नड्डा से मिलने के बाद भी केशव के बगावती तेवर: फिर लिखा-संगठन सरकार से बड़ा है; अखिलेश बोले- भाजपा में कुर्सी की लड़ाई की गर्मी – Lucknow News

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा से मुलाकात के बाद भी यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य के बगावती तेवर बरकरार हैं। नड्डा से मिलने के 15 घंटे बाद मौर्य ने फिर से X पर लिखा- संगठन सरकार से बड़ा होता है। भाजपा की अंतर्कलह पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने

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3 दिन पहले भी मौर्य ने कार्यसमिति की बैठक में यही बात कही थी। इसके बाद मौर्य को नड्‌डा ने मंगलवार को दिल्ली बुलाया। 1 घंटे तक बातचीत की। सूत्रों के मुताबिक, आलाकमान ने नसीहत दी कि सरकार-संगठन में तालमेल बनाकर रखें, बयानबाजी से भी बचें। वहीं यूपी भाजपा की ओर से भी दो दिन पहले केशव के समर्थन में दो पोस्ट किए गए थे।

केशव प्रसाद मौर्य के ऑफिस से हुआ ट्वीट। भाजपा ने भी केशव के बयान का समर्थन किया है।

केशव प्रसाद मौर्य के ऑफिस से हुआ ट्वीट। भाजपा ने भी केशव के बयान का समर्थन किया है।

केशव ने कहा- कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द
केशव ने बुधवार सुबह 11 बजे X पर लिखा- संगठन सरकार से बड़ा है, कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है, संगठन से बड़ा कोई नहीं, कार्यकर्ता ही गौरव है। उन्होंने कार्यकर्ताओं की नाराजगी की बात 3 दिन पहले बैठक में भी कही थी। इस दौरान यूपी के 3000 नेता और कार्यकर्ता जुटे थे। उन्होंने कार्यकर्ताओं को संदेश दिया था कि हम आपके साथ खड़े हैं।

अब केशव प्रसाद के बयान के मायने
पॉलिटिकल एक्सपर्ट का कहना है- केशव मौर्य और सीएम योगी के बीच तलवारें खिंची हैं। चर्चा है कि योगी सरकार में अफसरशाही हावी है, जिसके चलते भाजपा कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान नहीं मिल पा रहा। इसी को लेकर केशव सीएम योगी के खिलाफ हमलावर नजर आ रहे हैं।

मंगलवार रात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने केशव मौर्य भाजपा मुख्यालय पहुंचे थे। करीब 1 घंटे तक बातचीत हुई।

मंगलवार रात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने केशव मौर्य भाजपा मुख्यालय पहुंचे थे। करीब 1 घंटे तक बातचीत हुई।

यूपी भाजपा ने केशव के समर्थन में 2 पोस्ट किए

1- संगठन सरकार से बड़ा है, संगठन से बड़ा कोई नहीं होता। हर एक कार्यकर्ता मेरा गौरव है।

2- जो भी होता है घटनाक्रम, रचता स्वयं विधाता है।आज लगे जो दंड वही, कल पुरस्कार बन जाता है। निश्चित होगा प्रबल समर्थन, अपने सत्य विचार का। कर्मवीर को फर्क नहीं पड़ता, कभी जीत और हार का। कार्यकर्ता ही मेरा गौरव और मेरा अभिमान है।

यह 14 जुलाई को लखनऊ में हुई भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक की तस्वीरें हैं।

यह 14 जुलाई को लखनऊ में हुई भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक की तस्वीरें हैं।

अखिलेश ने कहा- शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा- भाजपा की कुर्सी की लड़ाई की गर्मी में उप्र में शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में चला गया है। तोड़फोड़ की राजनीति का जो काम भाजपा दूसरे दलों में करती थी।

अब वही काम वो अपने दल के अंदर कर रही है, इसीलिए भाजपा अंदरूनी झगड़ों के दलदल में धंसती जा रही है। जनता के बारे में सोचने वाला भाजपा में कोई नहीं है।

प्रमोद तिवारी बोले- बीजेपी कार्यकर्ता अंदर से बहुत दुखी
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी कहते हैं- मुझे यूपी में 44 साल का अनुभव है। हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि यह सब क्यों हो रहा है। बीजेपी कार्यकर्ता अंदर से बहुत दुखी है।

कैबिनेट बैठक समेत कार्यक्रमों से दूर हो गए थे केशव
जेपी नड्‌डा 14 जुलाई को भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने लखनऊ आए थे। उस समय भी भूपेंद्र चौधरी और केशव मौर्य की जेपी नड्‌डा से लंबी बातचीत हुई थी। केशव मौर्य और सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच अनबन की खबरें थी।

