पिता की जगह बेकसूर को जेल भिजवाया: पत्नी-बेटे को अगवा करने की दी थी धमकी; फरार नटवरलाल ने कोर्ट को भी दिया धोखा – Madhya Pradesh News

‘कोर्ट में जैसे ही मैंने अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी के नाम से दस्तखत किए, पुलिस ने हथकड़ी लगा दी। मुझे बोलने का मौका दिए बगैर जेल पहुंचा दिया गया। जेल में मालूम पड़ा कि मुझे धोखाधड़ी के दो अलग-अलग मामलों में 5-5 साल की सजा हुई है। मैं कहता रहा कि

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दो साल पहले हुए इस वाकये को कोमल प्रसाद पांडे आज भी याद करते हैं तो सिहर जाते हैं। जिस मामले में वो दोषी नहीं थे, उसमें उन्हें 84 दिन जेल में गुजारना पड़े। जमानत मिलने के बाद उन्होंने सीधे जबलपुर के तत्कालीन एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा को पूरा वाकया बताया था।

ये भी बताया था कि इसी तरह के दो और केस में निर्दोष लोग जेल की सजा काट रहे हैं। पूरे मामले का इन्वेस्टिगेशन हुआ तो पता चला कि अमित खम्परिया नाम के शातिर बदमाश ने आरोपियों की अदला-बदली कर कोर्ट के साथ धोखाधड़ी की है।

अमित खम्परिया के खिलाफ हत्या, मारपीट, चोरी और धोखाधड़ी समेत 17 मामले दर्ज हैं। दो मामलों में कोर्ट उसे सजा सुना चुका है, 4 मामलों की जांच चल रही है। 11 मामले कोर्ट में लंबित हैं। वह एमपी का ऐसा नटवरलाल है, जिसने टोल प्लाजा में पार्टनर बनाने के नाम पर मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी की है।

दो साल पहले पुलिस ने अमित खम्परिया को गिरफ्तार किया था। हाईकोर्ट से उसे जमानत मिल गई, इसके बाद से वह पुलिस को चकमा दे रहा है। खम्परिया एक बार फिर सुर्खियों में इसलिए है क्योंकि उसकी गिरफ्तारी पर पिछले दिनों 1 लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया है।

कैसे 36 साल का अमित खम्परिया टोल ठेकेदार से नटवरलाल बन गया? आखिर पुलिस उसे क्यों तलाश नहीं कर पा रही है? पढ़िए ये रिपोर्ट…

पहले जानिए, अमित चतुर्वेदी कैसे बना अमित खम्परिया

अमित खम्परिया मूलत: उमरिया जिले के टिकुरी गांव का रहने वाला है। पिता अनिरूद्ध प्रसाद चतुर्वेदी वन विभाग में डिप्टी रेंजर से रिटायर हैं। तीन भाइयों में दूसरे नंबर का अमित पहले चतुर्वेदी सरनेम लगाता था।

2009 में वह उमरिया छोड़कर जबलपुर संजीवनी नगर में अपने मामा प्रकाश खम्परिया के पास आकर रहने लगा। प्रकाश खम्परिया टोल टैक्स का ठेका चलाते थे। अमित भी उनके साथ इस धंधे में जुड़ गया।

बताते हैं कि अमित चतुर्वेदी पर जबलपुर आने से पहले उमरिया व सतना में कई मामले दर्ज थे। पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए जबलपुर आकर अमित अपने नाम के साथ खम्परिया सरनेम लगाने लगा।

इसी नाम से उसने वोटर आईडी, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि दस्तावेज भी बनवा लिए। अमित खम्परिया के खिलाफ पहली एफआईआर 2010 में जबलपुर के भेड़ाघाट थाने में हत्या का प्रयास, मारपीट, बलवा का दर्ज हुआ। ये प्रकरण अभी कोर्ट में लंबित है।

अमित खम्परिया 2018 में जबलपुर उत्तर सीट से सर्व समाज कल्याण पार्टी के टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ चुका है।

अमित खम्परिया 2018 में जबलपुर उत्तर सीट से सर्व समाज कल्याण पार्टी के टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ चुका है।

पहला ठेका मंडला में लिया, कान्हा जाने वाले पर्यटकों से अवैध वसूली की

मामा प्रकाश खम्परिया के सहयोग से 2010-11 में उसने मंडला जिले के खटिया थाना क्षेत्र में इंद्री गांव के पास कन्हार नदी पर बने टोल का ठेका लिया था। ये रोड कान्हा नेशनल पार्क को जोड़ती है। अमित ने टोल ठेके में बैंक गारंटी, सम्पत्ति से जुड़े दस्तावेज पिता अनिरूद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी, मौसा रामजी द्विवेदी के नाम के लगाए थे। अमित और टोल ठेके पर मौजूद उसके गुर्गे कान्हा नेशनल पार्क जाने वाले पर्यटकों से तय राशि की बजाय तीन से चार गुना अधिक टोल टैक्स वसूलने लगे।

