गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिली: बेंच ने कहा- सुनवाई में तो कई साल लगेंगे, हाउस अरेस्ट के बिल के लिए 20 लाख रुपए चुकाएं

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नई दिल्ली33 मिनट पहले

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गौतम नवलखा की जमानत के मामले पर जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने सुनवाई की है। - Dainik Bhaskar

गौतम नवलखा की जमानत के मामले पर जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने सुनवाई की है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (14 मई) को महाराष्ट्र के एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को जमानत दे दी है। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा- हाईकोर्ट के जमानत के ऑर्डर पर स्टे की अवधि बढ़ाने का हमें कोई कारण नजर नहीं आ रहा है। पूरे मामले की सुनवाई खत्म होने में तो कई साल बीत जाएंगे।

दरअसल, नवलखा पर 2017 में पुणे में एल्‍गार परिषद के आयो‍जित कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। इसके कारण ही भीमा-कोरेगांव में हिंसा हुई थी। नवलखा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दी थी, जिसके खिलाफ NIA ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हॉईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया था।

आज जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा पूरे मामले पर विस्तार से चर्चा किए बना हम हाईकोर्ट के फैसेल पर स्टे लगाने का कोई औचित्य नहीं है। नवलखा को जमानत दी जाती है, लेकिन उन्हें हाउस अरेस्ट के दौरान मिली सुरक्षा के लिए 20 लाख रुपये चुकाने होंगे।

दरअसल, गिरफ्तारी के बाद हाउस अरेस्ट की मांग नवलखा ने ही की थी। इसलिए कोर्ट ने उन्हें ही इसका बिल भरने के लिए कहा है। NIA ने 9 अप्रैल को हुई पिछली सुनवाई में नवलखा से 1 करोड़ 64 लाख रुपए के भुगतान कराने की मांग की थी।

भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200 वीं वर्षगांठ समारोह के दौरान भड़की थी हिंसा

भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200 वीं वर्षगांठ समारोह के दौरान भड़की थी हिंसा

पहले किया था 10 लाख का भुगतान
NIA के वकील राजू ने पिछली सुनवाई में कहा था कि नवलखा के हाउस अरेस्ट के समय बहुत से पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था। इस पर नवलखा के वकील ने कहा कि हमें भुगतान करने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन भुगतान में मांगे गए पैसे एक बड़ा मुद्दा है। उन्होंने आगे कहा कि नवलखा इससे पहले 10 लाख रुपए का भुगतान कर चुके हैं।

यह है पूरा मामला
महाराष्ट्र के पुणे में साल 2017 में एल्‍गार परिषद के आयो‍जित कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण के बाद भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़की थी। पुलिस का दावा था कि कार्यक्रम के आयोजकों का नक्सलियों से संबंध था।

इस हिंसा के बाद जनवरी 2018 में एक्टिविस्ट गौतम नवलखा के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था। इस मामले में नवलखा के साथ वरवरा राव, अरुण फरेरा, वर्णन गोन्साल्विज और सुधा भारद्वाज भी आरोपी पाए गए थे। गौतम नवलखा को बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिसंबर 2023 में जमानत दे दी थी। NIA के कहने पर सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा की जमानत पर रोक लगा दी थी।

जेल भेजे जाने के बजाय नवलखा ने खुद को हाउस अरेस्ट रखे जाने की गुहार लगाई थी। उसने खुद के बिगड़े स्वास्थ्य का हवाला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर 2022 को नवलखा को 1 महीने तक हाउस अरेस्ट रखे जाने को मंजूरी दी थी। हाउस अरेस्ट के दौरान नवलखा 24 घंटे महाराष्ट्र पुलिस की सिक्योरिटी में थे।

गौतम नवलखा के हाउस अरेस्ट का NIA ने विरोध किया था।

गौतम नवलखा के हाउस अरेस्ट का NIA ने विरोध किया था।

केंद्र ने कहा था- उनके ISI से लिंक
गौतम नवलखा की हाउस अरेस्ट की रिक्वेस्ट पर 2022 में सुप्रीम कोर्ट में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा था कि हाउस अरेस्ट के दौरान गौतम नवलखा पर कंट्रोल नहीं कर पाएंगे। ​​​​उनके लिंक कश्मीरी आतंकियों और ISI से हैं। उन्हें अस्पताल में रहने दीजिए।

गौतम नवलखा के हाउस अरेस्ट के दौरान की तस्वीर।

गौतम नवलखा के हाउस अरेस्ट के दौरान की तस्वीर।

इन शर्तों के साथ मिली थी हाउस अरेस्ट की राहत
70 साल के गौतम नवलखा ने कोर्ट को बताया था कि वह स्किन की एलर्जी और दांत की समस्याओं से पीड़ित हैं और वह संदिग्ध कैंसर के मद्देनजर टेस्ट कराना चाहते थे। कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए कुछ शर्तें रखी थी कि, इनके मुताबिक- नवलखा किसी से बातचीत के लिए मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर का उपयोग नहीं कर सकेंगे। साथ ही न कोई अवैध गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। वे न मीडिया से बात करेंगे और केस से जुड़े लोगों और गवाहों से भी संपर्क नहीं करेंगे। पुलिस की मौजूदगी में दिन में केवल एक बार मोबाइल पर बात करने की परमिशन दी गई।

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