मणिपुर मामले में आज SC में सुनवाई: राज्य में हिंसा के 86 दिन, कोर्ट ने कहा था- लॉ एंड ऑर्डर हाथ में नहीं ले सकते

नई दिल्ली3 घंटे पहले

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मणिपुर हिंसा को लेकर देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। 4 मई को यहां कांगपोकपी जिले में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की घटना हुई थी, जिसका वीडियो 19 जुलाई को वायरल हुआ। - Dainik Bhaskar

मणिपुर हिंसा को लेकर देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। 4 मई को यहां कांगपोकपी जिले में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की घटना हुई थी, जिसका वीडियो 19 जुलाई को वायरल हुआ।

मणिपुर हिंसा को लेकर आज (28 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। राज्य में 3 मई से हिंसा जारी है। सरकार की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि मणिपुर हिंसा में 142 लोगों की जान जा चुकी। 5,995 केस दर्ज किए गए हैं। इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम कानून-व्यवस्था को हाथ में नहीं ले सकते।

जुलाई में यह टिप्पणी मणिपुर ट्राइबल फोरम दिल्ली के एडवोकेट कोलिन गोंजाल्वेज की दलील पर की। गोंजाल्वेज ने कहा था कि सरकार ने पिछली सुनवाई में हिंसा रोकने का भरोसा दिया था। मई में 10 मौतें हुई थीं, अब संख्या 110 पहुंच गई।

उधर, महिलाओं को निर्वस्त्र करने के मामले में अब तक 7 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। इसमें एक आरोपी नाबालिग है। इससे पहले इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वीडियो देखकर हम बहुत परेशान हुए हैं। हम सरकार को वक्त देते हैं कि वो कदम उठाए। अगर वहां कुछ नहीं हुआ तो हम कदम उठाएंगे।

मामले में एक और याचिका दायर
मणिपुर हिंसा को लेकर लोगों में लगातार गुस्सा है। 27 जुलाई को इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दी गई। इस पर बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा कि अदालत में पहले से ही इस मुद्दे पर गौर किया जा रहा है तो एक और याचिका की क्या जरूरत है। साथ ही उन्होंने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सामने अपनी याचिका पेश करने को कहा।

याचिका दायर करने वाले वकील विशाल तिवारी ने बेंच को बताया कि मणिपुर हिंसा से संबंधित मुद्दे को उठाने वाली लंबित याचिकाएं 28 जुलाई को सुनवाई के लिए लिस्टेड हैं। तिवारी ने अनुरोध किया कि उनकी याचिका को भी संबंधित मामले के साथ शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

निर्वस्त्र करने के मामले की FIR में क्या है…

  • 4 मई की दोपहर करीब 3 बजे करीब 800-1000 लोग कांगपोकपी जिले में स्थित हमारे गांव बी. फीनोम में घुस आए। उन्होंने घरों में तोड़फोड़ की, घरों का फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक, बर्तन, कपड़े और नकदी लूटने के बाद घरों में आग लगा दी।
  • हमें संदेह है कि हमलावर मैतेई युवा संगठन, मैतेई लीपुन, कांगलेइपाक कनबा लुप, अरामबाई तेंगगोल, विश्व मैतेई परिषद और अनुसूचित जनजाति मांग समिति से थे।
  • हमलावरों के डर से कई लोग जंगल की ओर भाग गए, उन्हें नोंगपोक सेकमाई पुलिस ने बचाया। हमलावरों के पास कई हथियार भी थे। उन्होंने सभी लोगों को पुलिस की हिरासत ले छुड़ा लिया।
  • उन्हें 56 साल के सोइटिंकम वैफेई की हत्या कर दी। इसके बाद तीन महिलाओं को कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया।
  • हमलावरों ने महिलाओं के साथ गैंगरेप किया। एक महिला के भाई ने अपनी बहन को बचाने की कोशिश की, लेकिन हमलावरों ने उसकी हत्या कर दी।

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