भास्कर ओपिनियन- रामलला: मंदिर उद्घाटन समारोह में अयोध्या न जाने का कांग्रेस का निर्णय कितना सही?

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2 घंटे पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर

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राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में जाने से कांग्रेस ने विनम्रता पूर्वक इनकार कर दिया है। देशभर में इस समय यही चर्चा है कि कांग्रेस का यह निर्णय कितना सही है और कितना गलत? पार्टी का कहना है कि यह कोई धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक कार्यक्रम है। भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर का राजनीतिक लाभ उठाने के लिए यह सब कुछ कर रहे हैं।

चूँकि आगे लोकसभा चुनाव हैं इसलिए भाजपा इसके लिए देशभर में अलख जगाना चाहती है। जबकि अभी तो मंदिर पूरा बना भी नहीं है। सही है, मान लीजिए कि यह सब राजनीति ही है तो भी क्या कांग्रेस पार्टी यहाँ कोई यज्ञ करने के लिए है? वह भी तो राजनीतिक पार्टी ही है। …और अगर है, तो राजनीति करे। किसने रोक रखा है?

अयोध्या के राम मंदिर के इसी चबूतरे पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

अयोध्या के राम मंदिर के इसी चबूतरे पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

कुल मिलाकर जब पूरा देश राम मंदिर को लेकर आल्हादित है तो कांग्रेस को निमंत्रण अस्वीकार करने की क्या पड़ी है? हालात को समझना राजनीति की सबसे पहली सीढ़ी होती है। कांग्रेस कब समझेगी जन भावनाओं को?

अब तो कांग्रेस की गुजरात इकाई के एक बड़े नेता अर्जुन मोढवाडिया ने भी पार्टी के निर्णय को गलत बता दिया है। उनका कहना है कि राम सबके भगवान हैं और उनसे संबंधित किसी समारोह में जाना या दर्शन करना किसी व्यक्ति का निजी निर्णय हो सकता है। ऐसे में हम पार्टी स्तर पर उस दिन अयोध्या न जाने का निर्णय करके भूल कर रहे हैं। यह निर्णय किसी भी दृष्टिकोण से ठीक प्रतीत नहीं होता।

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण पत्र।

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण पत्र।

हालाँकि विपक्ष में बैठी कुछ अन्य राजनीतिक पार्टियों ने भी अयोध्या जाने से इनकार किया है लेकिन वे क्षेत्रीय पार्टियां हैं। कांग्रेस तो देश की सबसे पुरानी और बड़ी पार्टी हुआ करती थी। सांसदों और विधायकों के हिसाब से अब भले ही वह छोटी हो गई हो लेकिन उसकी प्रसिद्धि या ये कहें कि उसकी व्यापकता तो देश के हर कोने में अब भी है। उसे इस तरह के अपरिपक्व निर्णयों से हर हाल में बचना चाहिए।

कांग्रेस को अपने इस निर्णय का नुक़सान उठाना पड़ सकता है।