राजस्थान में अवैध खनन से दुखी संत का आत्मदाह: 80% झुलसे बाबा विजय दास, 551 दिन से चल रहा आंदोलन खत्म

भरतपुर7 घंटे पहले

घटना भरतपुर के डीग इलाके की है। धार्मिक इलाके में अवैध खनन से नाराज साधु-संत 551 दिन से आंदोलन कर रहे थे। बुधवार को धरना खत्म हुआ।

राजस्थान में भरतपुर के पसोपा गांव में संत बाबा विजय दास ने अवैध खनन के विरोध में खुद को आग लगा ली। वे साधु-संतों के साथ पिछले 551 दिन से आंदोलन कर रहे थे। आग लगाने के बाद बाबा राधे-राधे कहते हुए दौड़ने लगे। पुलिसकर्मियों ने कंबल डालकर आग बुझाई, तब तक वे करीब 80 फीसदी जल चुके थे।

बाबा को भरतपुर के राज बहादुर मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया, शाम 4.40 बजे उन्हें जयपुर रेफर कर दिया गया। 7.15 बजे उन्हें गंभीर हालत में जयपुर के एसएमएस अस्पताल भर्ती कराया गया। बाबा के आत्मदाह के बाद राजस्थान के खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया बैकफुट पर आ गए। मंत्री ने कहा कि संत जिन खानों को बंद करने की मांग कर रहे हैं, वे लीगल हैं। फिर भी उनकी लीज शिफ्ट करने पर विचार किया जाएगा।

डेढ़ साल बाद हुआ धरना खत्म
अवैध खनन के खिलाफ साधु संत करीब डेढ़ साल से धरना दे रहे थे। बुधवार शाम 5.45 बजे पसोपा में मान मंदिर सेवा संस्थान बरसाना के कार्यकारी अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री ने धरना खत्म करने का ऐलान किया। मंत्री विश्वेंद्र सिंह की मौजूदगी में यह ऐलान किया गया। मंत्री ने 15 दिन में कनकांचल व आदिबद्री को वनक्षेत्र घोषित करने व 2 महीने में इन क्षेत्रों में चल रही सभी लीज को शिफ्ट करने का आश्वासन दिया, इसके बाद धरना खत्म कर दिया गया।

संत ने टावर पर 33 घंटे धरना दिया
सहमति बनने से पहले बुधवार को आंदोलन से जुड़े एक और संत बाबा नारायण दास 33 घंटे से टावर पर चढ़कर बैठे थे, वे दोपहर में बाबा विजयदास के आत्मदाह के प्रयास के बाद दोपहर 1.10 बजे टावर उसे उतर आए। नारायण दास मंगलवार सुबह 6 बजे से मोबाइल टावर पर चढ़े थे। वे बरसाना के रहने वाले हैं। आंदोलन को देखते हुए कमिश्नर सांवरमल वर्मा ने भरतपुर के पांच कस्बों में इंटरनेट बंद कर दिया था।

पहाड़ियों में अवैध खनन रोकने के लिए बाबा नारायण दास टावर पर चढ़ गए। पुलिस की समझाइश के बाद बुधवार दोपहर करीब 1.10 बजे वे टावर से उतर आए।

पहाड़ियों में अवैध खनन रोकने के लिए बाबा नारायण दास टावर पर चढ़ गए। पुलिस की समझाइश के बाद बुधवार दोपहर करीब 1.10 बजे वे टावर से उतर आए।

क्यों आंदोलन कर रहे थे साधु-संत?
राजस्थान के भरतपुर जिले की डीग, कामां तहसील का इलाका 84 कोस परिक्रमा मार्ग में पड़ता है। साधु-संतों का कहना है कि यह धार्मिक आस्था से जुड़ी जगह है, यहां हिंदू धर्म के लोग परिक्रमा करते हैं, इसलिए यहां वैध और अवैध, दोनों तरह के खनन बंद होने चाहिए। इसी मांग को लेकर वे 551 दिनों से आंदोलन कर रहे थे।

