राजस्थान कुर्सी विवाद: गहलोत के सचिन पायलट को ग़द्दार कहने से राजस्थान में मचा बवाल

20 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक साथ कई मोर्चों पर लड़ रहे हैं। गुजरात जाकर वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के गली-मोहल्लों में क्यों घूम रहे हैं? क्या उन्हें हार का डर है? हो सकता है गहलोत ही सही हों और मोदी को हार का डर भी हो, लेकिन वे गली- मोहल्लों में जाकर प्रचार करें या घर- घर जाएँ, ये उनका तरीक़ा है।

आप में इच्छाशक्ति हो तो आप भी जाइए। किसने रोका है? क्यों गुजरात के शहरों में आज भी कांग्रेस दिखाई नहीं देती? शहरों में प्रचार करने से आपको किसने रोक रखा है। निश्चित रूप से पिछले गुजरात चुनाव में गहलोत ने कड़ा संघर्ष किया था। सरकार भले ही नहीं बन पाई, लेकिन कांग्रेस के लिए परिणाम उत्साहजनक आया था।

दरअसल, इस बार गहलोत के सामने कई मोर्चे खुले हुए हैं। गुरुवार को ही एक इंटरव्यू सामने आया है जिसमें गहलोत सचिन पायलट को ग़द्दार कह रहे हैं। इत्तिफ़ाक़ यह है कि इसी दिन मध्यप्रदेश में सचिन पायलट राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में दिखाई दे रहे हैं। तो क्या गहलोत इस पायलट-राहुल नज़दीकी से घबराए हुए हैं? या इसी परिप्रेक्ष्य में आलाकमान या उनके अपने राजनीतिक सूत्रों की तरफ़ से उन्हें कोई संदेश मिला है जिसमें कुर्सी को लेकर कुछ कह दिया गया है।

इंटरव्यू में गहलोत साफ़- साफ़ कह रहे हैं कि पायलट ग़द्दार हैं, उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे। ठीक है राजनीति में कोई भी इस तरह की रणनीति बना सकता है, लेकिन ऐसे वक्त जब राहुल गांधी की यात्रा राजस्थान आने वाली है, तब ऐसा बयान देने की क्या आवश्यकता है?

हो न हो, राहुल की यात्रा राजस्थान आने तक गहलोत- पायलट विवाद में पार्टी का कोई स्पष्ट निर्णय होने वाला है, क्योंकि इस तरह के अति उत्साह में तो यात्रा के दौरान गहलोत- पायलट समर्थकों के बीच संघर्ष भी हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस आख़िर किस- किस को जवाब देती फिरेगी? यही सब कुछ निगाह में रखकर कांग्रेस राजस्थान के मामले में कोई निर्णय जल्द लेने वाली है, ऐसे स्पष्ट संकेत लगातार मिल रहे हैं।

पायलट हालाँकि अभी चुप हैं, लेकिन लगता है यात्रा के पहले किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे उनकी तरफ़ से संघर्ष कर रहे हैं। यात्रा को राजस्थान में घुसने न देने की विजय बैंसला की खुली धमकी के बावजूद यात्रा का रूट न बदलने का आख़िर क्या मतलब है?

कुल मिलाकर गहलोत फ़िलहाल गुजरात के चुनाव प्रचार और राजस्थान के कुर्सी बचाओ अभियान, दोनों में एक साथ जुटे हुए हैं, इसलिए वे गुजरात में उस तरह दिखाई नहीं दे रहे हैं, जैसे पिछले चुनाव में यहाँ दिखाई दिए थे। ख़ैर राजस्थान के बारे में कांग्रेस के किसी निर्णय पर पहुँचने के लिए अभी दस-पंद्रह दिन का वक्त है। राहुल गांधी की यात्रा फ़िलहाल तो मध्यप्रदेश में सहानुभूति बटोर रही है।

खबरें और भी हैं…