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कानपुर/वाराणसी/प्रयागराजएक घंटा पहले
कानपुर, प्रयागराज और वाराणसी में गंगा-यमुना उफान पर हैं। प्रयागराज में यमुना-गंगा दोनों खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। प्रयागराज में शनिवार सुबह गंगा से सटे सलोरी इलाके में मगरमच्छ सड़क पर आ गया। 10-12 फीट लंबे मगरमच्छ को देखकर लोग डरकर छतों पर चढ़ गए।
इलाके में सभी ने अपने दरवाजे बंद कर लिए। तुरंत पुलिस और वन विभाग को सूचना दी। वन विभाग की टीम आई तो मगरमच्छ को पकड़ने में उनके पसीने छूट गए। काफी मशक्कत के बाद मगरमच्छ को पकड़कर वापस गंगा में छोड़ा गया।
प्रयागराज में गंगा से सटे सलोरी इलाके में शनिवार को मगरमच्छ आ गया। करीब 10 फीट लंबे मगरमच्छ को देखकर लोग डर गए। छतों पर चढ़ गए।
वाराणसी में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 24 सेमी ऊपर है। मर्णिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पानी में डूब गए हैं। दाह संस्कार अब गलियों में हो रहा है। इस कारण दाह संस्कार में काफी वक्त लग रहा है। कानपुर में भी यमुना का जलस्तर बढ़ा है। घाटमपुर तहसील से गुजर रहीं यमुना नदी का पानी कई गांवों में अंदर तक घुस गया। यमुना में उफान के चलते कानपुर बांदा स्टेट हाईवे पर वाहनों का आवागमन बंद कर दिया गया है।
अब आइए आपको तीनों शहरों से बाढ़ का हाल बताते हैं…
ये आंकड़े सुबह 8 बजे के हैं।
1- वाराणसी में अभी और बढ़ेगा गंगा का लेवल
वाराणसी में अब गंगा डराने लगी हैं। गंगा में आई बाढ़ के कारण वरुणा नदी भी रौद्र रूप में हैं। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार की सुबह गंगा का जलस्तर 71.50 मीटर दर्ज किया गया। यह गंगा के डेंजर लेवल यानी 71.26 से 24 सेंटीमीटर ज्यादा है। आज गंगा का जलस्तर प्रति घंटे दो सेंटीमीटर की दर से बढ़ रहा है। यहां मर्णिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पानी में डूब गए हैं। दाह संस्कार अब गलियों में किया जा रहा है।
ये तस्वीर वाराणसी में दशाश्वमेध घाट पर शनिवार सुबह की है। यहां बाढ़ आने से पुलिस चौकी जलमग्न हो गई है।
ये तस्वीर हरिश्चंद्र घाट की है। शवदाह के लिए लोगों को गलियों में जाना पड़ रहा है।
ये हाल हरिश्चंद्र घाट का है। गंगा का जलस्तर बढ़ने से गलियों और सड़कों पर शवदाह हो रहे हैं।
वाराणसी में इससे पहले 9 सितंबर 1978 को सबसे ज्यादा बाढ़ आई थी। उस दिन गंगा का जलस्तर 73.901 मीटर दर्ज किया गया था। गंगा में आई बाढ़ और वरुणा के उफनाने के कारण शहर से लेकर गांवों तक अब तक तकरीबन 2 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। केंद्रीय जल आयोग का मानना है कि अभी जलस्तर के स्थिर होने की संभावना नहीं है। चंबल सहित अन्य नदियों में आई बाढ़ के कारण वाराणसी में अभी गंगा का जलस्तर और बढ़ेगा। यानी अभी खतरा और है। बाढ़ का पूरा अपडेट यहां पढें…
प्रयागराज में गंगा-यमुना खतरे के निशान से पार, हजारों छात्रों ने छोड़ा घर
प्रयागराज में शनिवार सुबह सलोरी एरिया में मगरमच्छ दिखा। गंगा का जलस्तर बढ़ने से मगरमच्छ तैरते हुए गली में आ गया। शनिवार को ही गंगा और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया। सुबह 8 बजे गंगा जी खतरे का निशान पार कर गईं जबकि यमुना करीब तीन बजे के बाद खतरे के निशान से उपर पहुंच गई हैं।
ये तस्वीर प्रयागराज की है। यहां सड़कों पर पानी भरने के साथ पानी में तैरते हुए मगरमच्छ आ गया।
गंगा का जलस्तर 84.94 मीटर पहुंच गया है जबकि खतरे का निशान 84.73 मीटर पर ही है। यहां 10 से ज्यादा इलाकों में पानी भर गया है। गंगा अपने खतरे के निशान से 21 सेमी ऊपर बह रही हैं।
ये तस्वीर प्रयागराज में शनिवार सुबह की है। गंगा से सटे इलाकों में एक-एक मंजिल तक पानी में डूब गई है।
ये तस्वीर प्रयागराज की है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में NDRF की टीम ने राहत सामग्री बाटीं। जिन लोगों के घर दो मंजिला है वह ऊपरी मंजिल या छतों में शिफ्ट हो गए हैं।
ये तस्वीर प्रयागराज में रसूलाबाद घाट की है। गंगा का जलस्तर बढ़ने से श्मशान घाटों में पानी भर गया है। दाह संस्कार अब सड़कों पर किया जा रहा है।