संत इस जगह चारों धाम मानते हैं
साधु-संतों का दावा है कि कनकांचल और आदि बद्री पर्वत धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं। आदि में भगवान बद्री के दर्शन होते हैं, जबकि कनकांचल पर्वत में कई पौराणिक अवशेष हैं। इनकी श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं। इस जगह पर चारों धाम हैं।

84 कोस परिक्रमा मार्ग उत्तर प्रदेश और राजस्थान में आता है, राजस्थान में आने वाले इलाके में खनन को लेकर साधु-संत आंदोलन कर रहे थे।

84 कोस परिक्रमा मार्ग उत्तर प्रदेश और राजस्थान में आता है, राजस्थान में आने वाले इलाके में खनन को लेकर साधु-संत आंदोलन कर रहे थे।

सरकार की रोक के बाद भी चल रहा खनन
राजस्थान सरकार ने 27 जनवरी 2005 को आदेश निकाला था कि ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग के दोनों तरफ 500 मीटर में खनन नहीं किया जाएगा। यह मार्ग भरतपुर जिले के डीग, कामां तहसीलों में पड़ता है।

सरकार का दावा था कि धार्मिक स्थलों और पहाड़ों में खनन नहीं हो रहा है। हालांकि परिक्रमा मार्ग से 500 मीटर के बाहर खनन चलता रहा। साधु-संतों का दावा है कि 500 मीटर के अंदर भी माइनिंग हो रही है और पवित्र मानी जाने वाली पहाड़ियों को नुकसान हो रहा है।

मंत्री बोले- खनन करने वाले रॉयल्टी दे रहे
संत के आत्मदाह के बाद खनन मंत्री ने कहा- पहाड़ी के आसपास 55-60 लीज दे रखी हैं। वे सब लीगल माइनिंग कर रहे हैं और उनके पास एनवायर्नमेंटल क्लियरेंस भी है। संत चाहते हैं कि वहां खनन बंद करके उस इलाके को वन क्षेत्र घोषित किया जाए।

भाया ने कहा कि इस मामले में CM की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें चर्चा हुई है। वे नियमानुसार खनन कर रहे हैं, रॉयल्टी दे रहे हैं। उन खानों की लीज कैंसिल करके दूसरी जगह लीज देने पर विचार करेंगे।

संतों ने पहले भी प्रशासन को चेतावनी दी थी
आंदोलन कर रहे साधु-संतों की अगुआई कर रहे बाबा हरिबोल ने रविवार यानी 17 जुलाई को आत्मदाह करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद पुलिस बल धरनास्थल पर पहुंच गया था। उन्होंने कहा- मेरी मृत्यु का समय अब निश्चित हो चुका है, जिसे कोई बदल नहीं सकता है। प्रशासन चाहे कितना ही पुलिस अमला लगा दे, 19 जुलाई को मेरा ब्रजभूमि की सेवा और रक्षा के लिए मरना तय है। मेरी मृत्यु की जिम्मेदार राजस्थान सरकार होगी।

इसके बाद सोमवार को साधु-संतों की पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह के साथ मीटिंग हुई थी। मंत्री के आश्वासन के बाद बाबा ने कहा था कि मीटिंग तो रोज होती है, कोई फैसला हो तो बात बने।

पिछले साल CM से मिले थे UP के पूर्व नेता प्रतिपक्ष
ब्रज क्षेत्र में अवैध खनन को लेकर आंदोलन को जब 260 दिन हो गए तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ब्रज चौरासी कोस में स्थित धार्मिक पर्वत कनकांचल और आदि बद्री को वनक्षेत्र घोषित कर खनन मुक्त करने का निर्णय लिया था। साधु संतों का आरोप है कि अवैध खनन रुक नहीं रहा है।

ब्रज क्षेत्र में खनन रोकने की मांग करते हुए अप्रैल 2021 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उत्तर प्रदेश के पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रदीप माथुर के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल मिला था। सीएम ने कहा था- नगर और पहाड़ी तहसील में हो रहा खनन रोका जाएगा। माथुर ने कहा था कि ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा के मार्ग में आने वाली पहाड़ियों को रिजर्व फॉरेस्ट घोषित किया जाए।

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