रिपोर्ट- इंडियन डिफेंस मार्केट में सलाना 14% ग्रोथ की संभावना: 2030 तक रक्षा खर्च दोगुना होगा; डिफेंस कंपनियों के शेयर की कीमतें बढ़ेंगी

नई दिल्ली7 मिनट पहले

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(फाइल फोटो) - Dainik Bhaskar

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ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म जेफरीज ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि इंडियन डिफेंस मार्केट में सलाना 14% ग्रोथ की संभावना है। वित्तीय वर्ष 2024 से 2030 के बीच देश का रक्षा खर्च दोगुना होगा। इससे रक्षा कंपनियों के शेयर की कीमतों में तेजी जारी रहेगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को अगले 5-6 सालों के दौरान डिफेंस मार्केट में करीब 10 हजार करोड़ का अवसर मिलने की उम्मीद है। ग्लोबल भू-राजनीतिक तनाव और भारत के आत्मनिर्भरता पर बढ़ता फोकस घरेलू रक्षा कंपनियों के लिए ऑर्डर फ्लो और राजस्व वृद्धि को बढ़ावा दे रहे हैं।

2024-30 के बीच निर्यात अवसर 18% से बढ़ने की उम्मीद रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कंपनियों के लिए निर्यात के अवसर वित्तीय वर्ष 24-30 में 18 प्रतिशत CAGR (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) से बढ़ने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 17-24 में भारत का रक्षा निर्यात 14 गुना बढ़कर 2.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।

जेफरीज के मुताबिक, 2030 तक भारत का रक्षा निर्यात बढ़कर 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है। सरकार ने 2029 तक रक्षा निर्यात 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर हासिल करने का लक्ष्य रखा है।

जेफरीज ने कहा- सरकार सभी देशों से अच्छे संबंध बनाने पर ध्यान दे रही जेफरीज ने अपने पूर्वानुमान में कहा कि भारत सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सभी देशों से अच्छे संबंध बनाने पर ध्यान दे रही है। उम्मीद है कि बड़े उपकरणों (पूंजीगत रक्षा) पर भारत का रक्षा खर्च पिछले 10 सालों की तरह ही हर साल लगभग 7-8 प्रतिशत बढ़ता रहेगा।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भले ही भारत वैश्विक स्तर पर रक्षा खर्च के मामले में शीर्ष तीन देशों में से एक है, लेकिन 2022 में इसका खर्च अमेरिका के खर्च का केवल 10 प्रतिशत और चीन के खर्च का 27 प्रतिशत था।

​​​​​​​भारत रक्षा उपकरणों का दूसरा सबसे बड़ा आयातक भारत रक्षा उपकरणों का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है। यह वैश्विक हथियार आयात का 9 प्रतिशत आयात करता है। भारतीय निर्यातकों के लिए, इटली, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, भूटान, इथियोपिया और सऊदी अरब सबसे आकर्षक डिफेंस डेस्टिनेशन हैं।

मीडिल ईस्ट वैश्विक हथियार आयात का 33 प्रतिशत यानी 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देता है। रिपोर्ट के अनुसार कतर और सऊदी अरब मीडिल ईस्ट आयात का 52 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं।

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