रिटायरमेंट के बाद सेबी चीफ ने नहीं ली एक्सट्रा सैलरी: ICICI बोला- रिटायरमेंटल बेनिफिट्स के अलावा कुछ नहीं लिया, कांग्रेस ने ₹16.80 करोड़ वेतन लेने का आरोप लगाया था

नई दिल्ली35 मिनट पहले

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SEBI चीफ माधवी पुरी बुच ने 31 अक्टूबर 2013 को 
ICICI बैंक से रिटायरमेंट ले लिया था। (फाइल फोटो) - Dainik Bhaskar

SEBI चीफ माधवी पुरी बुच ने 31 अक्टूबर 2013 को ICICI बैंक से रिटायरमेंट ले लिया था। (फाइल फोटो)

सेबी चीफ माधबी पुरी बुच पर कांग्रेस के आरोपों के बाद ICICI बैंक ने कहा है कि बैंक से रिटायर होने के बाद माधवी को कोई सैलरी या एम्पलॉई स्टॉक ऑप्शन नहीं दिया गया। बुच ने 31 अक्टूबर 2013 को बैक से रिटायरमेंट ले लिया था।

बैंक ने सोमवार (2 सितंबर) को रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा, ‘ICICI बैंक या इसके ग्रूप की कंपनियों ने माधबी पुरी बुच को उनकी रिटायरमेंट के बाद रिटायरमेंटल बेनिफिट्स के अलावा कोई अन्य वेतन नहीं दिया है।

आज (सोमवार, 2 सितंबर) कांग्रेस पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर माधवी पर SEBI से जुड़े होने के दौरान ICICI बैंक समेत 3 जगहों से सैलरी लेने का आरोप लगाया। इसके कुछ ही घंटे बाद बैंक की ओर से यह क्लेरिफिकेशन दिया गया है।

कांग्रेस ने कहा था- इस्तीफा दें SEBI चीफ

  • कांग्रेस प्रवक्त पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था- ‘माधबी पुरी बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक SEBI में पूर्णकालिक सदस्य थीं। फिर 2 मार्च, 2022 को माधबी पुरी बुच SEBI की चेयरपर्सन बनीं।
  • खेड़ा ने दावा किया कि माधबी पुरी बुच SEBI की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए रेगुलर इनकम ICICI बैंक से ले रही थीं, जो कि 16.80 करोड़ रुपए था। वे ICICI प्रूडेंशियल, ESOP और ESOP का TDS भी ICICI बैंक से ले रही थीं।
  • हम माधवी पूरी से जानना चाहते हैं कि आप SEBI की पूर्णकालिक सदस्य होने के बाद भी अपना वेतन ICICI से क्यों ले रही थीं? यह सीधे-सीधे SEBI के सेक्शन-54 का उल्लंघन है। अगर माधबी पुरी बुच में थोड़ी भी शर्म होगी तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
  • माधबी बुच मार्केट की रेगुलेटर हैं, SEBI की चेयरपर्सन हैं, तब भी वे ICICI बैंक से वेतन कैसे ले सकती हैं? 2017-2024 के बीच इन्होंने ICICI प्रूडेंशियल से 22,41,000 रुपए क्यों लिए? आखिर वह ICICI को क्या सेवाएं दे रही थीं?’

हिंडनबर्ग ने कहा था- अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में SEBI चीफ की हिस्सेदारी
इससे पहले, अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार (19 अगस्त) की रात 9:57 बजे एक रिपोर्ट जारी की। इसमें दावा किया गया है कि SEBI चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है। व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों के आधार पर हिंडनबर्ग ने दावा किया कि बुच और उनके पति की मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में हिस्सेदारी है।

हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में कथित तौर पर अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने अरबों डॉलर निवेश किए हैं। इस पैसे का इस्तेमाल अडाणी ग्रुप के शेयरों के दामों में तेजी लाने के लिए किया गया था। पूरी खबर पढ़ें…

जानिए SEBI और हिंडनबर्ग रिपोर्ट में इससे जुड़ा विवाद
SEBI यानी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया, भारत सरकार की संस्था है। शेयर मार्केट के निवेशकों की सुरक्षा के लिए साल 1992 में इसकी स्थापना हुई थी। जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग ने गौतम अडाणी पर अपने ग्रुप के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए ऑफशोर फंड का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। अडाणी ने आरोपों से इनकार किया, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। SEBI को मामले की जांच सौंपी गई थी।

बैकग्राउंड: रिपोर्ट को लगभग 18 महीने हो गए, SEBI ने कार्रवाई नहीं की

  • अडाणी ग्रुप पर हमारी रिपोर्ट के लगभग 18 महीने हो चुके हैं। रिपोर्ट में इस बात के पुख्ता सबूत पेश किए गए थे कि अडाणी ग्रुप कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला कर रहा था। स्वतंत्र मीडिया पड़ताल में यह बात साबित होने के बावजूद SEBI ने कार्रवाई नहीं की।
  • हमारी रिपोर्ट ने ऑफशोर, मुख्य रूप से मॉरीशस बेस्ड शेल एंटिटीज के एक जाल को उजागर किया था। जिनका इस्तेमाल संदिग्ध अरबों डॉलर के अनडिस्क्लोज्ड रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन, अनडिस्क्लोज्ड इन्वेस्टमेंट और स्टॉक मैनिपुलेशन के लिए किया गया था।
  • ‘IPE प्लस फंड’ एक छोटा ऑफशोर मॉरीशस फंड है, जिसे अडाणी डायरेक्टर ने इंडिया इंफोलाइन (IIFL) के जरिए स्थापित किया है। अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने इस स्ट्रक्चर का यूज इंडियन मार्केट्स में निवेश के लिए किया।
  • एक कॉम्प्लेक्स स्ट्रक्चर में, विनोद अडाणी नियंत्रित कंपनी ने टैक्स हेवन बरमूडा में “ग्लोबल डायनेमिक अपॉर्चुनिटीज फंड” में निवेश किया था, जिसने बाद में मॉरीशस में रजिस्टर्ड एक फंड, आईपीई प्लस फंड 1 में निवेश किया था।
  • इन आरोपों की पड़ताल का जिम्मा SEBI प्रमुख पर ही था, लेकिन इसके उलट SEBI ने 27 जून 2024 को उसे ही नोटिस दे दिया। इसके जवाब में हिंडनबर्ग ने कहा था- ‘SEBI की अडाणी को गुप्त सहायता हमारी रिपोर्ट के पब्लिश होने के लगभग तुरंत बाद शुरू हो गई थी।’

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