भास्कर ओपिनियन- अयोध्या: पांच साल के रामलला की प्रतिमा सामने आई, प्राण प्रतिष्ठा बाकी

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2 घंटे पहलेलेखक: नवनीत गुर्जर, नेशनल एडिटर, दैनिक भास्कर

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गोपनीयता रखते – रखते आख़िरकार 22 जनवरी से तीन दिन पहले रामलला की प्रतिमा सबके सामने आ ही गई। लोग उसे देखकर भाव विव्हल हो रहे हैं। कुछ के आंसू टपक रहे हैं और कोई प्रफुल्लित हो रहा है। आख़िर कोई पाँच सौ साल के संघर्ष का सुखद पटाक्षेप जो हो रहा है।

रामलला की इस मूर्ति को कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। यह पूरी मूर्ति एक ही पत्थर से बनी है। कहीं भी जोड़ नहीं है।

रामलला की इस मूर्ति को कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। यह पूरी मूर्ति एक ही पत्थर से बनी है। कहीं भी जोड़ नहीं है।

इस राम मंदिर के लिए जाने कितने लोगों ने प्राणों की आहूतियां दीं। जाने कितने लोग कारसेवा या ऐसे ही अलग- अलग आंदोलनों में मारे गए। अनेक लोग जिन्होंने वर्षों राम मंदिर के लिए अथक संघर्ष किया, जिनकी एकमात्र इच्छा यह थी कि राम मंदिर को बनते हुए देखें, वे पहले ही प्राण त्याग चुके जिनमें अशोक सिंघल, आचार्य धर्मेंद्र और ऐसे कई लोग शामिल थे। निश्चित ही अब उनकी आत्मा प्रसन्न हो रही होगी।

22 जनवरी को प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है और 23 जनवरी से पट खुलेंगे। दर्शन भी होंगे।

दर्शन की प्रत्याशा में हज़ारों लोग इन दिनों रोज़ अयोध्या पहुँच रहे हैं। कोई अखाड़ों में, कोई सरायों में तो कोई सरयू किनारे शरण लिए हुए हैं। हालाँकि अभी वहाँ इतनी ज़्यादा तादाद में लोग पहुँच गए हैं कि उन्हें अब सीमा पर ही रोका जा रहा है। आख़िर किसी एक दिन में इतनी भीड़ को सँभाला कैसे जाएगा? यह सुरक्षा कारणों से भी एक अहम प्रश्न बना हुआ है।

वैसे हादसों, दुर्घटनाओं से निबटने के पुख़्ता इंतज़ाम किए गए हैं और लगातार किए भी जा रहे हैं लेकिन लोगों से ज़्यादा तो सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं किए जा सकते!

इसी कारण से लोगों को शहर की सीमा पर रोका जा रहा है। फिर भी जिन्हें रोका जा रहा है उनकी तरफ़ से भी लगातार शिकायतें आ रही हैं। आख़िर क्या किया जा सकता है। इसका फ़िलहाल तो कोई इलाज नहीं है। जो दर्शनार्थी हैं, उन्हें यह भीड़ ख़त्म होने की राह देखना चाहिए और लगभग फ़रवरी माह में ही रामलला के दर्शन के लिए जाना चाहिए।

तब ठीक से उन्हें दर्शन भी हो पाएँगे और मंदिर को भी वे अच्छे से देख पाएंगे।