मणिपुर में दो गुटों में गोलीबारी, 13 लोगों की मौत: म्यांमार बॉर्डर से लगे लीथू गांव की घटना; एक दिन पहले ही इंटरनेट बहाल हुआ

इंफाल27 मिनट पहले

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राज्य में 3 मई के बाद से हिंसा जारी है। जिसके चलते 182 लोगों की मौत हुई है, जबकि 50 हजार लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है। - Dainik Bhaskar

राज्य में 3 मई के बाद से हिंसा जारी है। जिसके चलते 182 लोगों की मौत हुई है, जबकि 50 हजार लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है।

मणिपुर के टेंग्नौपाल​​​​​​ जिले के लीथू गांव में सोमवार सुबह 10:30 बजे दो समूहों में गोलीबारी हुई, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई। मृतकों की पहचान नहीं हो पाई है।

असम राइफल्स के मुताबिक इलाके में दबदबा रखने वाले एक विद्रोही समूह ने म्यांमार जा रहे उग्रवादियों पर घात लगाकर ये हमला किया। अब तक मौके से 13 शव बरामद हुए हैं।

यह घटना कुकी बहुल इलाके में हुई है, जो म्यांमार से इंटरनेशनल बॉर्डर शेयर करता है।

मणिपुर में 3 मई के बाद से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा जारी है। इसके चलते करीब 182 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 50 हजार लोगों को घर छोड़ना पड़ा है। वे कई महीनों से रिलीफ कैंप्स में रह रहे हैं।

मणिपुर सरकार ने कल ही (3 दिसंबर) को कुछ क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य में मोबाइल इंटनेट सेवाएं 18 दिसंबर तक के लिए बहाल की थीं। राज्य सरकार ने कहा था- कानून-व्यवस्था में सुधार और मोबाइल इंटरनेट बैन के चलते लोगों को होने वाली असुविधाओं को ध्यान में रखते हुए इसमें ढील देने का फैसला किया गया।

चंदेल और काकचिंग, चुराचांदपुर और बिष्णुपुर, चुराचांदपुर और काकचिंग, कांगपोकपी और इंफाल पश्चिम, कांगपोकपी और इंफाल पूर्व, कांगपोकपी और थौबल और टेंग्नौपाल और काकचिंग जिलों के बीच 2 किमी के दायरे में बैन लागू रहेगा। राज्य में हिंसा भड़कने के बाद से मोबाइल इंटरनेट पर पाबंदी थी।

आर्मी के ईस्टर्न कमांड चीफ बोले- मणिपुर की समस्या का राजनीतिक हल जरूरी
भारतीय सेना के ईस्टर्न कमांड चीफ राणा प्रताप कलीता ने कहा कि मणिपुर की समस्या राजनीतिक है, इसलिए इसका समाधान भी राजनीतिक होना चाहिए। कलीता ने ये बात 21 नवंबर को गुवाहाटी के प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात करते हुए कही।

उन्होंने कहा- हमारी कोशिश है कि हिंसा रुके। राजनीतिक समस्या का शांतिपूर्ण समाधान निकालना होगा, इसके लिए दोनों पक्षों (कुकी और मैतेई) को प्रेरित किया जाना चाहिए। हिंसा काबू करने में हमें बड़े पैमाने पर कामयाबी भी मिली है, लेकिन कुकी और मैतेई का ध्रुवीकरण हुआ है, इसलिए कुछ छिटपुट घटनाएं हो जाती हैं।

कलीता ने यह भी कहा कि राज्य के सुरक्षाबलों से लूटे गए 4 हजार हथियार अब भी लोगों के हाथ में हैं और हिंसा में इस्तेमाल हो रहे हैं। जब तक ये लोगों के पास से रिकवर नहीं होंगे, मणिपुर में हिंसा नहीं रुकेगी। करीब 5 हजार हथियार लूटे गए थे, जिनमें से सिर्फ 1500 ही बरामद हुए हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें…

मणिपुर में नवंबर में हुए घटनाक्रम

  • 1 नवंबर: इंफाल में देर रात 31 अक्टूबर को हुई SDOP की हत्या से नाराज भीड़ ने मणिपुर राइफल्स के शिविर पर हमला किया था। इनका मकसद हथियार लूटना था। हालांकि सुरक्षाकर्मियों ने कई राउंड हवाई फायरिंग कर भीड़ को तितर-बितर कर दिया।
  • 5 नवंबर: इंफाल पश्चिमी जिले से दो युवक सेकमाई इलाके में जाने के लिए निकले थे। उसके बाद से दोनों की कोई खबर नहीं है। पुलिस ने लापता मैबम अविनाश (16) और निंगथोउजाम एंथनी (19) के मोबाइल सेनापति जिले में पेट्रोल पंप के पास से बरामद किए। राज्य में मोबाइल इंटरनेट पर बैन 8 नवंबर तक बढ़ा दिया गया है।
  • 6 नवंबर: मणिपुर पुलिस ने 3 लोगों को हिरासत में लिया। इन पर दो युवकों के अपहरण का आरोप है। लापता युवकों के परिजन ने राज्यपाल अनुसुइया उइके और पुलिस से शिकायत की। साथ ही इंफाल में रैली निकाली। रास्ते जाम कर प्रदर्शन किया।
  • 7 नवंबर: मणिपुर के कांगचुप इलाके में 7 नवंबर को गोलीबारी हुई, जिसमें 2 पुलिसकर्मियों, एक महिला समेत 9 लोग घायल हो गए। सात लोगों को रिम्स तो 3 लोगों को राज मेडिसिटी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया।
  • 9 नवंबर: इंफाल में महिला समेत दो लोगों का शव बरामद। पुलिस ने बताया, शव की आंखों पर पट्टी बंधी थी जबकि हाथ पीछे से बंधे थे। वहीं सिर पर गोली लगने के निशान मिले।
हिंसा के चलते मणिपुर देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां जिलों से लेकर सरकारी दफ्तर तक सब कुछ दो समुदायों में बंट चुके हैं।

