राज्यसभा में भाजपा के 86, NDA के 101 सांसद: बहुमत से 12 सदस्य कम; सरकार को बिल पास कराने में हो सकती है परेशानी

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नई दिल्ली30 मिनट पहले

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राज्यसभा में NDA के पास बहुमत नहीं है, लेकिन भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। - Dainik Bhaskar

राज्यसभा में NDA के पास बहुमत नहीं है, लेकिन भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है।

संसद का बजट सत्र 23 जुलाई से शुरू हो रहा है। विपक्ष फिर से सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है। वहीं, राज्यसभा में भाजपा के पास 86 सीटें और सहयोगी दलों को मिलाकर यानी NDA के पास 101 सीटें हैं।

राज्यसभा में इस समय 226 सांसद हैं। इसमें बहुमत का आंकड़ा 113 है। NDA की बहुमत के आंकड़े से 12 सीटें कम है। इस लिहाज से देखें तो सरकार को बिल पास कराने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

NDA को 7 राज्यों से राज्यसभा सीट मिलने की उम्मीद
राज्यसभा में 19 सीटें खाली हैं। इन पर जल्द ही चुनाव होने हैं। भाजपा और सहयोगी दलों को 7 राज्यों से सीटें मिलने की उम्मीद है। NDA के गणित के मुताबिक, उन्हें बिहार, महाराष्ट्र और असम से 2-2 और हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा से 1-1 राज्यसभा सीट मिल सकती है।

माना जा रहा है कि जिन 4 लोगों को राज्यसभा में नॉमिनेट किया गया है, वे भी सरकार का समर्थन करेंगे, क्योंकि उन्हें उच्च सदन में सरकार ही लेकर आई है।

सामान्य रूप से राज्यसभा में नामित सदस्य स्वतंत्र होते हैं, लेकिन परंपरागत रूप से वे उसी का समर्थन करते हैं, जिस दल ने उन्हें नॉमिनेट किया है।

राज्यसभा में 19 सीटें खाली सीटों का गणित
राज्यसभा में जो 19 सीटें अभी खाली हैं, उनमें जम्मू-कश्मीर से 4 और नामित सदस्यों की 4 सीटें हैं। वहीं, बाकी की 11 सीटें अलग-अलग राज्यों से हैं, जिसमें असम, बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा, तेलंगाना, मध्य प्रदेश,राजस्थान और त्रिपुरा हैं। इनमें से 10 सीटें राज्यसभा सांसदों के लोकसभा चुनाव लड़ने और जीतने के कारण खाली हुई हैं।

एक सीट भारत राष्ट्र समिति (BRS) नेता के कांग्रेस में जाने से खाली हुई है। BRS नेता रहे के केशव राव कांग्रेस में शामिल हो गए। चुनाव आयोग ने अभी तक इन सीटों पर इलेक्शन की तारीखों का ऐलान नहीं किया है।

अभी 7 मनोनीत सदस्य मौजूद, ये किसी भी दल से संबद्ध नहीं
हाल ही में जो मनोनीत सदस्य राज्यसभा से रिटायर हुए, उनमें राकेश सिन्हा, राम शकल, सोनल मानसिंह और महेश जेठमलानी शामिल हैं। 7 मनोनीत सदस्यों ने किसी भी दल की सदस्यता नहीं ली हुई यानी वे असंबद्ध सदस्य हैं। केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति कुल 12 सदस्यों को राज्यसभा के लिए मनोनीत करते हैं।

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