छत्तीसगढ़ नक्सल संगठन में 60 प्रतिशत महिलाएं: फ्रंट लाइन में ये ही लड़ती हैं; 6 महीने में हुए बड़े एनकाउंटर में 36 से ज्यादा ढेर – Chhattisgarh News

छत्तीसगढ़ के नक्सल संगठन में महिला माओवादियों की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। बस्तर संगठन में करीब 60 प्रतिशत महिलाएं हैं, जो मुठभेड़ के दौरान फ्रंट लाइन में रहकर लड़ती हैं। पिछले 6 महीने में हुए बड़े एनकाउंटर में 36 से ज्यादा महिलाएं मारी गईं। ये सभी 8

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बस्तर आईजी सुंदरराज पी के मुताबिक नक्सल संगठन में पिछले कुछ सालों में बंदूक की नोंक पर युवतियों की भर्ती की गई। इन्हें साइकोलॉजिकल गुमराह किया जाता है, फिर लड़ाई की स्पेशल ट्रेनिंग देते हैं।

कुछ एरिया कमेटी को महिला नक्सली ही लीड करती हैं। एनकाउंटर के दौरान उन्हें टॉप लीडर्स हमेशा फ्रंट लाइन में खड़ा कर मरने के लिए छोड़ देते हैं।

कविता पर 5 लाख का इनाम था।

कविता पर 5 लाख का इनाम था।

इन डिवीजन में महिलाओं की ज्यादा संख्या

नक्सलियों के उत्तर बस्तर डिवीजन कमेटी, माड़ डिवीजन, पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी में महिलाओं की संख्या अधिक है। इसके अलावा नक्सली कमांडर हिड़मा और देवा की बटालियन नंबर 1 में 45 से 50 प्रतिशत महिलाएं ही हैं, जो इंसास, SLR जैसे राइफल चलाती हैं।

माओवाद संगठन में सुजाता का नाम चर्चित है, जो DKSZC कैडर की है। इस पर 25 लाख रुपए का इनाम घोषित है।

गंगी मुचाकी पर भी 5 लाख का इनाम था।

गंगी मुचाकी पर भी 5 लाख का इनाम था।

इस विषय पर भास्कर से बस्तर IG सुंदरराज पी ने खास बातचीत की, पढ़िए क्या कहा आईजी ने:-

भास्कर के सवालों का बस्तर आईजी ने दिए जवाब।

भास्कर के सवालों का बस्तर आईजी ने दिए जवाब।

सवाल – अब तक हुए एनकाउंटर में कांकेर में 15, दंतेवाड़ा में 6, नारायणपुर की 2 अलग-अलग मुठभेड़ में 3 और 4 महिला माओवादियों को मारा गया है। क्या संगठन में इनकी संख्या ज्यादा है? इनकी स्ट्रैटजी कैसी होती है?

जवाब – नक्सल संगठन के लोग परिजनों को धमका कर युवतियों को जबरदस्ती संगठन में शामिल करवाते हैं। जानकारी के मुताबिक नक्सल संगठन में करीब 60 प्रतिशत महिलाएं हैं। एक बार संगठन में वे भर्ती हो जाएं तो उन्हें कई तरह की कठिनाई होती है। उनके परिजनों से मिलने नहीं दिया जाता है। मौत हो जाए तो उन्हें अंतिम संस्कार में जाने नहीं दिया जाता।

जब भी मुठभेड़ होती है तो सीनियर कैडर्स के नक्सली महिलाओं को फ्रंट लाइन पर लाकर खड़ा कर देते हैं। खुद को पीछे रखकर सुरक्षित रहने की कोशिश करते हैं। एनकाउंटर में महिला नक्सलियों का ही इस्तेमाल किया जाता है।

सवाल – साइकोलॉजी के रूप में या ग्राउंड फाइटर्स के रूप में देखें तो नक्सली महिलाओं को ही क्यों आगे करते हैं? शारीरिक रूप से पुरुष ज्यादा स्ट्रांग होते हैं। फिर महिलाएं ही क्यों?

जवाब – पिछले 40 सालों से नक्सली अपने संगठन में ज्यादातर महिलाओं को ही भर्ती कर रहे हैं। CNM, DAKMS सदस्य के रूप में इन्हें शामिल किया जाता है। बंदूक के बल पर उन्हें संगठन में भर्ती करवाया ज्यादा है। उनके सामने कोई दूसरा रास्ता नहीं रहता है।

संगठन में शामिल होने के बाद उन्हें साइकोलॉजिकल गुमराह करते हैं। उन्हें कहा जाता है कि गांव गए तो पुलिस गिरफ्तार कर लेगी। गुमराह कर संगठन में रखने का प्रयास किया जाता है। हम संगठन की महिलाओं से लगातार अपील करते हैं कि वे मुख्यधारा में लौट आएं ताकि शांतिपूर्ण जीवन जी सकें।

सवाल – क्या नक्सली महिलाओं को बड़े कैडर्स में रखते हैं?

जवाब – नक्सल संगठन हमेशा महिला-पुरुष समानता की बात करता है। लेकिन वे कभी महिलाओं को बड़े कैडर में नहीं भेजता। 40 सालों में सिर्फ एक महिला नक्सली शिला मराण्डी को सेंट्रल कमेटी में शामिल किया गया था। इसकी गिरफ्तारी हो चुकी है। लोकल ट्राइबल्स को आगे बढ़ने नहीं देते।

नक्सली सेंट्रल कमेटी में महिलाओं को नहीं रखते हैं। किसी भी मामले में उन्हें निर्णय लेने नहीं दिया जाता है। सिर्फ फाइटिंग सोल्जर के रूप में इनका इस्तेमाल किया जाता है।

सवाल – क्या नक्सल संगठन में महिलाओं के साथ क्रूरता हो रही है?

जवाब – सरेंडर्ड कैडर्स ने हमें जो बातें बताई है कि उन्हें संगठन में पारिवारिक जीवन जीने की अनुमति नहीं है। शादी करने की इच्छा हो तो इसके लिए भी कई स्टेप फॉलो करने पड़ते हैं। मेल पार्टनर की नसबंदी करवाई जाती है।

बच्चों की इजाजत नहीं होती है। महिलाओं की दिनचर्या संगठन के लोग तय करते हैं। कई ऐसी बातें भी होती हैं जिन्हें वे बोल भी नहीं पाती। उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है।