पानीपत पहुंचा शहीद मेजर आशीष का पार्थिव शरीर: पहले TDI सिटी में उनके नए घर लाया गया; पैतृक गांव बिंझौल में होगा अंतिम संस्कार

पानीपत2 मिनट पहले

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पानीपत में टीडीआई स्थित नव निर्मित मकान में लाया गया शहीद मेजर आशीष का पार्थिव शरीर। - Dainik Bhaskar

पानीपत में टीडीआई स्थित नव निर्मित मकान में लाया गया शहीद मेजर आशीष का पार्थिव शरीर।

कश्मीर के अनंतनाग जिले के राजौरी में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए मेजर आशीष धौंचक (36) का पार्थिव शरीर शुक्रवार सुबह पानीपत पहुंचा। सेना की गाड़ी में पार्थिव शरीर को सबसे पहले TDI सिटी स्थित उनके नव निर्मित मकान में लाया गया।

ये मकान उनके सपनों का मकान था। क्योंकि 2 साल से चल रहे इस मकान के निर्माण कार्य की देख-रेख खुद आशीष ही कर रहे थे। जिस मकान में उन्होंने खुशियों के साथ अक्टूबर माह में अपने जन्मदिन पर जागरण के साथ गृह प्रवेश करना था। आज उस मकान में उसके पार्थिव शरीर को लाया गया है।

TDI के बाद उनके पार्थिव शरीर को पैतृक गांव बिंझौल ले जाया जाएगा। जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

फूलों से सजे आर्मी के ट्रक में शहीद मेजर आशीष के पार्थिव शरीर को उनके नए घर में लाया गया।

फूलों से सजे आर्मी के ट्रक में शहीद मेजर आशीष के पार्थिव शरीर को उनके नए घर में लाया गया।

पार्थिव शरीर देख बिलख पड़ा परिवार
बुधवार रात को पता लगने के बाद से खुद को मजबूत कर रही मां, बेटे का पार्थिव शरीर देख बिलख पड़ी। खुद को रोने से नहीं रोक पाई। मां के अलावा भी पूरा परिवार फूट-फूटकर रोने लगा।

मेजर आशीष को इसी साल 15 अगस्त को उनकी बहादुरी के लिए सेना मेडल दिया गया था। 15 अगस्त, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें ये मेडल दिया था। मेजर आशीष भी 19 राष्ट्रीय राइफल्स के सिख लाइट इन्फैंट्री में तैनात थे।

मेजर आशीष 2 साल की बेटी वामिनी के पिता थे। उनकी पत्नी ज्योति भी गृहिणी है। उनका परिवार अभी सेक्टर 7 में किराए के मकान में रहता है। मेजर का सपना था कि अपने खुद के घर में रहें। इसके लिए उन्होंने TDI सिटी में अपना नया घर बनवाया था।

शहीद आशीष के चाचा दिलावर के बेटे मेजर विकास के गले लग कर रोते पिता लालचंद और उनकी मां कमला।

शहीद आशीष के चाचा दिलावर के बेटे मेजर विकास के गले लग कर रोते पिता लालचंद और उनकी मां कमला।

4 महीने पहले परिवार से मिलकर गए थे
मेजर आशीष की शादी 15 नवंबर 2015 को जींद की रहने वाली ज्योति से हुई थी। 4 महीने पहले 2 मई को अर्बन एस्टेट में रहने वाले साले विपुल की शादी में छुट्टी लेकर घर आए थे। यहां वे 10 दिन रहे और इसके बाद वह ड्यूटी पर लौट गए। उनका परिवार पहले पैतृक गांव बिंझौल में ही रहता था। हालांकि 2 साल पहले वह शहर में शिफ्ट हो गए थे।

3 बहनों के इकलौते भाई थे मेजर, चचेरा भाई भी मेजर
मेजर आशीष 3 बहनों के इकलौते भाई थे। उनकी तीनों बहनें अंजू, सुमन और ममता शादीशुदा हैं। उनकी मां कमला गृहणी और पिता लालचंद NFL से सेवामुक्त हुए हैं। उनके चाचा का बेटा विकास भी भारतीय सेना में मेजर हैं। उनकी पोस्टिंग झांसी में है लेकिन आजकल वह पूना में ट्रेनिंग पर हैं।

लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे, प्रमोट होकर मेजर बने
आशीष ने केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई की। 12वीं के बाद उन्होंने बरवाला के कॉलेज से बीटेक इलेक्ट्रोनिक किया। जिसके बाद वह एमटेक कर रहे थे। इसका एक साल पूरा हुआ था कि 25 साल की उम्र में 2012 में भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे।

इसके बाद वह बठिंडा, बारामूला और मेरठ में तैनात रहे। 2018 में प्रमोट होकर मेजर बन गए। ढाई साल पहले उन्हें मेरठ से राजौरी में पोस्टिंग मिली। जिसके बाद वह परिवार को साथ नहीं ले गए। उन्होंने पानीपत के सेक्टर 7 में मकान लिया और उन्हें यहां छोड़ दिया।

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