ट्रेनी IAS ने हलफनामे में मानसिक रूप से अक्षम बताया: बोलीं- देखने में भी दिक्कत; मेडिकल टेस्ट से 6 बार इनकार, अब सिलेक्शन पर सवाल

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नई दिल्ली14 मिनट पहले

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पूजा खेडकर की UPSC में 841वीं रैंक रही थी। - Dainik Bhaskar

पूजा खेडकर की UPSC में 841वीं रैंक रही थी।

महाराष्ट्र की एक ट्रेनी IAS अफसर पूजा खेडकर काफी चर्चा में है। पूजा ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को दिए एक हलफनामे में दावा किया है कि वह मानसिक रूप से अक्षम है और मुझे देखने में भी दिक्कत होती है।

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, पूजा ने मेडिकल टेस्ट देने से 6 बार मना किया था। मेडिकल टेस्ट देना जरूरी होता है। अपुष्ट रिपोर्ट्स बताती हैं कि पूजा का पहला मेडिकल टेस्ट दिल्ली AIIMS में अप्रैल 2022 में शेड्यूल हुआ था। उसने कोविड पॉजिटिव होने का हवाला देकर इसमें शामिल होने से मना कर दिया था।

हालांकि, ये साफ नहीं हुआ है कि जब पूजा ने एग्जाम में शामिल होने से मना कर दिया था तो फिर सिलेक्शन क्यों और कैसे हुआ? पूजा 2023 की IAS अफसर हैं और अहमदनगर की रहने वाली हैं।

MRI टेस्ट में भी शामिल नहीं हुईं पूजा
रिपोर्ट के मुताबिक, पूजा ने जुलाई और अगस्त में होने टेस्ट शेड्यूल में भी शामिल होने से मना कर दिया था। सितंबर में शेड्यूल टेस्ट को भी उन्होंने आधा अटेंड किया था। यही नहीं, पूजा MRI टेस्ट में भी शामिल नहीं हुई थीं। इस टेस्ट में इस बात की जांच होती है कि आप देख सकते हैं या नहीं।

वहीं, पूजा ने खुद को पिछड़ा वर्ग (OBC) का बताया था। इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

पूजा का विवादों से नाता
पूजा खेडकर को सिविल सर्विस एग्जाम में 841वीं रैंक मिली थी। उन्होंने अपनी प्राइवेट कार (ऑडी) में साइरन लगवा लिया था, जिसके चलते उनका ट्रांसफर पुणे से वाशिम कर दिया गया। यही नहीं, पुणे कलेक्टर सुहास दिवासे ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पूजा खेडकर को दोबारा कार्यभार सौंपने का अनुरोध किया था।

ऑर्डर के मुताबिक- 2023 बैच की IAS अफसर अपना बाकी बचा प्रोबेशन पीरियड वाशिम में बतौर असिस्टेंट कलेक्टर पूरा करेंगी।

निजी कार में साइरन लगाने के अलावा पूजा ने वीआईपी नंबर प्लेट भी लगाई थी। साथ ही गवर्नमेंट ऑफ महाराष्ट्र का स्टिकर भी लगाया था। पूजा पर पुणे के एडिशनल कलेक्टर अजय मोरे का ऑफिस इस्तेमाल करने की खबरें सामने आई थीं। बताया गया था कि पूजा ने मोरे के ऑफिस से उनकी नेमप्लेट और फर्नीचर बाहर कर दिया था और लेटरहेड्स की मांग की थी।

नियमों के मुताबिक, जूनियर या प्रोबेशन (24 महीने) वाले अफसरों को ये सुविधाएं नहीं मिलतीं।

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