न यूनिवर्सिटी की फीस बढ़ती…न वीसी पर हाथ उठता: जिस कोर्स की फीस 18 हजार थी, उसकी 50 हजार हुई, छात्रों का आरोप-भ्रष्टाचार में लिप्त हैं कुलपति

एक घंटा पहलेलेखक: राजेश साहू

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दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी। जिसे इसी साल की 16 जनवरी को नैक की ओर से 3.78 CGPA मिला और वह देश की टॉप यूनिवर्सिटी में शामिल हो गई। इतने नंबर कभी JNU और जामिया को भी नहीं मिले। ठीक 6 महीने बाद यूनिवर्सिटी में छात्रों और कुलपति के बीच जो हुआ उसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। यूनिवर्सिटी के अंदर जमकर मारपीट हुई। छात्रों ने कुलपति और कुल सचिव को पीट दिया, तो दूसरी तरफ पुलिस वालों ने छात्रों को दौड़ा-दौड़ाकर लाठियों से पीटा।

छात्रों के इस उग्र आंदोलन की वजह यूनिवर्सिटी में फैली अनियमितता, दो गुना से ज्यादा बढ़ाई गई फीस, परीक्षा परिणामों में लेट लतीफी और गलत तरीके से हो रही नियुक्ति थी। 21 जुलाई को हुई मारपीट की घटना पर किसी तरह का परसेप्शन बनाने से पहले हमें इसकी वजह जाननी होगी। वजह जानने दैनिक भास्कर की टीम यूनिवर्सिटी कैंपस पहुंची। छात्रों से बात की। उनके लगाए आरोपों की पड़ताल की। आइए सब कुछ जानते हैं…

जिस कोर्स की फीस 18 हजार थी उसकी अब 50 हजार हुई
गोरखपुर यूनिवर्सिटी की दो समस्या इस वक्त छात्रों के लिए सिरदर्द बनी है। पहली- फीस वृद्धि। दूसरी- समय पर डिग्री न मिलना। BBA के जिन छात्रों ने पिछले साल 18 हजार रुपए फीस जमा करके पढ़ाई की, उन्हें इस बार उसी पढ़ाई के लिए 50 हजार रुपए चुकाना होगा। अगर वह समय पर नहीं चुकाते,तो उन्हें लेट फीस भी जमा करनी होगी।

यह सिर्फ एक विषय की बात नहीं है। MBA की फीस पहले 68 हजार रुपए थी। जिसे अब बढ़ाकर सीधे 1 लाख रुपए कर दिया गया। बीएससी पहले यहां 18 हजार में पूरी हो जाती थी, उसके लिए अब 30 हजार रुपए खर्च करना पड़ेगा। समय पर फीस नहीं जमा करने पर 1 हजार रुपए लेट फीस जमा करनी होगी।

इसके अतिरिक्त यूनिवर्सिटी ने पिछले 2 साल में रजिस्ट्रेशन फीस को 20 गुना तक बढ़ा दिया। 2021 से पहले रजिस्ट्रेशन फीस 100 रुपए थी। 2021-22 सत्र में नई शिक्षा प्रणाली के बाद बदलाव हुआ। फीस को 100 से बढ़ाकर 150 रुपए किया गया। अगले सत्र में इसे 250 कर दिया गया। अजब ये कि ग्रेजुएट के कुछ कोर्स 4 साल के शुरू हुए। जिसे 8 सेमेस्टर में बांटा गया। हर सेमेस्टर का रजिस्ट्रेशन चार्ज 250 रुपए जमा करना होगा। कुल मिलाकर 2000 रुपए रजिस्ट्रेशन चार्ज में चले जाएंगे।

इस यूनिवर्सिटी की दूसरी सबसे बड़ी समस्या समय पर डिग्री नहीं दे पाना है। यूनिवर्सिटी से कुल 450 महाविद्यालय संबद्ध हैं। 2021-22 में करीब 1 लाख छात्र अपनी डिग्री पूरी करके कॉलेज से निकले। दो साल बीत जाने के बाद भी उन्हें अब तक डिग्री नहीं मिल सकी। जबकि नियम यह है कि हर साल होने वाले दीक्षांत समारोह के अवसर पर छात्रों को उनकी डिग्री दे दी जाए। पास हो चुके छात्र बताते हैं कि किसी दूसरे कॉलेज में एडमिशन लेने में या फिर कहीं नौकरी में इसकी जरूरत लगती है। नहीं होने पर नौकरी तक की संभावना खत्म हो जाती है।

