मणिपुर में पहली बार मीडियम मशीन गन का इस्तेमाल होगा: ड्रोन अटैक रोके जाएंगे; 3 दिन में दो हमले; 2 की मौत, 11 घायल हुए थे

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इंफाल5 मिनट पहले

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सेजम चिरांग गांव के मैतेई रहवासी ने 2 सितंबर की शाम अपने घर पर हुए हमले के बाद वीडियो बनाकर शेयर किया था। - Dainik Bhaskar

सेजम चिरांग गांव के मैतेई रहवासी ने 2 सितंबर की शाम अपने घर पर हुए हमले के बाद वीडियो बनाकर शेयर किया था।

केंद्र सरकार ने पहली बार मणिपुर में एंटी ड्रोन मीडियम मशीन गन के इस्तेमाल की मंजूरी दी है। यह फैसला 1-3 सितंबर के बीच राज्य में दो ड्रोन हमलों के बाद लिया गया।

मणिपुर में इंफाल जिले के सेजम चिरांग गांव में 3 सितंबर की शाम उग्रवादियों ने ड्रोन अटैक किए थे। जिसमें में एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए थे। वहीं 1 सितंबर को सेजम चिरांग गांव में भी ड्रोन से हमला किया गया था। जिसमें दो की मौत और 9 घायल हुए थे।

ये आशंका जताई जा रही है कि कुकी उग्रवादियों को ड्रोन वॉरफेयर के लिए म्यांमार से टेक्निकल सपोर्ट और ट्रेनिंग मिल रही है, या वे सीधे तौर पर इसमें शामिल हैं।

मणिपुर सरकार ने इन ड्रोन अटैक की जांच करने के लिए हाई लेवल कमेटी का गठन किया था।

पीड़ित परिवारों ने हमले के बाद अपने घरों में हुए नुकसान का वीडियो बनाकर शेयर किया था।

पीड़ित परिवारों ने हमले के बाद अपने घरों में हुए नुकसान का वीडियो बनाकर शेयर किया था।

पुलिस डीजी बोले- पहाड़ी इलाकों में केंद्र की तरफ से सुरक्षाबलों की 198 कंपनियां मौजूद
पुलिस के डायरेक्टर जनरल राजीव सिंह ने कहा था कि यह ड्रोन हमला एक नई घटना है। हम इसे बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। हमने दिल्ली में NSG के डायरेक्टर जनरल और उनकी टीम से बात की है। कई अन्य विशेषज्ञ भी आ रहे हैं और हमने ड्रोन हमलों की जांच और इन्हें रोकने के लिए एक समिति भी बनाई है।

हमारे पास इन्हें रोकने के कुछ उपाय हैं, जिन्हें हम लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा जिन पहाड़ी इलाकों में हमले हुए हैं, वहां हमारे अभियान जारी हैं। मामले में हमें केंद्र भी पूरा समर्थन मिल रहा है। केंद्रीय बलों की लगभग 198 कंपनियां यहां मौजूद हैं।

घटना स्थल से मिला होल्डर, जिसे लेकर दावा किया गया है कि इसमें बम अटैच किया था।

घटना स्थल से मिला होल्डर, जिसे लेकर दावा किया गया है कि इसमें बम अटैच किया था।

ड्रोन हमले के बाद गांव के सभी 17 परिवार भागे
इंफाल वेस्ट जिले के कौत्रुक गांव में ड्रोन अटैक के बाद दहशत है। यहां के सभी 17 परिवार गांव छोड़कर भाग गए हैं। सभी अपनी जान बचाने के लिए घर छोड़कर सुरक्षित जगहों जैसे इंफाल, खुरखुल और सेक्माई चले गए हैं। लोगों में डर है। उन्हें अंदेशा है कि एक बार फिर बड़े स्तर पर हिंसा भड़क सकती है।

कौत्रुक निवासी प्रियोकुमार ने बताया कि गांव में अब तक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हुए हैं, जिससे सभी ने डर कर गांव छोड़ दिया है। इस बीच, कौत्रुक और आसपास के क्षेत्रों के छात्रों को डर है कि हिंसा भड़कने के कारण कॉलेज फिर से बंद हो सकता है।

कुकी-जो संगठनों की मणिपुर में कुकीलैंड की मांग
कुकी-जो समुदाय के लोगों ने 31 अगस्त को मणिपुर के चुराचांदपुर, कांगपोकपी और टेंग्नौपाल में रैलियां निकालीं थी। इन संगठनों की मांग है कि मणिपुर में अलग कुकीलैंड बनाया जाए, जो केंद्र शासित प्रदेश हो। इन संगठनों का कहना है कि पुडुचेरी की तर्ज पर विधानसभा के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश बनाना ही राज्य को जातीय संघर्ष से बाहर निकालने का इकलौता रास्ता है।

हालांकि, मणिपुर सरकार का कहना है कि ऑडियो क्लिप में मुख्यमंत्री की आवाज से छेड़छाड़ की गई है। यह हिंसा से प्रभावित राज्य में शांति की पहल को पटरी से उतारने के लिए किया जा रहा है।

कुकी संगठनों के बैनर में लिखा था- ग्लोबल रैली ऑन लीक्ड टेप्स, हमें मणिपुर से बचाएं।

कुकी संगठनों के बैनर में लिखा था- ग्लोबल रैली ऑन लीक्ड टेप्स, हमें मणिपुर से बचाएं।

मई 2023 से जारी हिंसा में 200 से ज्यादा लोग मारे गए
मणिपुर में 3 मई, 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हिंसा की अब तक 226 लोगों की मौत हो चुकी हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतेई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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मणिपुर में पहली बार ड्रोन से अटैक: फायरिंग कर लोगों को इकट्ठा किया, ड्रोन से बम गिराए

मणिपुर में कुकी और मैतेई की बीच हिंसा शुरू हुए 15 महीने हो गए हैं। मणिपुर के कोत्रुक गांव में रविवार (1 सितंबर) को हैवी फायरिंग के बाद ड्रोन से बम गिराए गए। हमले में एक महिला समेत दो लोगों की मौत हो गई। 2 बच्चों समेत 10 लोग घायल हैं।

हमले का आरोप कुकी उग्रवादियों पर है। ये पहला मौका है जब किसी गांव पर ड्रोन से अटैक किया गया है। हमले के अगले दिन दैनिक भास्कर इंफाल से 22 किमी दूर कोत्रुक गांव पहुंचा। यहां एन. रोमेन से मुलाकात हुई, जो अपने जले घर के बाहर खड़े थे। उनके घर पर भी ड्रोन से बम गिराया गया था। पूरी खबर पढ़ें…

मणिपुर CM बोले- मैं इस्तीफा क्यों दूं, घोटाला नहीं किया

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अगले छह महीने में राज्य में शांति बहाल करने का दावा किया है। उन्होंने CM पद से इस्तीफे की आशंका को लेकर कहा, ‘इसका कोई सवाल ही नहीं उठता है। मैं इस्तीफा क्यों दूं? क्या मैंने कुछ चुराया है? कोई घोटाला किया है?’ बीरेन सिंह ने गुरुवार (29 अगस्त) को न्यूज एजेंसी PTI को दिए एक इंटरव्यू में ये बातें कहीं। पढ़ें पूरी खबर…

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