देश में महिलाओं के 36 लाख केस पेंडिंग: अकेले यूपी में 7.90 लाख मामले; निर्भया केस के बाद कई आदेश, न पुलिस बदली न अदालत

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नई दिल्ली5 मिनट पहलेलेखक: पवन कुमार

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अपराध का यह डेटा टॉप-20 राज्यों में 6 अक्टूबर 2023 तक का है। - Dainik Bhaskar

अपराध का यह डेटा टॉप-20 राज्यों में 6 अक्टूबर 2023 तक का है।

पिछले एक दशक में सुप्रीम कोर्ट से लेकर विभिन्न हाईकोर्ट ने दर्जनों जजमेंट देकर महिला अपराधों पर पुलिस व अदालतों को संवेदनशील होने को कहा था। ऐसे अपराधों की जांच 6 महीने की डेडलाइन में निपटाने के आदेश थे। लेकिन, इसका असर न तो पुलिस पर दिखा और न ही अदालतों पर। बावजूद इसके देश में महिलाओं के प्रति अपराध तेजी से बढ़े हैं।

नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के अनुसार इस समय देशभर में 4.44 करोड़ केस विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। इनमें से 8% ऐसे हैं जो महिलाओं ने दायर कराए। ऐसे केसों की संख्या 36.57 लाख है।

45% केस ऐसे जिनमें कभी वकील नदारद, कहीं आरोपी फरार
इन केसों में सिविल व आपराधिक दोनों शामिल हैं। महिलाओं के 45% केस ऐसे भी हैं, जिनमें कभी उनके तो कभी दूसरे पक्ष के वकील पेश नहीं हो रहे या फिर आरोपी जमानत लेकर फरार हो गए, जिसकी वजह से केस अटके पड़े हैं। इसके अलावा 7% केस ऐसे हैं, जिन पर ऊपरी अदालतों का स्टे है।

अदालतों की बार-बार समझाइश भी बेअसर…

  • मार्च 2013: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि पुलिस महिला अपराधों में संवेदनशील बने। ताकि वो इसमें जांच और कार्रवाई जल्द कर सके।
  • अगस्त 2013: सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ऐसे केसों की 2-3 महीने में जांच पूरी कराएं। जल्द फैसला सुनाएं।
  • अक्टूबर 2018: बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा- कोर्ट का कर्तव्य है कि वे ऐसे अपराधों को गंभीरता से लें और उन्हें समय से निपटाएं।
  • सितंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अदालतों को महिलाओं से दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई में लंबी तारीखें देने से बचना चाहिए।
  • अगस्त 2021: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा था कि जो महिलाएं सामने आ रही हैं उन्हें जल्द न्याय दिलाने पुलिस व कोर्ट संवेदनशील हों।
  • 7 अक्टूबर 2023: दहेज हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया था कि सभी अदालतें इन मामलों के प्रति संवेदनशील हों।

सरकार की स्टडी में मिलीं केस अटकने की 6 बड़ी वजह
कानून मंत्रालय और नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड द्वारा किए गए अध्ययन में केसों के अदालतों में अधिक समय तक लंबित होने के कई प्रमुख कारण सामने आए हैं। इनमें पुलिस से लेकर अदालत तक की भूमिका शामिल है। ये प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-

  1. पुलिस ने चार्जशीट दायर ही नहीं की। कोर्ट में बार-बार जांच का समय बढ़ाने की मांग करती रही।
  2. चार्जशीट दायर की, लेकिन दस्तावेज कोर्ट नहीं पहुंचे।
  3. चार्जशीट दायर होने के बाद निचली अदालत बार-बार लंबी तारीखें दे रही हैं और जिससे आरोप तय होने में ही 2 से 3 साल का समय लग जाता है।
  4. महत्वपूर्ण गवाहों को पुलिस पेश ही नहीं कर पा रही।
  5. निचले कोर्ट की कार्रवाई पर स्टे। आरोपी जमानत पर फरार।
  6. कभी सरकारी तो कभी प्राइवेट वकील पेश नहीं हो पाता।

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