- Hindi News
- National
- Chandrayaan 3 Orbiter Vikram Lander Photos Update; ISRO | Pragyan Rover Lunar South Pole
बेंगलुरु6 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की जो तस्वीर खींची है, उसमें लैंडर बहुत ही छोटा और गोल्डन कलर का दिख रहा है।
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की फोटो खींची है। इसरो ने शनिवार (9 सितंबर) को इस तस्वीर को शेयर किया। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर पर लगे डुअल-फ्रीक्वेंसी सिनेटिक अपर्चर रडार (Dual-frequency Synthetic Aperture Radar (DFSAR)) ने विक्रम लैंडर की फोटो 6 सितंबर को कैप्चर की थी।
बड़ी बात ये है कि चांद के साउथ पोल पर अभी अंधेरा है यानी चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने रात में विक्रम लैंडर की फोटो खींची है।
इससे पहले 27 अगस्त को अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) ने विक्रम लैंडर की तस्वीर कैप्चर की थी। नासा ने 6 सितंबर को ये फोटो शेयर की थी। नासा ने X पोस्ट में लिखा था- LRO ने चांद की सतह पर मौजूद चंद्रयान-3 के लैंडर की सैटेलाइट तस्वीर ली।
पहली तस्वीर जो चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने खींची
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने जो तस्वीर खींची है, उसमें विक्रम लैंडर बहुत ही छोटा और गोल्डन कलर का दिख रहा है। चंद्रयान-2 मिशन को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था। चंद्रयान-2 के जरिए ISRO ने चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग का पहला प्रयास किया था। इस मिशन में अंत तक सब कुछ ठीक रहा, लेकिन लैंडिंग से महज 500 मीटर पहले लैंडर से संपर्क टूट गया।
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर की यह तस्वीर खींची। इसरो ने शेयर इसे शेयर किया।
दूसरी तस्वीर जो नासा ने साझा की थी
6 सितंबर को नासा ने X पोस्ट में लिखा था- LRO ने चांद की सतह पर मौजूद चंद्रयान-3 के लैंडर की सैटेलाइट फोटो ली। नासा ने तस्वीर में लैंडर को एक बॉक्स के अंदर दिखाया था। साथ ही कहा था- लैंडर के आसपास दिख रही रोशनी लैंडर के धुएं के चांद की मिट्टी के संपर्क में आने से बनी है।
चंद्रयान-3 लैंडर इस इमेज के सेंटर में नजर आ रहा है।
21 अगस्त को चंद्रयान-2 ने कहा था- वेलकम बडी
21 अगस्त को इसरो यानी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने बताया था कि हमने चंद्रयान-2 मिशन के ऑर्बिटर और चंद्रयान-3 के लैंडर के बीच संपर्क स्थापित कर दिया। टू-वे कम्युनिकेशन के स्थापित होने के बाद ऑर्बिटर ने लैंडर विक्रम से कहा था- वेलकम बडी (स्वागत है दोस्त)।
इसरो ने ट्वीट कर चंद्रयान-3 के लैंडर और चंद्रयान-2 मिशन के ऑर्बिटर के कम्युनिकेशन सेटअप की जानकारी दी थी।
ISRO ने विक्रम लैंडर की 3D फोटो शेयर की थी
ISRO ने 5 सितंबर की शाम को विक्रम लैंडर की 3D फोटो शेयर की थी। इसरो ने X पोस्ट में लिखा- इसे देखने का असली मजा रेड और स्यान रंग के 3D ग्लास से आएगा। ये फोटो प्रज्ञान रोवर ने लैंडर से 15 मीटर दूर यानी करीब 40 फीट की दूरी से क्लिक की थी।
विक्रम लैंडर की ये तस्वीर प्रज्ञान रोवर पर लगे दो नेविगेशन कैमरों की मदद से ली गई थी। इसरो ने कहा- ये 3-चैनल वाली तस्वीर है। यह असल में दो फोटो का मिश्रण है। एक तस्वीर रेड चैनल पर है। दूसरी ब्लू और ग्रीन चैनल पर है। दोनों को मिलाकर ये तस्वीर बनी है। इस तस्वीर को 3D चश्मे से देखने पर विक्रम लैंडर 3D में दिखेगा।
इस तस्वीर को प्रज्ञान रोवर पर लगे कैमरे ने खींचा था।
लैंडर और रोवर को स्लीप मोड में डाला गया
इसरो ने 4 सितंबर को विक्रम लैंडर को स्लीप मोड में डाल दिया था। इससे पहले 2 सितंबर को प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड में डाला गया था। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि 22 सितंबर 2023 को फिर से विक्रम लैंडर जाग सकता है।
लैंडर ने स्लीप मोड में जाने से पहले पेलोड्स के जरिए चांद पर नई जगहों की जांच-पड़ताल की थी। उसके बाद ही विक्रम लैंडर को स्लीप मोड में जाने का कमांड दिया गया। फिलहाल सारे पेलोड्स बंद हैं। सिर्फ रिसीवर ऑन है, ताकि वह बेंगलुरु से कमांड लेकर फिर से काम कर सके।
चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग 4 फेज में हुई थी
ISRO ने 23 अगस्त को 30 किमी की ऊंचाई से शाम 5 बजकर 44 मिनट पर ऑटोमैटिक लैंडिंग प्रोसेस शुरू की और अगले 20 मिनट में सफर पूरा कर लिया था।
चंद्रयान-3 ने 40 दिन में 21 बार पृथ्वी और 120 बार चंद्रमा की परिक्रमा की। चंद्रयान ने चांद तक 3.84 लाख किमी दूरी तय करने के लिए 55 लाख किमी की यात्रा की।
1. रफ ब्रेकिंग फेज:
- लैंडर लैंडिंग साइट से 750 Km दूर था। ऊंचाई 30 Km और रफ्तार 6,000 Km/hr।
- ये फेज साढ़े 11 मिनट तक चला। इस दौरान विक्रम लैंडर के सेंसर्स कैलिब्रेट किए गए।
- लैंडर को हॉरिजॉन्टल पोजिशन में 30 Km की ऊंचाई से 7.4 Km दूरी तक लाया गया।
2. ऐटीट्यूड होल्डिंग फेज:
- विक्रम ने चांद की सतह की फोटो खींची और पहले से मौजूद फोटोज के साथ कंपेयर किया।
- चंद्रयान-2 के टाइम में ये फेज 38 सेकेंड का था इस बार इसे 10 सेकेंड का कर दिया गया था।
- 10 सेकेंड में विक्रम लैंडर की चंद्रमा से ऊंचाई 7.4 Km से घटकर 6.8 Km पर आ गई।
3. फाइन ब्रेकिंग फेज:
- ये फेज 175 सेकेंड तक चला जिसमें लैंडर की स्पीड 0 हो गई।
- विक्रम लैंडर की पोजिशन पूरी तरह से वर्टिकल कर दी गई।
- सतह से विक्रम लैंडर की ऊंचाई करीब 1 किलोमीटर रह गई
4. टर्मिनल डिसेंट:
- इस फेज में लैंडर को करीब 150 मीटर की ऊंचाई तक लाया गया।
- सब कुछ ठीक होने पर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंड कराया गया।
इस ग्राफिक्स से समझिए, किस रफ्तार से चांद तक पहुंचा लैंडर…
चंद्रयान-3 से अब तक आए अपडेट्स…
- ILSA पेलोड ने चंद्रमा की सतह पर भूकंप रिकॉर्ड किया : 31 अगस्त को ISRO ने बताया कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर लगे इंस्ट्रूमेंट ऑफ लूनर सीस्मिक एक्टिविटी (ILSA) पेलोड ने चंद्रमा की सतह पर भूकंप की प्राकृतिक घटना को रिकॉर्ड किया है। ये भूकंप 26 अगस्त काे आया था। इसरो ने बताया कि भूकंप के सोर्स की जांच जारी है। पढ़ें पूरी खबर…
- LIBS पेलोड ने चांद पर सल्फर की पुष्टि की : 28 अगस्त को भेजे दूसरे ऑब्जर्वेशन में चांद के साउथ पोल पर सल्फर, एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम की मौजूदगी का भी पता चला है। सतह पर मैगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन भी हैं, हाइड्रोजन की खोज जारी है। पढ़ें पूरी खबर…
- प्रज्ञान रोवर ने 4 मीटर का गड्ढा देखकर रास्ता बदला: 27 अगस्त को रोवर प्रज्ञान के सामने 4 मीटर व्यास वाला क्रेटर यानी गड्ढा आ गया। ये गड्ढा रोवर की लोकेशन से 3 मीटर आगे था। ऐसे में रोवर को रास्ता बदलने का कमांड दिया गया। इससे पहले भी प्रज्ञान करीब 100 मिमी गहरे एक छोटे क्रेटर से गुजरा था। पढ़ें पूरी खबर…
- सतह पर प्लाज्मा मिला, लेकिन कम घना: लैंडर विक्रम पर लगे रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव लोनोस्फियर एंड एटमॉस्फियर-लैंगम्यूर प्रोब (RAMBHA-LP) ने चांद के साउथ पोल पर प्लाज्मा खोजा है, हालांकि ये कम घना (विरल) है। पढ़ें पूरी खबर…
- विक्रम लैंडर का पहला ऑब्जर्वेशन- सतह पर करीब 50 डिग्री तापमान: चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगे चास्टे (ChaSTE) पेलोड ने चंद्रमा के तापमान से जुड़ा पहला ऑब्जर्वेशन भेजा है। ChaSTE यानी चंद्र सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट के मुताबिक चंद्रमा की सतह और अलग-अलग गहराई पर तापमान में काफी अंतर है। पढ़ें पूरी खबर…
चांद पर भारत का यह तीसरा मिशन था, पहले मिशन में पानी खोजा थ
2008 में चंद्रयान-1 को लॉन्च किया गया था। इसमें एक प्रोब की क्रैश लैंडिंग कराई गई थी जिसमें चांद पर पानी के बारे में पता चला। फिर 2019 में चंद्रयान-2 चांद के करीब पहुंचा, लेकिन लैंड नहीं कर पाया। 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 चांद पर लैंड कर गया। चांद पर सकुशल पहुंचने का संदेश भी चंद्रयान-3 ने भेजा। कहा- ‘मैं अपनी मंजिल पर पहुंच गया हूं।’