जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने नदीमर्ग नरसंहार केस फिर खोला: 19 साल पहले सेना की वर्दी पहनकर आए आतंकियों ने 24 पंडितों की हत्या की थी

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11 मिनट पहले

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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने नदीमर्ग नरसंहार मामले को रीओपन करने का आदेश दिया है। जस्टिस संजय धर ने 21 दिसंबर, 2011 के आदेश को वापस लेने का अनुरोध स्वीकार कर लिया है, जिसमें क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन खारिज कर दी गई थी। इस मामले में अब हाईकोर्ट 15 सितंबर, 2022 को अगली सुनवाई करेगा।

साल 2003 में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने 24 कश्मीरी पंडितों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। हत्याकांड के बाद, जैनापुर में FIR दर्ज की गई और जांच के बाद, सेशन कोर्ट पुलवामा में 7 लोगों का चालान किया गया। बाद में इस मामले को सेशन जज, शोपियां में शिफ्ट कर दिया गया।

जज धर ने अपने आदेश में कहा कि ऐसा लगता है कि केस की पेंडेंसी के दौरान, अभियोजन पक्ष ने ट्रायल कोर्ट में एक आवेदन दायर कर कमीशन पर अपने गवाहों की जांच करने की अनुमति मांगी, क्योंकि अभियोजन पक्ष के अनुसार, ये गवाह कश्मीर छोड़ चुके थे और डर के कारण शोपियां में निचली अदालत के सामने पेश होने से हिचक रहे थे। हालांकि, सेशन जज ने 9 फरवरी, 2011 को आवेदन को खारिज कर दिया था।

2014 में हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की
इसके बाद 2014 में राज्य ने निचली अदालत के फैसले को क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी। साथ ही मामले की नए सिरे से सुनवाई के लिए या वैकल्पिक रूप से मामले को जम्मू की किसी अदालत में ट्रांसफर करने की मांग की थी। ताकि विस्थापित गवाह बिना किसी डर के कोर्ट में पेश हो सकें। हालांकि, कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।

जज बोले- आदेश वापस लेने और फैसले के रिव्यू करने की पावर में फर्क
जस्टिस धर ने आरोपी जिया मुस्तफा, जो इस्लामी पाकिस्तानी आतंकवादी और 2003 के नरसंहार का मास्टर माइंड माना जाता है की याचिका को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि आदेश वापस लेने और फैसले के रिव्यू करने की पावर में फर्क है, इसलिए इस कोर्ट के पास ऐसे आदेश को वापस लेने का अधिकार है।

क्या है नदीमर्ग नरसंहार मामला?
1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों को घाटी से भागने पर मजबूर किया गया था। इसके बाद भी कश्मीर में बचे हिंदुओं पर अत्याचार जारी रहे। इसी कड़ी में नदिमार्ग में आतंकियों ने 23 मार्च, 2003 की रात 24 कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतार दिया था। लश्कर-ए-तैयबा के 7 आतंकी सैन्य वर्दी में पुलवामा जिले के नदीमर्ग में आए। सभी हिन्दुओं को उनके नाम से पुकार कर घर से बाहर बुलाया।

इसके बाद महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया और सबके सामने उनके कपड़े फाड़े गए। फिर 24 कश्मीरी पंडितों को लाइन में चिनार के पेड़ के नीचे इकठ्ठा किया। इसके बाद उन्हें गोलियों से भून दिया। इस नरसंहार में जान गंवाने वालों में 11 पुरुष, 11 महिलाएं और 2 छोटे बच्चे शामिल थे, जिनमें से एक 2 साल का था। कुछ रिपोर्ट्स का दावा है कि पॉइंट ब्लेंक रेंज से हिन्दुओं के सिर में गोलियां मारी गई थी।

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