- Hindi News
- National
- Delhi High Court Reserves Order On Doctors’ Plea Against Patanjali’s COVID Drug Claims
नई दिल्ली32 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
![डॉक्टरों की एसोसिएशन ने 2021 में बाबा रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ यह याचिका दाखिल की थी। - Dainik Bhaskar](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/05/21/dcsdfdsf1714411626_1716309661.png)
डॉक्टरों की एसोसिएशन ने 2021 में बाबा रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ यह याचिका दाखिल की थी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को पतंजलि और बाबा रामदेव के खिलाफ डॉक्टरों की कई एसोसिएशन की तरफ से दाखिल याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। डॉक्टरों ने यह याचिका कोरोना को लेकर पंतजलि आयुर्वेद के दावों के खिलाफ दाखिल की थी। बाबा रामदेव ने कहा था कि कोरोनिल सिर्फ इम्युनिटी बूस्टर नहीं बल्कि कोविड-19 ठीक करने की दवा है। ।
डॉक्टरों की एसोसिएशन ने 2021 में बाबा रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ यह याचिका दाखिल की थी। डॉक्टरों ने पतंजलि के दावे के संबंध में अलग-अलग मीडिया प्लेटफॉर्म्स से कोरोनिल से जुड़े बयानों को हटाने की अंतरिम राहत की मांग की थी।
डॉक्टरों की याचिका में अपील- कोरोनिल को इम्युनो बूस्टर का लाइसेंस मिला था
डॉक्टरों की तरफ से दाखिल केस के मुताबिक, रामदेव ने कोरोनिल को कोविड की दवा बताते हुए कई भ्रामक दावे किए थे। जबकि, उन्हें कोरोनिल के लिए सिर्फ इम्यूनो-बूस्टर होने का लाइसेंस मिला था। डॉक्टरों की तरफ से वकील ने यह मांग भी की पतंजलि आयुर्वेद और बाबा रामदेव को भविष्य में ऐसे बयान देने से रोकने के लिए निर्देश देने की भी मांग की।
रामदेव के वकील ने कहा कि भ्रामक विज्ञापनों को लेकर पंतजलि ने सुप्रीम कोर्ट में जो बयान दर्ज कराए हैं, वे उन पर कायम हैं और हाईकोर्ट में उन बयानों को दोहरा सकते हैं।
इस पर डॉक्टरों के वकील ने कहा कि पंतजलि ने सुप्रीम कोर्ट में यह वादा किया था कि वे बिना सोचे समझे ऐसे बयान नहीं देगी, जो कानून के मुताबिक न हों। कोरोनिल का मामला उस ममाले से अलग है, लिहाजा इस मामले में हाईकोर्ट को फैसला सुनाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन केस में फैसला सुरक्षित रखा
14 मई की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट से बाहर निकलते योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 14 मई को भ्रामक विज्ञापन केस में योग गुरु रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद को भेजे अवमानना नोटिस पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। साथ ही दोनों को व्यक्तिगत पेशी से छूट दी थी। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद को एफिडेविट फाइल करने के लिए 3 हफ्ते का वक्त दिया था।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के प्रेसिडेंट डॉ. आरवी अशोकन से कहा- अभिव्यक्ति की आजादी ठीक है, लेकिन कभी-कभी इंसान को संयमित भी होना पड़ता है। आप सोफे पर बैठकर अदालत के बारे में कुछ भी नहीं कह सकते। अगर दूसरा पक्ष इस तरह की टिप्पणी करता तो आप क्या करते? आप दौड़कर कोर्ट पहुंच जाते। अशोकन ने बिना शर्त माफी मांगी। पूरी खबर यहां पढ़ें…
ये खबर भी पढ़ें…
पंतजलि की दवाओं के लाइसेंस पर लगा बैन हटा:उत्तराखंड सरकार ने 14 प्रोडक्ट्स का लाइसेंस रद्द किया था; कमेटी की रिपोर्ट के बाद आदेश रोका
उत्तराखंड सरकार ने अपने उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी के 14 प्रोडक्ट का लाइसेंस रद्द किया गया था। 17 मई को राज्य सरकार ने इस आदेश पर अंतरिम स्टे लगा दिया।
एक हाई लेवल कमेटी की तरफ से शुरुआती जांच रिपोर्ट पेश करने के बाद सरकार ने अपने आदेश पर रोक लगाई है। उत्तराखंड सरकार के आयुष मंत्रालय के सचिव पंकज कुमार पांडे ने एक ऑर्डर में इस बात की जानकारी दी है। पूरी खबर यहां पढ़ें…