31 मई और 7 जून 2011 को उसके खिलाफ खटिया थाने में धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े की शिकायत दर्ज करवाई गई थी। इस मामले में पुलिस ने अमित खम्परिया के साथ पिता अनिरूद्ध प्रसाद, मौसा रामजी द्विवेदी, दशरथ प्रसाद तिवारी, गौरव माली, अनूप उर्फ अरुण जयसवाल, उमेश पांडे, मोनू दुबे को आरोपी बनाया था।

धोखाधड़ी के दोनों प्रकरणों में तृतीय सत्र न्यायाधीश डीआर अहिरवार की कोर्ट ने 22 सितंबर 2021 को पांच-पांच साल का कठोर कारावास और 1-1 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया था।

2022 में पुलिस ने गिरफ्तार किया, हाईकोर्ट से मिली जमानत

धोखाधड़ी के इस मामले में पुलिस को अमित खम्परिया के साथ गौरव माली, रज्जन ठाकुर, अमित पांडे, श्रीकांत शुक्ला, शनि ठाकुर, अजय बाल्मीकी की तलाश थी। 24 फरवरी 2022 को अमित खम्परिया को भी मंडला पुलिस ने कटनी-उमरिया मार्ग से गिरफ्तार कर लिया था।

गिरफ्तारी के बाद अमित खम्परिया के दिल में अचानक दर्द उठा। इसके बाद उसे मंडला जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में रहते हुए उसने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की थी। मार्च 2022 के पहले सप्ताह में ही उसे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। इसके बाद से अमित खम्परिया फरार चल रहा है।

पुलिस पर आरोप लगे थे कि अस्पताल में भर्ती होने के बाद खम्परिया को वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया था।

पुलिस पर आरोप लगे थे कि अस्पताल में भर्ती होने के बाद खम्परिया को वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया था।

कोर्ट को दिया धोखा, पिता-मौसा की जगह दूसरों को जेल पहुंचाया

कोर्ट ने अमित के पिता और मौसा को भी पांच-पांच साल की सजा सुनाई थी। उन्हें जेल जाने से बचाने के लिए उसने ऐसे लोगों को जेल पहुंचा दिया, जिन्होंने इस अपराध को अंजाम ही नहीं दिया था। इसका खुलासा 13 अप्रैल 2022 को कोमल प्रसाद पांडे ने किया था। पांडे जेल से छूटने के बाद तत्कालीन एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा से मिलने पहुंचे थे।

कोमल ने खुलासा किया था कि वह किसी दूसरे की सजा काटकर जमानत पर आया है। कोमल के मुताबिक 14 सितंबर 2021 को अमित का मामा श्यामसुंदर खम्परिया उनके पास आया। कहा, उसे अमित खम्परिया बुला रहे हैं। वह अमित से मिलने जबलपुर के संजीवनी नगर ऑफिस पहुंचा।

वहां बताया गया कि नैनपुर तक चलना है, कुछ काम है। दूसरे दिन उसे मदन महल साइकिल स्टैंड से चार-पांच अन्य लोगों के साथ कार से नैनपुर ले जाया गया। यहां अमित कोर्ट ले गया। बोला- एक केस में गवाही है। रजिस्टर में तुम मेरे पिता अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी के नाम से दस्तखत कर देना।

कोमल पांडे ने कहा कि जब मैंने पत्नी को सारी बात बताई तो उसने इसका विरोध किया और न जाने की सलाह दी। दो दिन बाद अमित ने फिर बुलाया कहा- 22 सितंबर को फिर दस्तखत करने जाना है। जब मैंने मना किया तो धमकाते हुए गुर्गों से बोला- ये दस्तखत करने न जाए, तो इसके बच्चे और पत्नी को उठा लाना।

कोमल पांडे न चाहते हुए भी उसके साथ गया। रास्ते भर उसे धमकाया गया। कोमल के मुताबिक नैनपुर कोर्ट पहुंचने पर जैसे ही उसने अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी के नाम से दस्तखत किए। हाथों में हथकड़ी लगा दी गई। बोलने का मौका दिए बिना जेल पहुंचा दिया गया।

84 दिन बाद अमित खम्परिया ने ही जमानत करवाई

कोमल ने बताया कि जेल में उसे मालूम पड़ा कि उसे धोखाधड़ी के दो मामलों में पांच-पांच साल की सजा हुई है। जेल में वह कहता रहा- मेरा नाम कोमल पांडे है, पर किसी ने नहीं सुनी। सभी कहते थे कि तुम झूठ बोल रहे हो। तुम्हारा नाम अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी है। आधार कार्ड में भी यही नाम दर्ज है।

जब मैंने पूरी बात बताई, तो कहा गया कि अब जमानत पर छूटने के बाद कोर्ट में बताना। 84 दिन बाद अमित खम्परिया ने ही हाईकोर्ट के बड़े वकील के माध्यम से उसकी जमानत कराई, तो वह बाहर आ सका।

