नीति आयोग के वर्किंग पेपर से खुलासा: वेतन-भत्ते वाले 10 पेशों में सिर्फ सांसदों-विधायकों का वेतन बढ़ा; ये लिस्ट में पहले नंबर पर

नई दिल्ली7 मिनट पहलेलेखक: मुकेश कौशिक

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सांसदों-विधायकों को पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के 10 विभिन्न पेशों की पहली श्रेणी में रखा गया है। - Dainik Bhaskar

सांसदों-विधायकों को पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के 10 विभिन्न पेशों की पहली श्रेणी में रखा गया है।

नीति आयोग के जुलाई में पब्लिश वर्किंग पेपर से खुलासा हुआ है कि देश में साल 2018 से 2023 के बीच के 6 साल में सिर्फ सांसदों-विधायकों के वेतन और भत्ते ही बढ़े हैं।

इसमें कहा गया है कि सांसदों-विधायकों को पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के 10 विभिन्न पेशों की पहली श्रेणी में रखा गया है, जिनमें विधायी प्रोफेशनल्स के अलावा सीनियर ऑफिसर्स और मैनेजर्स शामिल हैं।

आयोग का यह वर्किंग पेपर विकसित भारत के लिए जॉब क्रिएटर्स को आगे लाने और प्रगति के इंजनों को सशक्त बनाने पर केंद्रित है।

इसमें EPFO और अन्य आंकड़ों के बेस पर मूल्यांकन अवधि में वेतन और भत्ते में हुई वृद्धि को भी आंका गया है। जनप्रतिनिधियों के अलावा प्लांट-मशीन वर्कर्स की श्रेणी में भी वेतन-भत्ते बढ़े हैं।

बाकी के वेतन-भत्ते में गिरावट

  • पेपर के अनुसार 2018 से 2023 के बीच सबसे बड़ा आश्चर्य यह रहा कि औपचारिक रोजगार दोगुना होने के बावजूद वेतनभोगी वर्करों की मांग उनकी सप्लाई के मुकाबले घटी है। यह निष्कर्ष ईपीएफओ के आंकड़ों के आधार पर निकाला गया है।
  • सभी प्रकार के रियल वेजेस एवं सैलरीड वर्कर्स में कमी के पैटर्न के बारे में वर्किंग पेपर ने कहा है कि ग्लोबल सप्लाई में बाधा और कमोडिटी प्राइस में उथल-पुथल इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं।
  • दूसरी ओर, कैजुअल वर्कर्स के रियल वेजेस में हर श्रेणी में बढ़ोतरी हुई है। इनमें भी क्लर्क और प्रोफेशनल्स के वेतन-भत्ते अपवाद हैं। कैजुअल लेबर के रियल वेजेस में सबसे अधिक 2.8% की बढ़ोतरी हुई, जबकि जॉब ग्रोथ सिर्फ 0.6% रही।
  • जॉब स्किलिंग में कमजोरी का संकेत यह है कि हर प्रकार के वर्कर्स में भले ही वे सेल्फ एम्प्लॉयड हों, वेतनभोगी हों या कैजुअल हों, सब में क्लर्कों के वेतन-भत्तों में गिरावट।

10 प्रमुख पेशे: कुशल और पेशेवर कामगार भी शामिल

लेबर फोर्स के दस प्रमुख पेशे

  • लेजिस्लेटर्स, सीनियर ऑफिसर, मैनेजर (लेजिस्लेटर्स में सांसद, विधायक, विधान परिषद सदस्य शामिल हैं)
  • स्किल्ड एग्रीकल्चर व फिशरी वर्कर्स
  • क्राफ्ट व संबद्ध कारोबार वर्कर
  • प्रोफेशनल्स
  • टेक्नीशियन एवं एसोसिएट प्रोफेशनल्स
  • क्लर्क
  • सर्विस वर्कर, शॉप एवं मार्केट वर्कर्स
  • प्लांट एवं मशीन ऑपरेटर
  • एलीमेंटरी ऑक्यूपेशन ऐसे वर्कर जो ऑक्यूपेशन की कैटेगरी में शामिल नहीं हैं।
  • उद्योगों के लिए अलग से 6 पेशों का वर्गीकरण किया गया है और वर्किंग पेपर के अनुसार इनमें सिर्फ कृषि एवं संबद्ध सेवाओं का रियल वेजेस बढ़ा है।

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