न्यूज चैनल्स का सेल्फ रेग्युलेटरी सिस्टम सख्त हो: सुप्रीम कोर्ट ने NBDA को नई गाइडलाइन बनाने को 4 हफ्ते का समय दिया

नई दिल्ली5 मिनट पहले

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार यानी 18 सितंबर को कहा कि हम न्यूज चैनल्स की निगरानी करने वाले सेल्फ रेग्युलेटरी मैकेनिज्म को सख्त करना चाहते हैं। कोर्ट ने न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) को नई गाइडलाइन लाने के लिए और 4 सप्ताह का समय दिया है।

दरअसल, NBDA ने कहा कि हम नई गाइडलाइन्स तैयार करने के लिए अपने मौजूदा अध्यक्ष जस्टिस (रिटायर्ड) एके सीकरी और पूर्व अध्यक्ष आरवी रवीन्द्रन के साथ चर्चा कर रहे हैं। इसके जवाब में CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाल और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने ये बातें कहीं।

सरकार ने कहा- हमारे पास रेग्युलेशन के लिए थ्री लेयर सिस्टम है
सुनवाई के दौरान NBDA की ओर से कोर्ट में सीनियर एडवोकेट अरविंद दातार पेश हुए। उन्होंने नई गाइडलाइन बनाने के लिए चार हफ्ते का समय मांगा। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले ही थ्री लेयर सिस्टम बनाया रखा है, जिसमें पहला स्टेप सेल्फ रेग्युलेशन है।

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (NBFI) की पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने कहा कि NBDA के विपरीत, 2022 नियमों के अनुसार NBFI ही ऐसी रेग्युलेटरी यूनिट है जो केंद्र के साथ रजिस्टर्ड है। NBFI को भी अपने खुद के नियम दाखिल करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

21 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच से भरे टॉक शो के लिए न्यूज चैनल्स को फटकार लगाते हुए यह कमेंट किया था।

21 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच से भरे टॉक शो के लिए न्यूज चैनल्स को फटकार लगाते हुए यह कमेंट किया था।

CJI ने कहा कि हम चाहते हैं सेल्फ रेगुलेशन मैकेनिज्म को सख्त कर दिया जाए। इसको लेकर दिए गए सुझावों का स्वागत करते हैं। हालांकि, आपको (NBDA और NBFI) विचारों के मतभेद को यहां नहीं सुलझा सकते हैं। मामले पर चार हफ्ते बाद सुनवाई होगी।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने न्यूज चैनल्स की निगरानी के लिए मौजूदा सेल्फ रेग्युलेटरी मैकेनिज्म में गलती पाई थी। अदालत ने इस मसले पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था और कहा कि हम इसे और ज्यादा प्रभावी बनाना चाहते थे। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह मीडिया पर कोई सेंसरशिप नहीं लगाना चाहती।

SC ने कहा था- 15 साल से जुर्माने की रकम नहीं बढ़ी
NBDA ने सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि NBDA के वैधानिक ढांचे में कोई पारदर्शिता नहीं है। मामले में पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने न्यूज चैनल्स की खबरों पर सवाल उठाए थे।

कोर्ट ने कहा था कि न्यूज चैनल्स के सेल्फ रेग्युलेटरी मैकेनिज्म को प्रभावी बनाना जरूरी है। अगर आप लोगों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं तो ये क्राइम है। ऐसे में न्यूज चैनल्स पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाना काफी नहीं है। पिछले 15 साल से इस जुर्माने की रकम को बढ़ाने पर विचार नहीं हुआ है। जबकि जुर्माना उस शो को हुए फायदे के आधार पर होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने NBDA से कहा था- आप कह रहे हैं कि न्यूज चैनल्स ऐसे मामलों में सावधानी बरतते हैं। जबकि एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की कवरेज के दौरान कुछ न्यूज चैनल्स पक्षपाती हो गए थे। चैनल्स ने पहले ही जांच शुरू कर दी थी कि एक्टर की मौत हत्या है या आत्महत्या।

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हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट की न्यूज चैनल्स को फटकार; नफरत को रोकना एंकर की जिम्मेदारी

सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2022 में हेट स्पीच से भरे टॉक शो और रिपोर्ट टेलीकास्ट करने पर टीवी चैनलों को जमकर फटकार लगाई थी। हेट स्पीच से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बेंच ने कहा कि यह एंकर की जिम्मेदारी है कि वह किसी को नफरत भरी भाषा बोलने से रोके। बेंच ने पूछा कि इस मामले में सरकार मूकदर्शक क्यों बनी हुई है, क्या यह एक मामूली मुद्दा है? पढ़ें पूरी खबर…

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