प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में केशव ने संगठन को सरकार से बड़ा बताया था। वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने नड्‌डा की मौजूदगी में लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार की वजह बताई थी।

लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से केशव मौर्य कैबिनेट की बैठक में भी नहीं जा रहे। लखनऊ में रहने के बाद भी एक बार वह मीटिंग में नहीं गए थे। पौधारोपण कार्यक्रम को लेकर सीएम योगी ने जो बैठक बुलाई, उसमें भी केशव गैरहाजिर रहे थे।

डिप्टी सीएम मौर्य लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार 14 जुलाई को बैठक में शामिल हुए थे।

डिप्टी सीएम मौर्य लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार 14 जुलाई को बैठक में शामिल हुए थे।

आखिर क्यों नाराज हैं केशव?

  • 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव के समय केशव मौर्य भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष थे। पार्टी को बंपर चुनावी कामयाबी मिली, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी योगी आदित्‍यनाथ को मिल गई। केशव को डिप्‍टी सीएम बनकर संतोष करना पड़ा। इसके बाद अक्सर केशव और योगी के बीच मन-मुटाव की खबरें आती रहीं।
  • 2022 के विधानसभा चुनाव में केशव अपनी विधानसभा सीट सिराथू से भी हार गए। इस चुनाव से पहले भी योगी और केशव के बीच अनबन की खबरें सामने आती रहीं। इन चर्चाओं को रोकने के लिए योगी खुद केशव के घर गए और साथ में भोजन किया।
  • 2022 के विधानसभा चुनावों में केशव की हार को उस वक्‍त भी पार्टी में दबी आवाज में कहा गया कि वो हारे नहीं, साजिश के तहत हराए गए। इसके बाद पार्टी में केशव की स्थिति कमजोर मानी गई। अब लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी के अंदरखाने योगी की स्थिति कमजोर मानी जा रही है। इसके चलते फिर से योगी और केशव के बीच मतभेद की खबरें सामने आ रही हैं।
  • केशव ने 14 जुलाई को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में यह कहकर सियासी हलचल बढ़ा दी कि सरकार से बड़ा संगठन है। उन्‍होंने कहा था- संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा बड़ा रहेगा। मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले कार्यकर्ता हूं।
  • ऐसा पहली बार नहीं है, जब मौर्य ने संगठन को सरकार से बड़ा बताया। 2 साल पहले 21 अगस्त, 2022 को भी मौर्य ने यही बयान दिया था। उस समय कौशांबी की सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव हारने के 5 महीने बाद उनका ये पहला बयान था। तब भी योगी और सरकार के प्रति मौर्य की नाराजगी की चर्चा थी।
यह फोटो कार्यसमिति की बैठक के दौरान की है। सीएम ने हार की वजहों को सबके सामने स्पष्ट कर दिया है।

यह फोटो कार्यसमिति की बैठक के दौरान की है। सीएम ने हार की वजहों को सबके सामने स्पष्ट कर दिया है।

केशव को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है…

1- भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए हैं। भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष एक साथ दो पद नहीं रख सकते। इस वजह से पार्टी को नए अध्यक्ष की भी तलाश है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भाजपा में जिन चेहरों का नाम सबसे आगे चल रहा है, उनमें केशव मौर्य भी शामिल हैं। बताया जाता है कि इसी को लेकर उन्हें पिछले महीने दिल्ली में रोका गया था। उन्होंने संगठन और सरकार के टॉप लीडर्स के साथ बैठक की थी। यह भी कहा गया था कि इस बार भाजपा पिछड़ा वर्ग से अध्यक्ष बनाना चाहती है, उसमें केशव फिट बैठते हैं।

2- फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है
लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा की करारी हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के बदलने के कयास लग रहे हैं। कहा जा रहा है, भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल ने केंद्रीय नेतृत्व के सामने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की, हालांकि अभी स्वीकार नहीं किया गया। लेकिन आने वाले समय में इनके इस्तीफों को स्वीकार किया जा सकता है।

इसके बाद नए प्रदेश अध्यक्ष की लिस्ट में केशव सबसे फिट बैठते हैं। ये उस OBC समुदाय से आते हैं, जिसका वोट शिफ्ट होने से भाजपा को यूपी में तगड़ा झटका लगा। केशव इससे पहले भी 2016 से 2017 तक प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं, उनके कार्यकाल में भाजपा ने यूपी में 403 में 325 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया था।