भास्कर ओपिनियन- चुनावी शोर: चुनाव प्रचार के चरम पर जाते ही राजनीति में ग़लत बयानी की बहार

30 मिनट पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर

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राजनीति में जो कुछ हो कम है। उदयपुर के कन्हैया लाल हत्याकांड की जाँच एनआईए कर रही है लेकिन भाजपा राजस्थान की गहलोत सरकार पर आरोप लगा रही है कि कन्हैयालाल के हत्यारों को सजा क्यों नहीं हुई? या गहलोत सरकार आतंकवादियों की समर्थक है। अजीब बात है जब जाँच केंद्रीय एजेंसियाँ कर रही हैं तो गहलोत सरकार क्या कर सकती है? उधर नीतीश कुमार भरे सदन में कुछ तो भी बोल रहे हैं लेकिन ‘इंडिया’ वालों को इसमें कुछ भी ग़लत नहीं लग रहा है। वे कह रहे हैं नीतीश तो एज्युकेशन दे रहे थे। नीतीश ने जीतन राम माँझी को सदन में कहा- काहे का मुख्यमंत्री? बैठ, बैठ! यह कौन सी संसदीय परम्परा है? अब माँझी कह रहे हैं कि नीतीश कुमार को कुर्सी से हटाने के लिए उन्हें कोई धीमा ज़हर दे रहा है। इसी वजह से वे कुछ तो भी बोले जा रहे हैं। पहले वे ऐसे नहीं थे।

बिहार विधानसभा में मंगलवार को CM नीतीश कुमार ने जनसंख्या नियंत्रण पर बयान दिया। इस दौरान उन्होंने कुछ ऐसी बातें भी कहीं, जिसे हम यहां लिख नहीं सकते।

बिहार विधानसभा में मंगलवार को CM नीतीश कुमार ने जनसंख्या नियंत्रण पर बयान दिया। इस दौरान उन्होंने कुछ ऐसी बातें भी कहीं, जिसे हम यहां लिख नहीं सकते।

बहरहाल, इधर चुनाव क्षेत्र में बाग़ियों की बहार है, बड़े- बड़े नेता अपने ही समर्थकों को नहीं मना पाए। नाम वापसी की तारीख़ के बाद भी वे चुनाव मैदान में डटे हुए हैं। केवल राजस्थान में ही नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी। इन तीनों प्रमुख राज्यों में टक्कर काँटे की है। कोई किसी से कम नहीं पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ जहां किसी एक दल की जीत आसान मानी जा रही थी, वहाँ भी नेक टु नेक मामला फँसा हुआ है। मध्यप्रदेश और राजस्थान में तो आर- पार की लड़ाई चल रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के जीवन का यह सबसे महत्वपूर्ण चुनाव है। क्योंकि इस बार इन दोनों की सरकार नहीं आई तो हो सकता है पाँच साल बाद ये मार्गदर्शक मंडल में डाल दिए जाएँ। हालाँकि यह परम्परा भाजपा की रही है लेकिन कांग्रेस इस परम्परा को कब एडॉप्ट कर ले, इसका कोई भरोसा नहीं है।

छत्तीसगढ़ की 20 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। कांकेर के एक पोलिंग बूथ पर अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए इंतजार करते वोटर्स।

छत्तीसगढ़ की 20 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। कांकेर के एक पोलिंग बूथ पर अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए इंतजार करते वोटर्स।

कुल मिलाकर, टक्कर काँटे की है और मप्र में कांग्रेस सत्ता पाने के लिए पूरा ज़ोर लगा रही है जबकि राजस्थान में भाजपा सत्ता पाना चाहती है। राजस्थान में हर बार सत्ता बदलने की परम्परा भाजपा के पक्ष में है। देखना यह है कि तीन दिसंबर को जब चुनाव परिणाम आएँगे, तब क्या होगा?

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