मिजोरम में घुसे म्यांमार से भागे 600 सैनिक: राज्य सरकार ने केंद्र के सामने उठाया मामला, कहा- म्यांमार सेना के जवानों को जल्द वापस भेजें

6 मिनट पहले

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म्यांमार आर्मी के जवानों की फोटो। पड़ोसी देश म्यांमार में लंबे समय से सेना और विद्रोही गुटों के बीच संघर्ष जारी है। - Dainik Bhaskar

म्यांमार आर्मी के जवानों की फोटो। पड़ोसी देश म्यांमार में लंबे समय से सेना और विद्रोही गुटों के बीच संघर्ष जारी है।

म्यांमार में बढ़ती विद्रोही ताकतों और सेना के बीच लड़ाई तेज हो रही है। इस बीच मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि म्यांमार के 600 सैनिक वहां से भागकर भारत आ गए हैं। मिजोरम सरकार ने इस बारे में केंद्र सरकार से बात की है। साथ ही जल्द यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि पड़ोसी देश के सैनिकों को वापस भेजा जाए।

रिपोर्ट्स के मुताबिक म्यांमार से भागे सैनिकों ने मिजोरम के लांग्टलाई जिले के तुईसेंटलांग में असम राइफल्स के पास शरण ले रखी है। सरकारी सूत्रों को सैनिकों ने बताया कि पश्चिमी म्यांमार राज्य के रकाइन में एक जातीय सशस्त्र समूह अराकन आर्मी (AA) के उग्रवादियों ने उनके शिविरों पर कब्जा कर लिया जिसके बाद वो भागकर भारत आ गए।

तस्वीर लांग्टलाई जिले के बॉन्डुकबंगसोरा गांव में बैठे म्यांमार सैनिकों की है।

तस्वीर लांग्टलाई जिले के बॉन्डुकबंगसोरा गांव में बैठे म्यांमार सैनिकों की है।

मिजोरम के CM ने गृह मंत्री अमित शाह से बात की
मिजोरम के हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने शिलांग में हुई एक बैठक में गृह मंत्री अमित शाह से इस मुद्दे पर बातचीत की। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मिजोरम ने राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार सेना के जवानों की जल्द वापसी की जरूरत पर जोर दिया।

CM लालदुहोमा ने कहा- लोग शरण लेने के लिए म्यांमार से भागकर हमारे देश आ रहे हैं और हम इंसानी तौर पर उनकी मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि म्यांमार के सैनिक आते रहते हैं और शरण मांगते हैं। पहले हमने करीब 450 सैनिकों को हवाई मार्ग से वापस भेजा था।

अराकन आर्मी म्यांमार में सबसे शक्तिशाली जातीय सशस्त्र समूह
बीते एक दशक में अराकन आर्मी म्यांमार में सबसे शक्तिशाली जातीय सशस्त्र समूह बनी है। मिजोरम और म्यांमार के चिन प्रांत के बीच 510 किलोमीटर लंबी सीमा है।

म्यांमार शरणार्थी भारतीय बॉर्डर कैसे आसानी से पार कर लेते हैं
यंग मिजो एसोसिएशन के सचिव लालनुन्तलुआंगा कहते हैं कि भारत और म्यांमार की सीमा से इधर-उधर जाना आसान है। बॉर्डर के दोनों तरफ 25 किलोमीटर तक जाने की छूट तक है। ऐसे में म्यांमार से लोग आसानी से भारत पहुंच जाते हैं।

आइजॉल के गवर्नमेंट जॉनसन कॉलेज में प्रोफेसर डेविड लालरिनछाना का कहना है कि म्यांमार के चिन और मिजोरम के मिजो लोगों के बीच अच्छे रिश्ते हैं। ये अपने को एक-दूसरे के पूर्वज मानते हैं। यहीं वजह है कि चिन विस्थापितों लोगों को मिजोरम में सहयोग मिलता है।

म्यांमार में तख्तापलट के बाद सेना ने इमरजेंसी की घोषणा की
फरवरी 2021 में म्यांमार में सेना ने लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर सस्ता पर कब्जा कर लिया। वहां की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन मिंट समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था।

इसके बाद मिलिट्री लीडर जनरल मिन आंग हलिंग ने खुद को देश का प्रधानमंत्री घोषित कर दिया था। सेना ने देश में 2 साल के आपातकाल की घोषणा की थी। इसके बाद से म्यांमार में गृह युद्ध चल रहा है, जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं। मिजोरम पुलिस के मुताबिक, बीते कुछ महीनों से भारत-म्यांमार सीमा के आसपास गतिविधियां बढ़ी हैं। हजारों की संख्या में म्यांमारी लोग भारतीय सीमा में प्रवेश कर रहे हैं।

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अपनी ताकत के विस्तार करने में जुटा चीन अपने पड़ोसी देशों की आंतरिक अशांति का भी फायदा उठा रहा है। फरवरी 2021 में जब म्यांमार की सेना ने चुनी हुई सरकार को हटाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया, तो चीन ने इसे ‘बड़ा कैबिनेट फेरबदल’ कहा था। पढ़ें पूरी खबर…