राष्ट्रपति बोलीं- पेंडिंग केस ज्यूडिशियरी के लिए बड़ा चैलेंज: जब रेप जैसे मामलों में तत्काल न्याय नहीं मिलता, तो लोगों का भरोसा उठ जाता है

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16 मिनट पहले

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राष्ट्रपति मुर्मू रविवार को नई दिल्ली के भारत मंडपम में नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशीयरी के वैलेडिक्टरी इवेंट में शामिल हुई थीं। - Dainik Bhaskar

राष्ट्रपति मुर्मू रविवार को नई दिल्ली के भारत मंडपम में नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशीयरी के वैलेडिक्टरी इवेंट में शामिल हुई थीं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि पेंडिंग केस और बैकलॉग न्यायपालिका के लिए बड़ा चैलेंज हैं। जब रेप जैसे मामलों में कोर्ट का फैसला एक पीढ़ी गुजर जाने के बाद आता है, तो आम आदमी को लगता है कि न्याय की प्रक्रिया में कोई संवेदनशीलता नहीं बची है।

राष्ट्रपति मुर्मू रविवार को नई दिल्ली के भारत मंडपम में नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशीयरी के वैलेडिक्टरी इवेंट में शामिल हुई थीं। यहीं पर उन्होंने यह बात कही।

इस इवेंट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और कानून एवं न्याय के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम में मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट का फ्लैग और चिह्न भी जारी किया।

राष्ट्रपति मुर्मू ने इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट का फ्लैग जारी किया।

राष्ट्रपति मुर्मू ने इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट का फ्लैग जारी किया।

मुर्मू बोलीं- न्याय की रक्षा करना सभी जजों की जिम्मेदारी
मुर्मू ने कहा कि न्यायालयों में तत्काल न्याय मिल सके इसके लिए हमें मामलों की सुनवाई को आगे बढ़ाने के कल्चर को खत्म करना होगा। इसके लिए सभी जरूरी प्रयास किए जाने चाहिए। इस देश के सारे जजों की यह जिम्मेदारी है वे न्याय की रक्षा करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि कोर्टरूम में आते ही आम आदमी का स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है। उन्होंने इसे ‘ब्लैक कोट सिंड्रोम’ का नाम दिया और सुझाव दिया कि इसकी स्टडी की जाए। उन्होंने न्यायपालिका में महिला अफसरों की बढ़ती संख्या पर खुशी भी जताई।

राष्ट्रपति ने कहा- न्याय में कितनी देरी सही है, इस पर विचार करने की जरूरत
राष्ट्रपति ने कहा कि गांव के लोग न्यायपालिका को दैवीय मानते हैं, क्योंकि उन्हें वहा न्याय मिलता है। एक कहावत है- भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। लेकिन आखिर कितनी देर? हमें इस बारे में सोचना होगा।

जब तक किसी को न्याय मिल पाता है, तब तक उनके चेहरे से मुस्कान गायब हो चुकी होती है, कई मामलों में उनकी जिंदगी तक खत्म हो जाती है। इस बारे में गहराई से विचार करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि यह हमारे सामाजिक जीवन का दुखद पहलू है कि कई मामलों में कई लोग अपराध करने के बाद भी खुलेआम घूमते रहते हैं, जबकि उनके विक्टिम डर में जीते हैं। महिलओं के लिए हालात और खराब हैं क्योंकि हमारा समाज उन्हें सपोर्ट नहीं करता है।

सुप्रीम कोर्ट का चिह्न जारी करते चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू।

सुप्रीम कोर्ट का चिह्न जारी करते चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू।

कोलकाता की घटना पर राष्ट्रपति ने कहा था- बस बहुत हुआ
27 अगस्त को राष्ट्रपति मुर्मू ने कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस को लेकर पहला बयान दिया था। उन्होंने कहा था, “मैं घटना को लेकर निराश और डरी हुई हूं। अब बहुत हो चुका। समाज को ऐसी घटनाओं को भूलने की खराब आदत है।”

राष्ट्रपति मुर्मू ने ‘विमेंस सेफ्टी: एनफ इज एनफ’ नाम से एक आर्टिकल लिखा था, जिस पर उन्होंने 27 अगस्त को PTI के एडिटर्स से चर्चा की थी। इस आर्टिकल में उन्होंने कहा था कि कोई भी सभ्य समाज अपनी बेटियों और बहनों पर इस तरह के अत्याचारों की इजाजत नहीं दे सकता। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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