टिकट कटने के बाद पहली बार चुनाव प्रचार में वरुण: मां की सीट सुल्तानपुर में कहा-हमारी किसी से कोई दुश्मनी नहीं, कोई गुस्सा नहीं – Sultanpur News

वरुण गांधी ने गुरुवार को सुल्तानपुर में जनसभा को संबोधित किया।

पीलीभीत से टिकट कटने के बाद पहली बार भाजपा सांसद वरुण गांधी चुनावी मैदान में नजर आए। वह गुरुवार को मां मेनका गांधी की सीट सुल्तानपुर पहुंचे। यहां प्रचार का आज आखिरी दिन है। जनसभा में उन्होंने कहा-हमारी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। न कोई गुस्सा।

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तीन बार के सांसद वरुण ने पूरे चुनाव से दूरी बना रखी थी। उन्होंने एक भी रैली नहीं की। न ही कोई बयान दिया। टिकट कटने के बाद एक भी बार पीलीभीत नहीं गए। 27 मार्च को भाजपा ने पीलीभीत से वरुण का टिकट काटकर योगी सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद को दिया था।

28 मार्च को वरुण ने पीलीभीत के नाम पत्र लिखा था। कहा था-मैं आम आदमी के लिए राजनीति में आया हूं। यह मैं करता रहूंगा, भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े।

वरुण गांधी तीन बार लगातार सांसद रहे हैं। दो बार पीलीभीत सीट से जबकि एक बार सुल्तानपुर से।

वरुण गांधी तीन बार लगातार सांसद रहे हैं। दो बार पीलीभीत सीट से जबकि एक बार सुल्तानपुर से।

मैं अपनी मां की भूमि में आया हूं
वरुण ने कहा- जब मैं पहली बार सुल्तानपुर आया था, तो मुझे पिता की खुशबू महसूस हुई थी, लेकिन आज मुझे लग रहा है कि मैं अपनी मां की भूमि में आया हूं। हम लोग जब सुल्तानपुर में चुनाव लड़ने आए, तो लोगों ने कहा था कि जैसी अमेठी-रायबरेली में रौनक है। हम चाहते हैं कि सुल्तानपुर में भी ऐसी रौनक आए।

आज देश में जब सुल्तानपुर का नाम लिया जाता है, तो पहली लाइन में लिया जाता है। सुल्तानपुर का कोई व्यक्ति लखनऊ, दिल्ली या बनारस जाए। उसके साथ हमेशा एक पहचान जुड़ी है। लोग कहते हैं कि अच्छा मेनका गांधी वाले सुल्तानपुर से आए हो।

हम खून के रिश्ते का वादा करते हैं
वरुण ने कहा-जितने लोग यहां उपस्थित हैं। अगर आप लोगों पर कभी कोई संकट में आता है, तो मैं अपना नंबर दे रहा हूं। नोट कर लीजिए। कभी भी मुझे फोन करिए और अपनी समस्याओं को बताइए। मैं आपकी मदद करूंगा। सुल्तानपुर में काबिलियत, साहस, प्रतिभा और स्वाभिमान की कमी नहीं है।

सुल्तानपुर के लोगों को सिर्फ ऐसा एक व्यक्ति चाहिए, जो उनको अपना परिवार माने। परिवार का मतलब होता है, हर वार पर जो साथ दे। लोग वादा करते हैं कि नाली, सड़क, बिजली सही होगा, यह सब तो होता रहेगा। लेकिन, हम खून के रिश्ते का वादा करते हैं।

28 मार्च को वरुण ने पीलीभीत की जनता के नाम पत्र लिखा था।

28 मार्च को वरुण ने पीलीभीत की जनता के नाम पत्र लिखा था।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थे वरुण, 10 साल से कोई जिम्मेदारी नहीं
2013 में वरुण गांधी को भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया था। इसी साल उन्हें पश्चिम बंगाल में भाजपा का प्रभारी भी बनाया गया था। वह वक्त ऐसा था, जब यूपी की सियासत में भाजपा में वरुण का नाम प्रमुख नेताओं में था। यही नहीं, यूपी के सीएम के लिए भी उनका नाम सियासी गलियारे की चर्चा में आ जाता था।

हालांकि, 2014 में भाजपा की नई कार्यकारिणी का गठन हुआ। इसमें वरुण को जगह नहीं मिली। 10 साल में वरुण को किसी तरह की कोई बड़ी जिम्मेदारी पार्टी में नहीं मिली। इसके पीछे की वजह, उनके सरकार और सिस्टम के खिलाफ दिए गए बयान रहे।

2009 में वरुण का राजनीति में डेब्यू, 2014 में मां-बेटे की सीट बदली
वरुण गांधी ने राजनीतिक डेब्यू 2009 में पीलीभीत से किया। पहले चुनाव में ही उन्होंने 2.81 लाख के अंतर से अपने विरोधी को हराया। इसके बाद 2014 में भाजपा ने मां-बेटे की सीट बदली। यानी, वरुण को सुल्तानपुर और मेनका को पीलीभीत से टिकट दिया। सुल्तानपुर में भी वरुण ने बड़ी जीत हासिल की।

पीलीभीत लोकसभा सीट मेनका और वरुण गांधी का गढ़ मानी जाती है। वहीं, अगर विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो पीलीभीत में 5 विधानसभा हैं। इसमें बरखेड़ा, बीसलपुर, पीलीभीत, पूरनपुर, बहेड़ी हैं। यहां 2022 के चुनाव में भाजपा ने 4 विधानसभा में सीट दर्ज की थी। इसमें बहेड़ी में सपा ने जीत दर्ज की थी। ‘

वहीं, 2017 में सभी 5 विधानसभा में भाजपा ने जीत हासिल की थी। वहीं, 2012 विधानसभा में स्थिति अलग थी। तब भाजपा सिर्फ एक बीसलपुर विधानसभा पर जीत हासिल कर पाई थी।