कुवैत में सड़कों पर रात बिता रहे राजस्थान के मजदूर: बोले- जर्जर इमारतें खाली कराईं, बिजली कनेक्शन काटे; वीडियो बनाया तो गिरफ्तारी का डर – Banswara News

कुवैत में बिल्डिंग खाली कराने के बाद राजस्थान के बांसवाड़ा-डूंगरपुर जिले के मजदूर सड़कों पर रहने को मजबूर हैं।

कुवैत के बनैद अल गर शहर में बड़ी संख्या में राजस्थान के मजदूर सड़कों पर रात बिताने को मजबूर हैं। शहर के इस्तिकलाल इलाके में रहने वाले बांसवाड़ा के लोगों ने बताया- अग्निकांड के बाद सरकार सख्त है। पुरानी और असुरक्षित इमारतें खाली कराई जा रही हैं।

.

मजदूरों ने बताया- जिन इमारतों में हम रहते थे, वहां के बिजली कनेक्शन बिना कोई सूचना दिए काट दिए गए। इसके बाद इमारतों को खाली करने को कहा। इलाके में किराए पर नए कमरे भी नहीं मिल रहे हैं। सामान सड़क पर पड़ा है, काम पर भी नहीं जा पा रहे हैं। आप बीती का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला या परिवारवालों से शेयर किया तो गिरफ्तारी भी हो सकती है।

कुवैत के शहर बनैद अल गर के इस्तिकलाल इलाके में बांसवाड़ा-डूंगरपुर के मजदूर बड़ी संख्या में रहते हैं।

कुवैत के शहर बनैद अल गर के इस्तिकलाल इलाके में बांसवाड़ा-डूंगरपुर के मजदूर बड़ी संख्या में रहते हैं।

दरअसल, कुवैत के मंगाफ शहर में 12 जून को 6 मंजिला इमारत में आग लग गई थी। हादसे में 49 मजदूरों की मौत हो गई थी। इनमें 45 मजदूर भारतीय थे। हादसे के बाद कुवैत में जर्जर इमारतों को खाली कराया जा रहा है। एक कमरे में बड़ी संख्या में रहने वाले मजदूरों को निकाला जा रहा है। इसके कारण मजदूर सामान के साथ सड़कों पर हैं।

बांसवाड़ा जिले के छींच गांव के रहने वाले मनोज सुथार भी कुवैत में काम करते हैं और इस्तिकलाल इलाके में फ्लैट में रहते हैं। मनोज ने फोन पर राजस्थान के मजदूरों को लेकर दैनिक भास्कर के साथ जानकारी साझा की।

12 जून को मंगाफ शहर में हुए अग्निकांड के बाद जर्जर इमारतों से मजदूरों को निकाला जा रहा है। यह वीडियो पोस्ट इंस्टाग्राम पर अमानमत न्यूज ने शेयर की है। इसमें कुवैत म्यूनिसिपैलिटी का कर्मचारी भारतीय श्रमिकों को बाहर निकालने का आदेश दे रहा है।

12 जून को मंगाफ शहर में हुए अग्निकांड के बाद जर्जर इमारतों से मजदूरों को निकाला जा रहा है। यह वीडियो पोस्ट इंस्टाग्राम पर अमानमत न्यूज ने शेयर की है। इसमें कुवैत म्यूनिसिपैलिटी का कर्मचारी भारतीय श्रमिकों को बाहर निकालने का आदेश दे रहा है।

असुरक्षित इमारतों को खाली कराया जा रहा है
मनोज ने बताया- शहर में फ्लैट में रहने वाले लोग सुरक्षित हैं, लेकिन जर्जर पुरानी इमारतों में, छोटे गलियारों और कमरों में एक साथ 7-8 की संख्या में रहने वाले मजदूरों को निकाला जा रहा है। इन मजदूरों के लिए अस्थायी प्रबंध नहीं किए गए हैं। सड़क किनारे सामान रखकर ये लोग फुटपाथ पर ही रातें काट रहे हैं।

तस्वीर कुवैत के बनैद-अल-गर शहर की है, जहां जर्जर इमारतों से भारतीय मजदूरों को निकाल दिया गया है।

तस्वीर कुवैत के बनैद-अल-गर शहर की है, जहां जर्जर इमारतों से भारतीय मजदूरों को निकाल दिया गया है।

