गैंगस्टरों की फायरिंग का पैटर्न कश्मीरी आतंकियों जैसा: 5 घंटे तक AK-47 और पिस्टल से करते रहे मुकाबला, मन्नू की लाश के पास मिली बमनुमा चीज

अनुज शर्मा . अमृतसर6 मिनट पहले

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पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या में शामिल रहे गैंगस्टर जगरूप सिंह रूपा और मनप्रीत सिंह मन्नू के एनकाउंटर में शामिल रहे पुलिस अधिकारी दोनों गैंगस्टरों के फायरिंग के पैटर्न से हैरान हैं। दोनों गैंगस्टरों के साथ पुलिस का एनकाउंटर 5 घंटे चला। पुलिस अफसरों को अंदाजा तक नहीं था कि दोनों के पास इतने हथियार होंगे।

दरअसल एनकाउंटर पूरा होने के बाद जब पुलिस अधिकारी कोठी के अंदर पहुंचे तो दोनों गैंगस्टरों की बॉडी जिस पोजीशन में मिली, उससे साफ हो गया कि दोनों अच्छी तरह ट्रेंड थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार, एनकाउंटर के दौरान रूपा और मन्नू जिस पैटर्न के साथ पुलिसवालों पर फायरिंग कर रहे थे, वैसी फायरिंग जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों से मुठभेड़ के दौरान आतंकी करते हैं।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि पंजाब के गैंगस्टर इस तरह से फायरिंग नहीं करते। यह पैटर्न कश्मीरी आतंकियों का रहता है। सामान्यत: गैंगस्टरों के लिए पुलिस के सामने इतने लंबे समय तक टिक पाना संभव नहीं होता। घंटों लंबी मुठभेड़ कश्मीरी आतंकियों से ही चलती है।

इस बीच एनकाउंटर के बाद घर में चलाए गए सर्च ऑपरेशन के दौरान पुलिस को AK47, पिस्टल और बैग के अलावा मन्नू की लाश के पास बमनुमा चीजें मिली। इसके बाद फॉरेंसिक विभाग की टीम को तुरंत मौके पर बुलाया गया। पुलिस को शक था कि मरने से पहले दोनों गैंगस्टरों ने घर में कोई ट्रैप ना बिछाया हो। ऐसे में पूरा घर फॉरेंसिक टीमों ने अपने सुपरविजन में ले लिया।

एडीजीपी प्रमोद बान ने भी एनकाउंटर खत्म होने के बाद कहा कि फॉरेंसिक विभाग की टीमें घर के अंदर हैं। उनकी क्लीयरेंस के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि AK47 और पिस्टल के अलावा रूपा-मन्नू के पास कौन-कौन से हथियार थे।

बलविंदर सिंह दोधी का घर शक के घेरे में

भकना गांव के ग्रामीणों ने बताया कि जिन खेतों में बने घर में गैंगस्टर रूपा और मन्नू छिपे हुए थे, वह बलविंदर सिंह का है। बलविंदर सिंह 6 साल पहले अपने खेत और घर बेचकर अमृतसर शहर में रहने चला गया। उसने अपना घर और खेत एक नजदीकी गांव में ही रहने वाले बलविंदर सिंह दोधी नामक व्यक्ति को बेचा था। उसी समय से यह घर खाली पड़ा था। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि रूपा और मन्नू खुद यहां आकर छिपे या उन्हें यहां छिपाया गया था। गांव में भी किसी को पता नहीं था कि यहां कोई रुका हुआ है।

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