देश में 18 न्यूक्लियर पावर रिएक्टर और बनेंगे: 13 हजार 800 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता होगी

नई दिल्ली2 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
वर्तमान में NPCIL 8180 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 24 रिएक्टर संचालित करता है। - Dainik Bhaskar

वर्तमान में NPCIL 8180 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 24 रिएक्टर संचालित करता है।

न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCIL) देश में बिजली प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए 18 न्यूक्लियर पावर रिएक्टर और तैयार करेगा। इनकी बिजली पैदा करने की क्षमता 13,800 मेगावाट की होगी। जिससे 2031-32 तक ऊर्जा मिश्रण में एटोमिक पावर की कुल हिस्सेदारी 22,480 मेगावाट हो जाएगी।

रूस की सहायता से तमिलनाडु के कुडनकुलम में 1,000 मेगावाट के चार न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाए जा रहे हैं। चार 700 मेगावाट के घरेलू निर्मित PHWR राजस्थान में रावतभाटा (RAPS 7 और 8) और हरियाणा के गोरखपुर गांव में (GHAVP 1 और 2) में तैयार किए जाएंगे।

हरियाणा में गोरखपुर में GHAVP 3 और 4, कर्नाटक में कारवार के पास कैगा जनरेटिंग स्टेशन 5 और 6, मध्य प्रदेश में चुटका (CMPAPP 1 & 2) और राजस्थान में माही बांसवाड़ा में चार बिजली यूनिट (MBRAPP 1, 2, 3 & 4) में 700 मेगावाट के दस PHWRs बनाने की मंजूरी दी गई है।

4 अगस्त 1956 को देश को पहला न्यूक्लियर पावर रिएक्टर 'अप्सरा' मिला था।

4 अगस्त 1956 को देश को पहला न्यूक्लियर पावर रिएक्टर ‘अप्सरा’ मिला था।

KAPS 3 और 4 देश में बने सबसे बड़े प्रेशराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर
NPCIL ने कहा कि KAPS 3 और 4 (2 एक्स 700 मेगावाट) एडवांस सेफ्टी फीचर्स वाले देश में बने सबसे बड़े प्रेशराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर (PHWR) हैं। ये दुनिया के PHWR में सर्वश्रेष्ठ के बराबर हैं।

इन रिएक्टरों को NPCIL ने डिजाइन किया और इनका निर्माण किया है। इन्हें ऑपरेट भी NPCIL ही करता है। इनमें उपयोग होने वाले उपकरण भारतीय कंपनियों के हैं। जो आत्मनिर्भर भारत की सच्ची भावना को दर्शाता है। वर्तमान में NPCIL 8180 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 24 रिएक्टर संचालित करता है।

पीएम मोदी ने काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन का भी दौरा किया था
PM मोदी ने 22 फरवरी को गुजरात के काकरापार में 700 मेगावाट के न्यूक्लियर पावर रिएक्टर (KAPS 3 और 4) की यूनिट 3 और 4 को राष्ट्र को समर्पित किया था। पीएम की यात्रा से दो दिन पहले 20 फरवरी को KAPS-4 को पश्चिमी पावर ग्रिड से जोड़ा गया था।

प्रधानमंत्री ने कहा था कि 21वीं सदी में बिजली उत्पादन में परमाणु ऊर्जा की भूमिका बढ़ने वाली है। यह गर्व की बात है कि भारत इस उन्नत तकनीक में आत्मनिर्भर है। इस अवसर पर मोदी ने काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन का भी दौरा किया और नियंत्रण कक्ष का दौरा किया था।

काकरापार एटॉमिक पॉवर प्लांट सूरत शहर से 80 किलोमीटर दूर ताप्ती नदी के किनारे स्थित है।

काकरापार एटॉमिक पॉवर प्लांट सूरत शहर से 80 किलोमीटर दूर ताप्ती नदी के किनारे स्थित है।

भारत के पहले न्यूक्लियर रिएक्टर के बारे में जानिए
जनवरी 1954 में होमी जहांगीर भाभा ने एटॉमिक एनर्जी इस्टैब्लिशमेंट ट्रॉम्बे (AEET) की स्थापना की थी। डॉक्टर भाभा भारत में एटॉमिक एनर्जी के क्षेत्र में रिसर्च को बढ़ावा देना चाहते थे। एटॉमिक रिएक्टर की डिजाइनिंग और डेवलपमेंट पर काम कर रहे देशभर के तमाम इंजीनियर और वैज्ञानिकों को इस सेंटर में काम करने के लिए बुलाया गया।

15 मार्च 1955 को भारत के पहले न्यूक्लियर रिसर्च रिएक्टर को बनाने का फैसला लिया गया। डॉक्टर भाभा इस पूरे प्रोग्राम के हेड थे। फैसला लिया गया कि ये रिएक्टर एक स्विमिंग पूल की तरह होगा और इसकी क्षमता 1 मेगावॉट थर्मल (MWt) होगी।

भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) के परिसर में ही रिसर्च रिएक्टर को बनाने का काम शुरू हुआ। एक बड़ी समस्या रिएक्टर के लिए न्यूक्लियर फ्यूल की थी। इसके लिए ब्रिटेन से बात की गई। ब्रिटेन और भारत के बीच एक डील हुई जिसमें ये फैसला लिया गया कि रिएक्टर के लिए जरूरी यूरेनियम की आपूर्ति ब्रिटेन करेगा।

देशभर के तमाम वैज्ञानिकों ने दिन-रात मेहनत कर केवल 15 महीने में रिएक्टर का काम पूरा कर दिया। 4 अगस्त 1956 को रिएक्टर को शुरू किया गया था। ये भारत के साथ ही पूरे एशिया का पहला न्यूक्लियर रिएक्टर था।

खबरें और भी हैं…