मजदूरों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं
मनोज ये भी बताते हैं- अग्निकांड के बाद सरकार सख्त है। पुरानी और असुरक्षित इमारतें खाली कराई जा रही हैं। कुवैत में राजस्थान के वागड़ क्षेत्र (बांसवाड़ा-डूंगरपुर) के करीब 5 हजार मजदूर काम करते हैं। इनमें से ज्यादातर प्रभावित हुए हैं। सड़कों पर कितने मजदूर रहने को मजबूर हैं, इसका आंकड़ा सामने नहीं आया है, लेकिन संख्या बड़ी है। ये लोग इन इमारतों में सस्ते किराए के कारण रहते थे।

इस्तिकलाल इलाके से भारतीय दूतावास महज एक किलोमीटर दूर है। कुछ इमारतें (जिनमें से मजदूरों को निकाला गया) तो भारतीय दूतावास से महज 500 मीटर की दूरी पर हैं। फिर भी मजदूरों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई।

मजदूरों का सामान सड़क पर खुले में पड़ा है, ऐसे में वे काम पर नहीं जा पा रहे हैं।

मजदूरों का सामान सड़क पर खुले में पड़ा है, ऐसे में वे काम पर नहीं जा पा रहे हैं।

बिना पूर्व सूचना के बिजली कनेक्शन काट दिया, फिर खाली करने को कहा
राजस्थान के बांसवाड़ा से कुवैत में रोजगार के लिए गए भरत लबाना (निवासी मोटा टांडा), मनोज भाटिया (निवासी वाकावाड़ा), प्रेमजी पाटीदार (निवासी वजवाना), केवल चंद (निवासी लबाना, भीमसौर) ने दैनिक भास्कर रिपोर्टर को फोन पर जानकारी दी।

इन लोगों ने बताया कि बिना पूर्व जानकारी के बिल्डिंग के बिजली कनेक्शन काट दिए गए। इसके बाद बिल्डिंग को खाली करने को कहा। जर्जर बिल्डिंग होने के कारण इनमें कुवैत के लोग कम ही रहते हैं। यहां भारतीय और अन्य एशियाई देशों के मजदूर रहते हैं। इलाके में किराए पर नए कमरे भी नहीं मिल रहे। सामान सड़क पर पड़ा है। मजदूर गर्मी में भटक रहे हैं।

कुवैत में 6 मंजिला इमारत में आग लगने का यह हादसा दक्षिणी मंगाफ शहर में 12 जून को हुआ था। इसमें भारत के 45 मजदूरों की मौत हो गई थी।

कुवैत में 6 मंजिला इमारत में आग लगने का यह हादसा दक्षिणी मंगाफ शहर में 12 जून को हुआ था। इसमें भारत के 45 मजदूरों की मौत हो गई थी।

वीडियो शेयर किया तो गिरफ्तारी का डर
मनोज सुथार ने बताया- कुवैत सरकार ने बिल्डिंग मालिक से कहा है कि एक कमरे में दो-तीन से ज्यादा लोग नहीं रहें। मजदूरों की सैलरी इतनी नहीं है कि वे सिंगल रूम या फ्लैट अफोर्ड कर पाएं। किराया बहुत ज्यादा है।

मनोज ने बताया- इस्तिकलाल एरिया में एक रूम का किराया 150 से 200 दीनार (1 कुवैती दीनार यानि 272 रुपए) तक है। एक कमरे में 5 से 10 लोग रहते हैं। प्रति मजदूर 20 से 30 दिनार का खर्च आता है। इस इलाके में फ्लैट का किराया 300-400 दीनार तक है।

ये खबर भी पढ़ें…

कुवैत अग्निकांड में 45 भारतीयों की मौत:घर या बिल्डिंग में आग लगने पर क्या करें, ये 6 सावधानियां बचाएंगी जान

कुवैत के मंगाफ शहर में 6 मंजिला बिल्डिंग में आग लगने से 49 मजदूरों की मौत हो गई, जबकि 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। मृतकों में 45 भारतीय मजदूर शामिल थे। हाल ही में कुवैत अग्निकांड जैसा एक मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से भी सामने आया, जहां तीन मंजिला बिल्डिंग में आग लगने से एक ही परिवार के 2 बच्चों समेत 5 लोगों की मौत हो गई।

भले ही यह दोनों घटनाएं अलग-अलग देशों में हुईं हों, लेकिन शुरूआती जांच में कुवैत और गाजियाबाद के अग्निकांड में एक चीज कॉमन थी- बिजली का शॉर्ट सर्किट। गर्मी के महीने में एसी, कूलर जैसे इलेक्ट्रॉनिक एप्लायंसेज का इस्तेमाल बढ़ जाता है। ऐसे में ओवरलोडिंग की वजह से बिजली की वायरिंग गर्म होकर जल जाती है। ये जानना जरूरी है कि आग लगने पर कैसे बचाव करें। पूरी खबर पढ़ें…