भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाने पर विपक्ष का प्रदर्शन: लोकसभा के बाहर सोनिया ने संविधान की कॉपी लहराई, खड़गे बोले- मोदी ने संविधान तोड़ा

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नई दिल्ली6 मिनट पहले

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संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास विपक्षी सांसदों का प्रदर्शन। - Dainik Bhaskar

संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास विपक्षी सांसदों का प्रदर्शन।

18वीं लोकसभा का पहला सत्र आज (24 जून) से शुरू हुआ है। सत्र के शुरू होने से पहले विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने संविधान की कॉपी लहराकर विरोध प्रदर्शन किया। विपक्षी सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने के खिलाफ हैं।

विपक्ष का मानना है कि सरकार ने नियमों को दरकिनार कर प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। नियम के मुताबिक, कांग्रेस के के.सुरेश को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना था, क्योंकि वे 8 बार के सांसद हैं। महताब तो 7 बार के ही सांसद हैं।

इस विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सांसद राहुल गांधी भी शामिल हुए। राहुल गांधी ने प्रोटेस्ट के बाद कहा- प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह, जो आक्रमण संविधान पर कर रहे हैं, वो हमारे लिए स्वीकार्य नहीं है। हम ये आक्रमण नहीं होने देंगे। हिंदुस्तान के संविधान को कोई शक्ति नहीं छू सकती।

वहीं, खरगे ने प्रोटेस्ट के दौरान कहा- मोदी जी ने संविधान को तोड़ने की कोशिश की है। संविधान को बचाने के लिए जनता हमारा साथ दे रही है। देश में फिलहाल हर लोकतांत्रिक नियम को तोड़ा जा रहा है, आज हम गांधी जी की प्रतिमा के सामने इकट्ठे हुए हैं। हम मोदी जी को बता रहे हैं कि आप संविधान के तहत चलिए।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव समेत पार्टी के सभी सांसदों ने प्रदर्नशन किया।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव समेत पार्टी के सभी सांसदों ने प्रदर्नशन किया।

गौरव गोगई बोले- सत्तारूढ़ दल अपनी हेकड़ी नहीं भूला है। हम देख सकते हैं कि वे देश के प्रमुख मुद्दों की अनदेखी कर रहे हैं। अगर के.सुरेश को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता तो भारत में पूरा दलित समुदाय एक ऐतिहासिक दृश्य देख सकता था। आज, भाजपा ने न सिर्फ कांग्रेस, I.N.D.I.A. और के.सुरेश की ही नहीं, बल्कि पूरे दलित समुदाय की उपेक्षा की है।

TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि हम इसलिए प्रोटेस्ट कर रहे हैं, क्योंकि संविधान के प्रावधानों को बदला जा रहा है। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति से मोदी सरकार ने संवैधानिक परंपराओं को खत्म करने का काम किया है। वहीं, TMC के सांसद सौगत रॉय ने कहा है कि हम संविधान को नष्ट करने के भाजपा के प्रयासों के विरोध कर रहे हैं।

जयराम रमेश ने कहा था- के. सुरेश सबसे वरिष्ठ सांसद हैं
भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने का फैसला सरकार ने 20 जून को लिया था। उसी दिन कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि नियमों के मुताबिक, जिस सांसद ने सबसे ज्यादा कार्यकाल पूरे किए हैं, उसे ही प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है।

18वीं लोकसभा में कांग्रेस के कोडिकुन्निल सुरेश और भाजपा के वीरेंद्र कुमार सबसे वरिष्ठ सांसद हैं। दोनों का यह आठवां कार्यकाल है। वीरेंद्र कुमार केंद्रीय मंत्री हैं, इसलिए कोडिकुन्निल सुरेश को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने की उम्मीद थी। लेकिन, उनकी जगह सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को स्पीकर प्रोटेम नियुक्त किया गया है।

कौन होता है प्रोटेम स्पीकर?
प्रोटेम लैटिन शब्द प्रो टैम्पोर से आया है। इसका मतलब होता है- कुछ समय के लिए। प्रोटेम स्पीकर अस्थायी स्पीकर होता है। लोकसभा या विधानसभा चुनाव होने के बाद सदन को चलाने के लिए सत्ता पक्ष प्रोटेम स्पीकर को चुनता है।

प्रोटेम स्पीकर का मुख्य काम नव निर्वाचित सांसदों/विधानसभा को शपथ ग्रहण कराना है। यह पूरा कार्यक्रम प्रोटेम स्पीकर की देखरेख में होता है। प्रोटेम स्पीकर का काम फ्लोर टेस्ट भी करवाना होता है। हालांकि संविधान में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति, काम और पावर के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा गया है।

INDIA गुट स्पीकर पद के लिए दावेदारी पेश कर सकता है
18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होकर 3 जुलाई तक चलेगा। 26 जून से लोकसभा स्पीकर के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। ऐसी खबरें हैं कि भाजपा ओम बिड़ला को दूसरी बार स्पीकर बना सकती है। जबकि भाजपा की सहयोगी पार्टियां- चंद्रबाबू नायडू की TDP और नीतीश कुमार की JDU- भी स्पीकर पद मांग रही हैं।

इधर विपक्षी खेमा I.N.D.I.A गुट भी लोकसभा में मजबूत स्थिति में है। ऐसे में उसे उम्मीद है कि डिप्टी स्पीकर पद विपक्ष के किसी सांसद को मिलेगा। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर विपक्ष के सांसद को डिप्टी स्पीकर पद नहीं मिलता है तो विपक्षी खेमा स्पीकर पद के लिए अपना उम्मीदवार उतारेगा।

डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की परम्परा रही है। 16वीं लोकसभा में NDA में शामिल रहे अन्नाद्रमुक के थंबीदुरई को यह पद दिया गया था। जबकि, 17वीं लोकसभा में किसी को भी डिप्टी स्पीकर नहीं बनाया गया था। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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1999 में स्पीकर ने विशेष अधिकार का इस्तेमाल किया और एक वोट से अटल सरकार गिर गई थी। ये एक उदाहरण स्पीकर पद की अहमियत बताने के लिए काफी है। 2024 लोकसभा चुनाव के बाद ये पद एक बार फिर चर्चा में है। नतीजों में BJP को बहुमत नहीं मिला। वो चंद्रबाबू नायडू की TDP और नीतीश कुमार की JDU के सहारे सरकार बनाने जा रही है।

इस बीच खबरें आ रही हैं कि दोनों ही पार्टियां स्पीकर पद के लिए अड़ी हैं। स्पीकर का पद कितना ताकतवर होता है; सहयोगी दलों को सांसद टूटने का डर या कोई और वजह, आखिर क्यों बनाना चाहते हैं अपना स्पीकर…पूरी खबर यहां पढ़ें…

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