भास्कर ओपिनियन- पढ़ाई का प्रेशर: बच्चे मन के सच्चे, कोई उनसे, उनकी मर्ज़ी तो पूछे!

3 मिनट पहले

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माता – पिता या पैरेंट्स से कहा है कि बच्चों की पढ़ाई को अपना विज़िटिंग कार्ड न बनाएँ। मतलब यह है कि आजकल ज़्यादातर माता – पिता सिर्फ़ यह कहते फिरते हैं कि मेरा बेटा आईआईटी करेगा या मेरी बेटी मेडिकल टॉप करेगी।

दरअसल, माता पिता अपनी यह महत्वाकांक्षा बच्चों, पड़ोसियों और उनके दोस्तों के सामने इतनी बार दोहराते हैं कि बच्चा न चाहते हुए भी वही करने लगता है जो माता पिता चाहते हैं। भले ही उस विषय या फ़ैकल्टी में उसकी अपनी रुचि है भी या नहीं!

वह अपनी रुचि किसी को बता ही नहीं पाता या उसे इसका कोई मौक़ा दिया ही नहीं जाता। हो सकता है वह किसी और विधा में बहुत अच्छा कर सकता हो। हो सकता है उसके जीवन के इम्तिहान में उसका उद्देश्य ही कुछ और हो। लेकिन उससे उसकी मर्ज़ी कोई कभी पूछता ही नहीं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के भारत मंडपम में 29 जनवरी को परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में शामिल बच्चों के सवाल के जवाब दिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के भारत मंडपम में 29 जनवरी को परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में शामिल बच्चों के सवाल के जवाब दिए।

अरुचि के विषय में जब उसे केवल माता पिता की इच्छा या रिश्तेदारों के दबाव के कारण धकेल दिया जाता है तो फिर वह कई बार विफल हो जाता है। केवल इम्तिहान में ही नहीं। जीवन के इम्तिहान में भी। सोमवार को ही कोचिंग हब कोटा में एक और बच्ची ने आत्महत्या कर ली।

चिट्ठी में लिखा – मम्मी पापा मुझे माफ़ करना, मैं जेईई नहीं कर सकती। ये क्या है? ये जेईई का भूत निश्चित रूप से उसके दिमाग़ में माता पिता या उसके रिश्तेदारों ने ही भरा होगा। अरे भाई! क्यों करना है जेईई या आईआईटी? संगीत सीखिए! पेंटिंग सीखिए!

केवल आर्ट्स से ग्रेजुएशन करिए और दीजिए यूपीएससी का एग्ज़ाम। वहां भी सफल न हों तो कोई बात नहीं, और कुछ कर लीजिए लेकिन इस अंधी दौड़ में मत भागिए जिसका कोई छोर नहीं है। कोई अंत नहीं है।

दरअसल हो कुछ इस तरह रहा है कि माता या पिता, इनमें से जो कोई भी जो कुछ भी नहीं कर पाता है, वो अपने बच्चे से वह सब कुछ करवाना चाहता है। वे अपने सपने अपने बच्चों से पूरे करवाना चाहते हैं। इसी कुचक्र में बच्चों का भविष्य बर्बाद होता जा रहा है।

पड़ोसियों और रिश्तेदारों के सामने अपनी कॉलर ऊँची रखने के लिए बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करना आख़िर कौन सा न्याय हुआ? ठीक है आप अपने बच्चों की पढ़ाई और उनके उज्जवल भविष्य के लिए बहुत से पैसे खर्च कर रहे हैं।

आपने बहुत से सपने भी पाले हुए हैं लेकिन कहीं पर, थोड़ी देर रुककर उन बच्चों की अपनी मर्ज़ी भी तो पूछ लीजिए। … कि आख़िर उनकी अपनी मर्ज़ी क्या है? उनकी रुचि किस विषय में है? आख़िर वे अपने जीवन में क्या करना चाहते हैं?

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