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- After The Cabinet, The Biggest Challenge Will Now Be For The Speaker
15 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर
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केंद्रीय मंत्रिमंडल के आसान गठन के बाद अब लोकसभा अध्यक्ष पद सबसे महत्वपूर्ण हो गया है। दरअसल, किसी भी गठबंधन सरकार में लोकसभा अध्यक्ष पद जीवन रेखा की तरह होता है। निश्चित तौर पर सत्ता पक्ष इस जीवन रेखा को अपने पास रखना चाहता है।
मज़े की बात यह है कि सत्ता या सरकार में शामिल तमाम घटक दल भी यह पद अपने पास रखने की तीव्र इच्छा रखते हैं। क्या होगा, यह तो अगले संसद सत्र में पता चल ही जाएगा, लेकिन निश्चित ही इस पद के लिए भारी खींचतान होनी है।
टीडीपी का कहना है कि यह पद हमें मिलना चाहिए क्योंकि यह पहले भी अटल जी की सरकार के वक्त हमारे पास रह चुका है। टीडीपी के जीएमसी बालयोगी लोकसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। सुना है भाजपा इस सबके बीच का रास्ता निकालने जा रही है।
आंध्र में भाजपा की अध्यक्ष डी पुरंदेश्वरी को सत्ता पक्ष लोकसभा अध्यक्ष बनाना चाह रहा है।
आंध्र में भाजपा की अध्यक्ष डी पुरंदेश्वरी को सत्ता पक्ष अपनी तरफ़ से लोकसभा अध्यक्ष बनाना चाह रहा है। चंद्रबाबू नायडू इस नाम का विरोध नहीं कर पाएँगे क्योंकि पुरंदेश्वरी चंद्रबाबू की साली हैं। हालाँकि ये अभी कयास भर ही है।
उधर कहा यह जा रहा है कि पिछले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की दावेदारी अभी भी मज़बूत है। उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिलने से उनकी यह दावेदारी और अधिक मज़बूत समझी जा रही है।
पिछले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की दावेदारी अभी भी मज़बूत है।
दरअसल गठबंधन सरकारों के दौर में यह पद बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। दलबदल के मामलों में योग्य, अयोग्य ठहराने के फ़ैसले स्पीकर के ही हाथ में होते हैं और वही फ़ैसले मान्य भी होते हैं। इन्हें चुनौती देने की भी ज़्यादा गुंजाइश नहीं होती।
आशंकाओं को देखते हुए सत्ता पक्ष इस पद को दूसरे घटक दलों के हाथ में जाने नहीं देगा।
यही वजह है कि यह पद अब सबसे बड़ा सवाल बनकर उभरा है। टीडीपी चाहती है कि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी के बेटे जीएम हरीश मधुर को यह पद दिया जाए ताकि दलित नेता को बड़े संवैधानिक पद पर बैठाने का उसे राज्य में फ़ायदा मिल सके।