प्रयागराज में इसके पहले 2013 में और उसके पहले 1978 में गंगा और यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया था। तब शहर के अधिकांश इलाके पानी से भर गए थे। लोग घर छोड़कर कहीं और शिफ्ट हाे गए थे। अब 2022 में एक बार भी 1978 और 2013 जैसी स्थिति होने के संकेत मिल रहे हैं।
कानपुर में यमुना उफान पर, कई गांव बाढ़ में डूबे
कानपुर में यमुना नदी उफान पर है। घाटमपुर तहसील के यमुना किनारे के गांव पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। घाटमपुर तहसील के अमीरतेपुर, मोहटा, गड़ाथा और कई गांव टापू बन गए हैं। आलम यह है कि विद्यालय, शौचालय और घर डूबे हुए हैं। लोग जान बचाने की गुहार लगा रहे हैं। मवेशियों को बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। वहीं, डीएम विशाख जी ने बाढ़ के हालातों का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं।
कानपुर के गड़ाथा गांव में 8 फीट तक पानी चढ़ गया है। पेड़ भी डूब गए हैं। गांव के लोग दूसरी जगहों पर शिफ्ट हो गए हैं।
8 फीट तक चढ़ा जलस्तर, घर डूबे
गड़ाथा गांव में यमुना का पानी 8 फीट तक चढ़ गया है। पूरा गांव चारों तरफ पानी से घिरा गया है। लोग घरों की छतों पर डेरा डाले हुए हैं। गांव में आना-जाना सिर्फ नाव से संभव हो पा रहा है। पेड़ भी डूब गए हैं। वहीं घर, गांव, खेत सब पानी में समा गया है। लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट कराया जा रहा है।
मग्गनपुरवा गांव किनारे कटान से गंगा में गिरे पेड़।
गंगा किनारे भी बाढ़ का खतरा
कानपुर में सिर्फ यमुना नहीं, पहाड़ों में लगातार हो रही बारिश से गंगा का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है। गंगा किनारे बसे मग्गनपुरवा गांव में कटान शुरू हो गई है। कटान से यहां 7 पेड़ गंगा में समा गए। वहीं, गांव वालों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। कानपुर अपस्ट्रीम में गंगा का जलस्तर 112.90 मीटर तक पहुंच गया है जो चेतावनी बिंदु से महज 10 सेमी. दूर है। इसके बाद गांव में रहने वाले कई लोग घर छोड़कर दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हैं।
कानपुर में गंगा किनारे तेजी से कटान शुरू हो गई है। आसपास के गांव के लोगों ने गांव छोड़ दिया है। वह सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट हो गए हैं।
कानपुर में लगातार बढ़ रहा गंगा का जलस्तर
सिंचाई विभाग के गेज रीडर उत्तम पाल ने बताया कि बीते 16 घंटों में गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। बैराज के सभी 20 गेट पहले 80 सेमी. खोले गए थे। लेकिन पीछे से आ रहे पानी को देखते हुए सभी गेट 20 सेमी. और ऊपर कर दिए गए हैं। अब 1 मीटर पर गेट खुले हुए हैं। पानी तेजी से बैराज से छोड़ा जा रहा है। करीब 18 सेमी. जलस्तर बढ़ा है।
चैनपुरवा में घुसता है सबसे पहले पानी
गंगा में जब बाढ़ आती है तो कानपुर में चैनपुरवा, देवनीपुरवा, घारमखेड़ा, गंगा रामपुर, लोधवा खेड़ा, प्रतापपुर हरी गांवों के लोगों को पलायन करना पड़ता है। इसी तरह पांडु नदी में बाढ़ आने पर मेहरबान सिंह का पुरवा व आसपास के मोहल्लों के घरों में भी पानी घुसता है। बाढ़ को देखते हुए बाढ़ चौकियां स्थापित कर दी गई हैं। जरूरत पड़ने पर वहां लोगों को रखा जाएगा।
डीएम और एसपी आउटर ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का नाव से किया था दौरा।
फर्रुखाबाद में 40 गांव के लिए बाढ़ का पानी बना मुसीबत
फर्रुखाबाद में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के पास पहुंचने से लगभग 40 गांव में बाढ़ का पानी भर गया है। कई गांव पानी से घिर गए हैं। चार से पांच गांव में आवागमन के लिए नाव चल रही हैं। बाढ़ का पानी मुसीबत बन गया है। बाढ़ का पानी अमृतपुर के गांव रामपुर, जागराजपुर, उदयपुर, लायकपुर, सबलपुर,ऊगरपुर सहित चार अन्य गांव के स्कूलों में भर गया है। इससे शैक्षिक कार्य ठप है।
ये तस्वीर फर्रुखाबाद की है। यहां बाढ़ का पानी बढ़ने से लोगों को नाव के सहारे एक जगह से दूसरी जगह जाना पड़ रहा है।