हिंसा के चलते मणिपुर देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां जिलों से लेकर सरकारी दफ्तर तक सब कुछ दो समुदायों में बंट चुके हैं।

मणिपुर के मौजूदा हालात…

  • मणिपुर में जिलों से लेकर सरकारी दफ्तर तक सब कुछ दो समुदायों में बंट चुके हैं। पहले 16 जिलों में 34 लाख की आबादी में मैतेई-कुकी साथ रहते थे, लेकिन अब कुकी बहुल चुराचांदपुर, टेंग्नौपाल, कांगपोकपी, थाइजॉल, चांदेल में कोई भी मैतेई नहीं बचा है। वहीं मैतेई बहुल इंफाल वेस्ट, ईस्ट, विष्णुपुर, थोउबल, काकचिंग, कप्सिन से कुकी चले गए हैं।
  • कुकी इलाकों के अस्पतालों को मैतई डॉक्टर छोड़कर चले गए हैं। इससे यहां इलाज बंद हो गया। अब कुकी डॉक्टर कमान संभाल रहे हैं। सप्लाई नहीं होने से यहां मरहम-पट्‌टी, दवाओं की भारी कमी है।
  • सबसे ज्यादा असर स्कूलों पर हुआ है। 12 हजार 104 स्कूली बच्चों का भविष्य अटक गया है। ये बच्चे 349 राहत कैंपों में रह रहे हैं। सुरक्षाबलों की निगरानी में स्कूल 8 घंटे की जगह 3-5 घंटे ही लग रहे हैं। राज्य में 40 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं।
  • हिंसा के बाद से अब तक 6523 FIR दर्ज हुई हैं। इनमें ज्यादातर शून्य FIR हैं। इनमें 5107 मामले आगजनी, 71 हत्याओं के हैं। सीबीआई की 53 अधिकारियों की एक टीम 20 मामले देख रही है।
  • इंफाल वेस्ट, इंफाल ईस्ट, झिरिबम, विष्णुपुर, थोउबल, चुराचांदपुर और टेंग्नौपाल, कांगपोकपी, काकचिंग, फेरजॉल में कर्फ्यू लगा है। जबकि सेनापति, उर्खुल, कामजोंग, टेमेंगलोंग, नॉने और कप्सिन में शाम 6 से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लगा है। पूरी खबर पढ़ें…

4 पॉइंट्स में जानिए- क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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मणिपुर के तांगखुल नगा संगठनों ने रैलियों पर रोक लगाई:कुकी संगठन ने सिलचर-दीमापुर से इंफाल को जोड़ने वाले हाईवे खोले, ये 12 दिन से बंद थे

मणिपुर में सबसे बड़े नगा समुदाय तांगखुल नगाओं के कई संगठनों ने सोमवार को कहा कि वे मौजूदा संघर्षों को लेकर अपने क्षेत्रों में किसी भी रैली को निकालने की परमिशन नहीं देंगे। यह फैसला कुकी संगठनों की मांग पर 29 नवंबर को देशभर में रैलियां निकालने के खिलाफ लिया गया है। ये संगठन मणिपुर में अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं। इसमें उखरूल की रैली भी शामिल है। पूरी खबर यहां पढ़ें…

मणिपुर की समस्या का राजनीतिक हल जरूरी:आर्मी के ईस्टर्न कमांड चीफ बोले- लूटे गए हथियार जब तक रिकवर नहीं होंगे, हिंसा नहीं रुकेगी

भारतीय सेना के ईस्टर्न कमांड चीफ राणा प्रताप कलीता ने कहा है कि मणिपुर की समस्या राजनीतिक है, इसलिए इसका समाधान भी राजनीतिक होना चाहिए। कलीता ने ये बात 21 नवंबर को गुवाहाटी के प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात करते हुए कही।

उन्होंने कहा- हमारी कोशिश है कि हिंसा रुके। राजनीतिक समस्या का शांतिपूर्ण समाधान निकालना होगा, इसके लिए दोनों पक्षों (कुकी और मैतेई) को प्रेरित किया जाना चाहिए। हिंसा काबू करने में हमें बड़े पैमाने पर कामयाबी भी मिली है। लेकिन कुकी और मैतेई का ध्रुवीकरण हुआ है, इसलिए कुछ छिटपुट घटनाएं हो जाती हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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