मोहन भागवत बोले- यह सनातन धर्म के उदय का समय: लोगों को वैदिक जीवन अपनाना चाहिए; दुनिया का नजरिया भी इनके प्रति बदल रहा

नई दिल्ली1 मिनट पहले

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भागवत ने ये बातें नई दिल्ली में चारों वेदों के वेद भाष्य के तीसरे संस्करण के विमोचन के दौरान कहीं। - Dainik Bhaskar

भागवत ने ये बातें नई दिल्ली में चारों वेदों के वेद भाष्य के तीसरे संस्करण के विमोचन के दौरान कहीं।

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि सनातन धर्म के उदय का वक्त आ चुका है और यही समय है जब लोगों को वैदिक जीवन अपना लेना चाहिए। दुनिया का दृष्टिकोण भी सनातन धर्म और वैदिक जीवन प्रति बदल रहा है। भागवत ने ये बातें नई दिल्ली में चारों वेदों के वेद भाष्य के तीसरे संस्करण के विमोचन के दौरान कहीं।

उन्होंने कहा कि धर्म जीवन की नींव है और इसके कई अर्थ हैं। इसलिए जो कर्तव्य हमें जीवन को व्यवस्थित रखने के लिए करने चाहिए, उन्हें भी धर्म कहा जाता है। जैसे राजा का धर्म, पुत्र का धर्म। जीवन को सही ढंग से से चलाने और एक साथ रहने के लिए हमें एक-दूसरे की प्रकृति को समझकर व्यवहार करना चाहिए। इसलिए प्रकृति को भी धर्म कहा जाता है। हालांकि धर्म का ज्ञान वेदों से आता है क्योंकि वेद सत्य पर आधारित हैं।

भागवत बोले- वेद और भारत अलग नहीं हैं भागवत ने कहा कि वेदों पर बोलना मेरा अधिकार नहीं है। वेद और भारत अलग नहीं हैं। वेदों में ज्ञान है और यह ज्ञान भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार का है। हम जानते हैं कि वेद लिखे नहीं गए, वे सोचे नहीं गए, बल्कि देखे गए थे।

उन्होंने कहा कि कृष्ण मंत्र-दृष्टा थे और उन्होंने यह सब देखा। पूरी दुनिया मानती है कि सभी धर्मों में परंपराएं हैं। विज्ञान भी इस बात को स्वीकार करता है कि सृष्टि का पहला रूप ध्वनि था। बाइबिल में भी कहा गया है कि पहला शब्द ईश्वर था। पूरी दुनिया इन ध्वनियों से बनी है, जिसे परंपरा में शब्देश्वर कहा जाता है, जिसका मतलब है कि उन्होंने ध्वनियों को खुद देखा।

अलवर में भागवत बोले- हिंदू देश के कर्ताधर्ता चार दिन पहले मोहन भागवत ने राजस्थान के अलवर में कहा था- देश में कुछ अच्छा होता है तो हिंदू समाज की कीर्ति बढ़ती है। कुछ गड़बड़ होता है तो हिंदू समाज पर आता है, क्योंकि वही इस देश के कर्ताधर्ता हैं।

उन्होंने हिंदू धर्म की परिभाषा बताते हुए कहा- जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं, यह वास्तव में मानव धर्म है। विश्व धर्म है और सबके कल्याण की कामना लेकर चलता है। उन्होंने पारिवारिक संस्कारों को लेकर भी चिंता जताई। कहा- देश में परिवार के संस्कारों को खतरा है। मीडिया के दुरुपयोग से नई पीढ़ी बहुत तेजी से अपने संस्कार भूल रही है। यह चिंता का विषय है।