  • हर 6 महीने में होने वाली प्री-पीएचडी परीक्षा यहां 2 साल बाद हुई। 2018-19 के एक भी शोधार्थी का आज तक शोध प्रबंध नहीं जमा हुआ।

पुतले से निकले डंडे की वजह से 4 छात्र निलंबित हुए

यह 13 जुलाई के प्रदर्शन की फोटो है।

यह 13 जुलाई के प्रदर्शन की फोटो है।

13 जुलाई को फीस वृद्धि वापस लेने, समय पर डिग्री देने, अवैध नियुक्तियों के खिलाफ व कॉलेज में फैली अनियमितता को लेकर ABVP कार्यकर्ताओं ने कुलपति डॉ. राजेश सिंह का पुतला फूंकने की तैयारी की। करीब 20 की संख्या में छात्रों ने पुतला जलाने के लिए माचिस निकाली तभी यूनिवर्सिटी प्रशासन से खींचतान हो गई।

गेट पर खड़े गार्डो ने पुतला खींच लिया। पुतले में इस्तेमाल डंडा ABVP के प्रदेश मंत्री सौरभ गौड़ के हाथ में रह गया। इसके बाद हंगामा हो गया। छात्रों पर आरोप लगा कि वह इस डंडे से धमकाने की कोशिश कर रहे थे। बात यूनिवर्सिटी प्रशासन तक पहुंची तो उन्होंने 4 छात्रों को निलंबित कर दिया।

इसके बाद छात्रों का आक्रोश बढ़ गया। करीब 1 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएं 18 जुलाई से एक बार फिर धरने पर बैठ गए। जो मांग पहले थी, वही इस बार भी थी लेकिन 4 छात्रों के निलंबन की वापसी हो, यह मांग भी जुड़ गई। 19 और 20 जुलाई को भी ABVP के छात्रों ने आंदोलन किया। लेकिन किसी भी दिन VC मिलने नहीं आए। 21 जुलाई को सूचना मिली की आज VV राजेश सिंह कॉलेज आए हैं इसलिए छात्रों ने तय किया कि उनके ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया जाएगा।

छात्र उनके ऑफिस के बाहर पहुंच गए। उनका ऑफिस तीसरे फ्लोर पर था। छात्र नीचे बैठकर इंतजार करने लगे। करीब दो घंटे के इंतजार के बाद वीसी निकले और छात्रों के प्रदर्शन को नजर अंदाज करके जाने लगे। कुछ छात्रों ने जाकर उन्हें घेर लिया। आरोप यह भी है कि कुछ छात्र VC से लिपट गए। इसके बाद हंगामा हो गया। VC को खींचने की कोशिश हुई। पुलिस उन्हें बचाकर आगे बढ़ती इसके पहले ही छात्र उग्र हो गए। पुलिस ने ताकत का इस्तेमाल किया जिसके बाद स्थिति मारपीट में बदल गई। छात्रों ने पुलिस पर भी हाथ छोड़ दिया।

मारपीट के जो वीडियो सामने आए उसमें कुछ छात्र रजिस्ट्रार प्रोफेसर अजय सिंह पर खिलाफ इतने उग्र हो गए कि उन्हें गिराकर पीटा। उनके ऊपर गमले फेंक दिए गए। पुलिस एक तरफ उग्र छात्रों पर हमलावर थी तो दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों को बचाने के लिए भी लगी हुई थी। प्रो. अजय सिंह की पिटाई को लेकर कुछ छात्र ऑफ कैमरा बताते हैं कि यह VC के खास हैं। इन्हें यूनिवर्सिटी में 11 प्रशासनिक पद मिले हुए हैं। हमने इसकी पड़ताल की तो यह सही मिला। जो विभाग उन्हें मिले हैं, उसे आप यहां देख सकते हैं।