अमित ने कोमल की तरह ही अपने मामा श्यामसुंदर खम्परिया को मौसा रामजी द्विवेदी की जगह और दशरथ प्रसाद तिवारी की जगह विराट तिवारी निवासी ग्वारीघाट को जेल भिजवाया था। कोमल के इस खुलासे के बाद जबलपुर एसपी ने मंडला पुलिस और नैनपुर कोर्ट को इस प्रकरण से अवगत कराया।

कोर्ट के आदेश पर नैनपुर थाने में दो एफआईआर अमित खम्परिया, उसके पिता अनिरूद्ध प्रसाद चतुर्वेदी, मौसा रामजी द्विवेदी, मौसा श्यामसुंदर खम्परिया व विराट तिवारी सहित अन्य के खिलाफ दर्ज हुआ। इन दोनों केस में अमित सहित उसके पिता, मौसा व अन्य आरोपियों पर मंडला पुलिस ने 10 हजार का इनाम घोषित किया है। इसी प्रकरण में आईजी ने 30 हजार का इनाम घोषित किया है।

अब टोल प्लाजा में पार्टनर बनाकर की गई ठगी के बारे में सिलसिलेवार पढ़िए..

9 जनवरी 2024 : टोल प्लाजा में पार्टनर बनाने का झांसा देकर 1.21 करोड़ की ठगी

  • अमित ने सचिन गुप्ता और डिबई बुलंदशहर यूपी निवासी घनेंद्र सिंह को टोल प्लाजा में पार्टनर बनाने का झांसा देकर 1.21 करोड़ रुपए ठगे।
  • आरोपी खम्परिया ने बेलोन टोला नाका यूपी में पैसे लगाने पर 40 प्रतिशत हिस्सेदारी देने की बात कही थी।
  • इसका टोल ठेका समाप्त होने पर भी आरोपी ने पैसे नहीं लौटाए। उसने बताया कि उनके पैसे पेनाल्टी में डूब गए।

24 फरवरी 2022 : रियल एस्टेट कारोबारी को ठगा

  • जबलपुर के मदनमहल थाने में सचिन गुप्ता ने 48 लाख रुपए की ठगी का प्रकरण दर्ज कराया है। अमित ने उन्हें भी टोल प्लाजा में पार्टनर बनाने का लालच दिया था।
  • इंटीरियर डिजाइनिंग व रियल एस्टेट कारोबारी सचिन गुप्ता को उसने जबलपुर के बरेला और उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित ऐंधी टोल प्लाजा में पार्टनर बनाने का झांसा दिया था।
  • इसके एवज में 1.26 करोड़ रु. लिए थे। 78 लाख उसने किसी तरह वापस किए, लेकिन शेष रकम वापस नहीं की।

21 अप्रैल 2022 : दो करोड़ ठगी की शिकायत

  • अमित खम्परिया के खिलाफ यूपी के 80 वर्षीय बुजुर्ग सहसीपुर भदोही निवासी गोपीकृष्ण माहेश्वरी ने दो करोड़ की ठगी की एफआईआर संजीवनी नगर थाने में दर्ज कराई।
  • अमित ने गोपीकृष्ण को यूपी के कुंवरपुर टोल प्लाजा में पार्टनर बनाने का झांसा दिया था। इस टोल का ठेका 3 करोड़ 38 लाख का था।
  • अमित ने उसे एग्रीमेंट करने जबलपुर के संजीवनी नगर कार्यालय बुलाया था। कुंवरपुर टोल प्लाजा का ठेका समाप्त होने के बावजूद जब उनके पैसे नहीं मिले तो वे फिर खम्परिया के ऑफिस पहुंचे।
  • वहां बताया गया कि घाटा होने और किस्त देरी से जमा करने पर पेनाल्टी में रकम डूब गई। उसने धमका कर एग्रीमेंट रद्द करने के कागज पर जबरन हस्ताक्षर भी करा लिए।
दो साल पहले अमित खम्परिया के दाहिने हाथ कहे जाने वाले अमित द्विवेदी ने सरेंडर कर दिया था। वह उसके हर गुनाह में शामिल था।

दो साल पहले अमित खम्परिया के दाहिने हाथ कहे जाने वाले अमित द्विवेदी ने सरेंडर कर दिया था। वह उसके हर गुनाह में शामिल था।

इसी साल मई में कोर्ट ने संपत्ति कुर्क करने का आदेश भी दिया

अमित खम्परिया दो साल से फरार है। उसकी गिरफ्तारी न होने पर मंडला व जबलपुर एसपी के साथ आईजी ने उस पर अलग-अलग कुल 60 हजार का इनाम घोषित किया है। वहीं ठगी के शिकार पीड़ितों ने भी 50 हजार का इनाम देने की बात कही है।

वहीं इसी साल मई में प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी कोर्ट ने अमित खम्परिया की संपत्ति की जानकारी जुटाने और कुर्क करने का आदेश भी दिया है। मंडला पुलिस का कहना है कि कोर्ट के सामने गलत लोगों को प्रस्तुत कर उन्हें जेल भिजवाने के मामले में अमित खम्परिया आरोपी है।

इस केस में अन्य 7 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। अमित सहित तीन फरार हैं। हर एक केस में सभी पर 10-10 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया है।