मणिपुर में सुरक्षाबलों ने अब तक 1195 हथियार बरामद किए: पुलिस कंट्रोल रूम ने बताया- घाटी से ही नहीं, पहाड़ी इलाकों से भी लूटे गए गोला-बारूद

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इंफाल7 मिनट पहले

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मणिपुर हिंसा में मारे गए कुकी-जोमी लोगों के सामूहिक अंतिम संस्कार के खिलाफ लोगों ने गुरुवार को प्रदर्शन किया, जिसके बाद पैरामिलिट्री जवान ने भीड़ हटाने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। - Dainik Bhaskar

मणिपुर हिंसा में मारे गए कुकी-जोमी लोगों के सामूहिक अंतिम संस्कार के खिलाफ लोगों ने गुरुवार को प्रदर्शन किया, जिसके बाद पैरामिलिट्री जवान ने भीड़ हटाने के लिए आंसू गैस के गोले दागे।

मणिपुर में पुलिस कंट्रोल रूम ने शनिवार को बताया कि राज्य में सिर्फ घाटी के पुलिस स्टेशन से नहीं, बल्कि पहाड़ी जिलों से भी लूटे गए थे। सुरक्षा बल इन हथियारों को रिकवर करने के लिए लगातार पहाड़ी और घाटी इलाकों में तलाशी कर रहे हैं।

अब तक पहाड़ी जिलों से 138 हथियार और 121 गोला-बारूद बरामद हुए हैं, जबकि घाटी के जिलों से 1057 हथियार और 14,201 गोला-बारूद बरामद हुए हैं। पुलिस कंट्रोल रूम के मुताबिक, 3 अगस्त की घटना में सुरक्षाबल 15 हथियार रिकवर किए गए थे।

कंट्रोल रूम ने यह भी बताया कि 5 अगस्त को भी इंफाल वेस्ट के टोउपोकपी पुलिस स्टेशन में वेपन स्नैचिंग की कोशिश हुई, लेकिन पुलिस ने छीने गए चारों वेपन बरामद कर लिए। इस दौरान एक शख्स को गिरफ्तार किया गया और अपराधियों ने जिस कार का इस्तेमाल किया था, उसे भी रिकवर कर लिया गया।

वहीं, 5 अगस्त की शाम को मुंगचामकोम इलाके में सुरक्षाबलों और मिलिटेंट्स के बीच गनफाइट हुई, इसमें एक नॉन-सू संगठन का कैडर एक एसएलआर, एक मैगजीन और 50 राउंड एम्युनिशन के साथ पकड़ा गया।

मणिपुर में 5 अगस्त को सुरक्षाबलों के साथ झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई।

मणिपुर में 5 अगस्त को सुरक्षाबलों के साथ झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई।

शनिवार की झड़प में तीन लोगों की मौत हुई
शनिवार को मणिपुर में सुरक्षाबलों और मैतेई समुदाय के बीच झड़प हुई। इस दौरान तीन लोगों की मौत हो गई। ये हिंसक झड़प टेराखोंगसांगबी कांगवे और थोरबुंग में हुई। यह इलाका कुकी-मैतेई के बीच का बॉर्डर है, जो बफर जोन कहलाता है।

मृतकों की पहचान युमनम जितेन मैतेई (46), युमनम पिशाक मैतेई (67) और युमनम प्रेमकुमार मैतेई (39) के रूप में की गई है, जो सभी क्वाक्टा लामल्हाई के रहने वाले हैं। हमलावर बफर जोन क्रॉस करने की कोशिश कर रहे थे। सुरक्षाबलों ने जब रोका तो इनके बीच झड़प हो गई। इस दौरान फायरिंग भी की गई। सुरक्षाबलों को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। पूरी खबर यहां पढ़ें…

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।