चुनावी बॉन्ड स्कीम की जांच SIT नहीं करेगी, याचिका खारिज: सुप्रीम कोर्ट बोला- इस लेवल पर आदेश देना समय से पहले और गलत होगा

नई दिल्ली39 मिनट पहले

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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (2 अगस्त) को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम में क्विड प्रो क्वो सिस्टम की जांच के लिए SIT बनाने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि बॉन्ड की खरीदी कॉरपोरेट्स और राजनीतिक दलों के बीच हुआ लेन-देन था, कोर्ट केवल इस आधार पर जांच के आदेश नहीं दे सकता।

फैसला सुनाते हुए CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि टैक्स असेसमेंट के मामलों की दोबारा जांच से अथॉरिटी के कामकाज पर भी असर पड़ेगा। संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस लेवल पर हस्तक्षेप करना गलत और समय से पहले होगा।

कोर्ट NGO कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) समेत 4 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। जिनमें दावा किया गया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड के नाम पर राजनीतिक दलों, निगमों और जांच एजेंसियों के बीच स्पष्ट लेन-देन होता है।

फरवरी में, सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द कर दिया था,साथ ही SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने तुरंत बंद करने का आदेश दिया था।

याचिका में दावा था- फायदे के लिए फंडिंग की
मार्च 2024 में इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा सामने आने के बाद यह याचिका लगाई गईं। इसमें दो मांगें रखी गई थीं। पहला- इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कॉरपोरेट्स और राजनीतिक दलों के बीच लेन-देन की जांच SIT से कराई जाए। SIT की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज करें।

दूसरी मांग थी कि आखिर घाटे में चल रहीं कंपनियों (शैल कंपनियां भी शामिल) ने पॉलिटिकल पार्टीज को कैसे फंडिंग की। अधिकारियों को निर्देश दिया जाए की पॉलिटिकल पार्टियों से इलेक्टोरल बॉन्ड में मिली राशि वसूल करें, क्योंकि यह अपराध से जरिए कमाई गई राशि है।

याचिकाकर्ताओं का दावा था कि कंपनियों ने फायदे के लिए पॉलिटिकल पार्टियों को बॉन्ड के जरिए फंडिंग की। इसमें सरकारी काम के ठेके, लाइसेंस पाने, जांच एजेंसियों (CBI, IT, ED) की जांच से बचने और पॉलिसी में बदलाव शामिल है।

याचिका में ये आरोप भी थे कि घटिया दवाईयां बनाने वाली कई फार्मा कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 का उल्लंघन है।