जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के 5 साल: आतंकी घाटी से जम्मू शिफ्ट हुए, पत्थरबाजी 99% कम; एक भी कश्मीरी पंडित की वापसी नहीं

नई दिल्ली21 मिनट पहले

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5 अगस्त 2019 को संविधान में संशोधन करके जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35A को हटाया गया था। - Dainik Bhaskar

5 अगस्त 2019 को संविधान में संशोधन करके जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35A को हटाया गया था।

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटे आज पूरे पांच साल हो गए। 5 अगस्त 2019 को संसद से आर्टिकल हटने होने के बाद राज्य को मिला स्पेशल स्टेटस खत्म हो गया था। साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था। सरकार ने दावा किया था कि इस कदम से जम्मू-कश्मीर में शांति और खुशहाली आएगी।

10 पॉइंट्स में समझते हैं कि वादों पर केन्द्र कहां तक खरा उतरा…

पीडीपी का आरोप – भाजपा चुनाव से डर रही
पीडीपी नेता वहीद उर रहमान का कहना है कि भाजपा विधानसभा चुनाव कराने से डर रही है। उन्हें पता है कि 5 अगस्त 2019 के फैसले के चलते कश्मीरी उन्हें रिजेक्ट कर देंगे। आर्टिकल 370 हटने से राज्य पीछे छूट गया है।

वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना का कहना है कि 370 हटने से जम्मू-कश्मीर का नया जन्म हुआ है। कुछ समय में आप देखेंगे कि यहां उद्योग से स्थानीय युवाओं को कितने रोजगार मिलेंगे। इस फैसले से कश्मीर का भविष्य सुधर रहा है।

जल्द ही जम्मू-कश्मीर का दौरा करेगा चुनाव आयोग
सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर 2024 से पहले जम्मू कश्मीर में चुनाव करवाने के आदेश दिए थे। इसके मद्देनजर जल्द चुनाव आयोग 8-10 तक जम्मू-कश्मीर का दौरा कर सकता है। राज्य की बढ़ती सुरक्षा का एक कारण चुनावी सुगबुगाहट भी मानी जा रही है।

इससे पहले चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अपने गृह जिलों में और तीन साल से एक ही जगह तैनात अधिकारियों का ट्रांसफर करने के निर्देश दिए हैं। चुनाव आयोग ने इसी तरह के निर्देश हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के मुख्य सचिव को भी दिए है जहां इस वर्ष के अंत में चुनाव होने हैं।

इसी साल जून में चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा समेत जम्मू कश्मीर में वोटर लिस्ट अपडेट करने के आदेश जारी किए थे। इस काम को पूरा करने के लिए 20 अगस्त तक की डेडलाइन दी गई थी।

दिसंबर 2023 में जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेटस से जुड़ी धारा 370 से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, केन्द्र शासित प्रदेश में 30 सितंबर तक चुनाव कराने के निर्देश दिए थे।

जम्मू-कश्मीर में 2014 में हुए थे पिछले विधानसभा चुनाव

लद्दाख में लोकतंत्र कम, हमसे तो पाकिस्तान बेहतर- सोनम वांगुचक
इस साल मार्च में लद्दाख के एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने 21 दिन तक भूख हड़ताल की थी। उनकी मांग थी कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। उनका कहना है कि 15 अगस्त तक अगर उनकी मांगे नहीं मानी गयीं तो वे फिर से हड़ताल करेंगे।

सोनम कहते हैं लद्दाख बॉर्डर सेंसटिव एरिया है इसी वजह से पूर्ण राज्य की मांग और भी जायज है। सीमा पर जो इलाका है, जहां सेंसिटिव इश्यू हैं, आप दूसरे देश को दिखा रहे हैं कि आप यहां रहने वाले लोगों को कैसे ट्रीट करते हैं।

आप आजादी और लोकतंत्र वाला रवैया रखेंगे, तो चीन को शर्म आएगी कि वो तिब्बत के साथ क्या कर रहा है। भारत जैसा लोकतांत्रिक देश भी लद्दाख पर अलोकतांत्रिक तरीके से राज कर रहा है, तो हम किसी के सामने क्यों सिर झुकाएं।

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बाल्टिस्तान में स्थानीय गवर्नर चुने जाते हैं, वे बेहतर कर रहे हैं। चीन भी कोई बुरा नहीं कर रहा है। वो लोकतांत्रिक नहीं है, लेकिन भारत के लोकतांत्रिक होने में क्या अलग है।

अगर बात सीमा की ही है तो अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम भी तो सीमा पर हैं। सीमा पर रहने वाले लोगों का अगर आप दम घुटने देंगे, तो ये ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा। सीमा के लोग खुश न हों, और कोई बाहर से आकर उन्हें कहे उठो-बैठो, तो फिर ये और भी सेंसिटिव मामला है। पूरी खबर पढ़ें…

LG की शक्तियां बढ़ीं, दिल्ली की तरह ट्रांसफर-पोस्टिंग में मंजूरी जरूरी
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (LG) की प्रशासनिक शक्तियां बढ़ा दी हैं। दिल्ली की तरह अब जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार LG की मंजूरी के बिना अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर नहीं कर सकेगी।

गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत बदले हुए नियमों को नोटिफाई किया है, जिसमें LG को ज्यादा ताकत देने वाली धाराएं जोड़ी गई हैं। उपराज्यपाल के पास अब पुलिस, कानून व्यवस्था और ऑल इंडिया सर्विस (AIS) से जुड़े मामलों में ज्यादा अधिकार होंगे।

संशोधित नियमों में दो अहम पॉइंट जोड़े गए…

42A: पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था, अखिल भारतीय सेवा और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) से जुड़े किसी भी प्रस्ताव को तब तक मंजूर या नामंजूर नहीं किया जा सकता, जब तक मुख्य सचिव के जरिए उसे उपराज्यपाल के सामने नहीं रखा जाए। अभी इनसे जुड़े मामलों में वित्त विभाग की सहमति लेना जरूरी है।
42B: किसी प्रकरण में केस चलाने की मंजूरी देने या ना देने और अपील अपील दायर करने के संबंध में कोई भी प्रस्ताव विधि विभाग मुख्य सचिव के जरिए उपराज्यपाल के सामने रखा जाना जरूरी होगा। पूरी खबर पढ़ें…

370 हटने के बाद जम्मू में आतंकी घटनाएं बढ़ीं
जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद्य ने बताया कि आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही पाकिस्तान आर्मी और ISI ने जम्मू को टारगेट करना शुरू कर दिया है।

उन्होंने दो साल में इस नेटवर्क को सक्रिय किया। इन्हीं की मदद से आतंकियों ने 2020 में पुंछ और राजौरी में सेना पर बड़े हमले किए। फिर ऊधमपुर, रियासी, डोडा और कठुआ को निशाने पर लिया।

वहीं सेना से रिटायर्ड जनरल दीपेंद्र सिंह हुड्डा बताते हैं कि 2020 तक जम्मू रीजन में काफी सुरक्षा बल तैनात था। लेकिन गलवान एपिसोड के बाद चीन गतिरोध का जवाब देने के लिए यहां से सेना को हटाकर लद्दाख शिफ्ट कर दिया गया।

इस शिफ्टिंग का फायदा उठाते हुए आतंकियों ने अपने नेटवर्क को कश्मीर से जम्मू की तरफ शिफ्ट किया। यहां इनका पुराना लोकल नेटवर्क पहले से मौजूद था जिसे एक्टिव करना था। पूरी खबर पढ़ें…

बीते एक महीनें में तेजी से बढ़ीं आतंकी घटनाएं

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