ABVP की सदस्य अनन्या बताती हैं, “करीब 80 की संख्या में पहुंचे पुलिस के सिपाहियों ने लाठी चार्ज कर दिया। सबको पीटा। कुछ लोगों के हाथ में हाकी थी। हम स्थिति को भांप ही नहीं पाए। हमें लगा कि वह सुरक्षा में आए हैं लेकिन उन्होंने पीटना शुरू कर दिया।”

ABVP के ही छात्र नेता अविनाश राय मानस कहते हैं, “VC ने कहा कि मैं छात्रों से बात ही नहीं करता, स्टूडेंट डेलिगेशन से बात नहीं करता। फीस वृद्धि पर मैं किसी की सुन नहीं सकता। यह मेरी यूनिवर्सिटी है, मैं जो चाहूंगा वह करूंगा।” मानस आगे कहते हैं, यहां पूर्वांचल के गरीब छात्र पढ़ने आते हैं, उनकी फीस को 400 फीसदी बढ़ा दिया गया। इसी चीज को लेकर हमारा आंदोलन था लेकिन VC हम लोगों की सुन नहीं रहे।

  • अविनाश आरोप लगाते हैं, “यहां बीटेक की पढ़ाई करवाई जाती है, जबकि वह भारत सरकार से अप्रूव नहीं है। पढ़ाई करने के बाद जब उनकी डिग्री ही मान्य नहीं होगी तो छात्र का जीवन अंधकारमय हो जाएगा।”

न फीस बढ़ती, न कुलपति की पिटाई होती
कुछ छात्र 21 जुलाई को हुई मारपीट को लेकर कहते हैं, सारा दोष छात्रों को ही देना कहां से उचित है। हम मानते हैं कि पिटाई गलत है लेकिन वजह देखिए। अगर फीस वृद्धि नहीं होती तो क्या यह घटना होती? क्या कोई वीसी पर हाथ उठाता? हालांकि वह मानते हैं कि यह पिटाई कहीं से भी ठीक नहीं कही जा सकती।

कुलपति पर नियुक्ति को लेकर भी छात्रों के गंभीर आरोप हैं। कैंटीन, लाइब्रेरी को लेकर भी छात्रों का कहना है कि इसे लेकर लाखों का बजट खर्च किया गया लेकिन आज तक न कैंटीन बनी और न ही लाइब्रेरी में सुधार हो सका। वहां आज भी छत टूटकर गिरती है। ठेके पर काम कर रहे सफाई कर्मचारियों को महीनों सैलरी नहीं मिलती। यूनिवर्सिटी के अंदर जाएंगे तो आपको बाथरूम तक ढंग से नहीं मिलेंगे।

लॉ फैकल्टी के सामने टेंपरेरी टॉयलेट की व्यवस्था है।

लॉ फैकल्टी के सामने टेंपरेरी टॉयलेट की व्यवस्था है।

कॉलेज में हुई मारपीट की इस घटना के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 4 शिक्षकों को डिप्टी प्रॉक्टर बना दिया है। इसमें डॉ. दुर्गेश पाल, डॉ. अमित उपाध्याय, डॉ. मितू सिंह और डॉ. राजीव गुप्ता शामिल हैं। अमित गुप्ता गेट पर पास व परिचय पत्र चेक करते हैं। मितू महिला सुरक्षा और छात्रावास में अनुशासन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं। राजीव प्रशासन और आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था देख रहे हैं। दुर्गेश के जिम्मे पुरुष छात्रावास की जिम्मेदारी है।

फिलहाल मारपीट के मामले में 22 छात्र व छात्र नेताओं पर केस दर्ज हुआ है। 8 छात्रों की गिरफ्तारी हो चुकी है। पुलिस इस मामले में पक्ष नहीं बनी है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने ही मामला दर्ज करवाया है। ABVP के पदाधिकारियों को कहना है कि हम जल्द ही फिर से आंदोलन शुरू करेंगे। जब तक हमारे साथ छूट नहीं जाते, फीस वृद्धि का फैसला वापस नहीं ले लिया जाता तब तक संघर्ष जारी रहेगा।