथ भेजे जा सकते हैं। इससे यह दुश्मन के रडार और डिफेंस से बचकर टारगेट पर हमला कर सकता है। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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