दवा से ज्यादा ताकतवर हुए बैक्टीरिया: ICMR की रिपोर्ट में खुलासा- संक्रमण से लड़ने में कमजोर साबित हो रहे कार्बेपनेम मेडिसिन, अब नहीं बिकेगी

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नई दिल्ली7 मिनट पहले

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भारत में अब निमोनिया और सेप्टीसीमिया (खून में होने वाला संक्रमण) के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा कार्बेपनेम मेडिसिन पेशेंट के लिए उपलब्ध नहीं होगी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक नई स्टडी के में सामने आया है कि ये दवा अब बैक्टीरिया से लड़ने में सक्षम नहीं है।

साइंटिफिक भाषा में कहें तो मेडिसिन के खिलाफ रोगियों के शरीर में उपस्थित बैक्टीरिया ने एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस डेवलप कर लिया है। ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें रोग पैदा करने वाले रोगाणु जैसे बैक्टीरिया, वायरस, दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं। मतलब, दवाएं और एंटीबायोटिक्स उन्हें मार नहीं पाती।

ICMR की सीनियर साइंटिस्ट डॉ. कामिनी वालिया ने बताया- 1 जनवरी से 31 दिसंबर, 2021 के बीच कलेक्ट किए डाटा और उनकी स्टडी से ये पता चलता है कि ड्रग रजिस्टेंट पैथोजेन यानी वो बैक्टीरिया जिनको एंटीबायोटिक्स कंट्रोल या खत्म नहीं कर सकते उनकी संख्या बढ़ी है।

डॉ वालिया ने कहा, ऐसी स्थिति में अब उपलब्ध दवाओं के साथ कुछ संक्रमण का इलाज करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि अगर हमने जल्द ही कोई नया रास्ता नहीं निकाला तो ये पैथोजेन महामारी का रूप भी ले सकते हैं।

ICMR अब इस डेटा का उपयोग इन पैथोजेन के नेचर को ट्रैक करने और उनके लक्षणों के बारे में जानने के लिए करेगा, ताकि इनके रेजिस्टेंस सिस्टम को बेहतर तरीके से समझा जा सके। एंटीमाइक्रोबियल नेचर और पैटर्न पर ICMR की ये पांचवीं रिपोर्ट है, जिसमें अस्पतालों से मिले डाटा को भी शामिल किया गया है।

इन बैक्टीरिया पर दवाओं का प्रभाव हुआ कम

  • रिपोर्ट के अनुसार, बैक्टीरिया के सेल वाल को नष्ट करने के उपयोग में लाई जाने वाले मेडिसिन इमिपेनेम के खिलाफ पैथोजेन की रेजिस्टेंस पावर 2016 में14 प्रतिशत से बढ़कर 2021 में 36 प्रतिशत हो गया है।
  • इसी तरह सर्जरी के बाद खून, लंग्स या शरीर के अन्य हिस्सों में संक्रमण का कारण बनने वाले ​​​​​स्यूडोमोनास एरुगिनोसा ने भी पिछले कुछ वर्षों में सभी प्रमुख एंटीस्यूडोमोनलब(बैक्टिरिया के खिलाफ असरादार) दवाओं के खिलाफ रेजिस्टेंस हासिल कर लिया है।
  • बैक्टिरिया के एक समूह और सामान्य तौर पर त्वचा व नाक के भीतरी भाग को प्रभावित करने वाला मेथिसिलिन-रेसिस्टेंट स्टैफिलोकोकस ऑरियस ​​​​​​की भी ड्रग्स रेजिस्टेंस पावर 2016 से 2021 के बीच 28.4 फीसदी से बढ़कर 42.6 फीसदी तक हो गई है।
  • जोड़ों को प्रभावित करने वाली एन्टेरोकोकस बैक्टीरिया ने तेजी से दवाओं के खिलाफ रेजिस्टेंस हासिल किया है।
  • भारत में डायरिया के सबसे बड़े कारणों में शामिल ई. कोलाई, शिगेला एसपीपी और साल्मोनेला जैसे पैथोजेन पर नॉरफ्लोक्सासिन मेडिसिन (आंतों में अच्छे बैक्टीरिया के संतुलन को वापस स्थापित करने का काम करने वाली दवाई) का प्रभाव घट गया है।

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