कांग्रेस के 32 उम्मीदवारों का एनालिसिस: हरियाणा में BJP जैसी बगावत-भगदड़ से बचने की कोशिश; सांसदों को दोटूक मैसेज- हाईकमान सबसे ऊपर – Haryana News

टिकट तय करने के लिए कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की 4, सब कमेटी की 1 और केंद्रीय चुनाव समिति की 3 मीटिंग हुईं। इसके बाद 2 लिस्ट में 28 उम्मीदवारों की घोषणा की गई।

कांग्रेस हाईकमान सेफ गेम खेलते हुए हरियाणा चुनाव के लिए जारी 32 उम्मीदवारों की दो लिस्टों में BJP में मची भगदड़-बगावत जैसे हालात से बचने की कोशिश करता नजर आया। कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की 4 मीटिंग हुईं। उसके बाद 3 मीटिंग केंद्रीय चुनाव समिति की हु

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32 उम्मीदवारों की जो 2 लिस्ट जारी की, उनमें 28 नाम तो मौजूदा विधायकों के ही रहे। इन सबके टिकट पहले से तय थे और इनकी सीटों पर दूसरा कोई बड़ा दावेदार भी नहीं था। पार्टी ने सिर्फ 4 सीटों पर चेहरे बदले। दरअसल वह ये असेस्मेंट करना चाह रही है कि उसके यहां भी BJP जैसा कोई बवाल होता है या नहीं?

कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने दोनों लिस्टों में सभी गुटों को साधने की कोशिश भी की। उसने पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्‌डा खेमे के 24 और सांसद कुमारी सैलजा के समर्थक चारों विधायकों को टिकट दे दी। हुड्‌डा-सैलजा कैंप से अलग चल रहे पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव के बेटे चिरंजीव राव की टिकट भी नहीं रोकी।

कांग्रेस हाईकमान हरियाणा में सिर्फ जीत चाहता है। इसीलिए ED जांच और नूंह हिंसा के केस फंसे अपने चारों विधायकों और दूसरे दलों से आए 2 नेताओं के नाम भी पहली लिस्ट में क्लियर कर दिए।

सभी मौजूदा विधायकों को टिकट देने के 3 कारण

1. कांग्रेस का मानना है कि हरियाणा में 10 साल से राज कर रही BJP के प्रति गहरी एंटी इनकंबेंसी है। ऐसे में अगर वह अपने किसी MLA का टिकट काटती तो विरोधी उसे मुद्दा बना सकते थे। पार्टी फिलहाल विरोधियों को ऐसा कोई मुद्दा नहीं थमाना चाहती।

2. कांग्रेस ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े केसों में फंसे अपने तीनों विधायकों को टिकट दे दी। इनमें सोनीपत से सुरेंद्र पंवार, समालखा से धर्म सिंह छौक्कर और महेंद्रगढ़ से राव दान सिंह शामिल रहे। सुरेंद्र पंवार तो लगभग डेढ़ महीने से जेल में है। कांग्रेस ने अपने नेताओं, कैडर और वर्करों को यह मैसेज देने की कोशिश की है कि अगर उसका कोई नेता किसी मुश्किल में फंस गया हो तो पार्टी उसका साथ नहीं छोड़ती। टिकट पाने वाले कांग्रेसी नेता अब लोगों के बीच खुद को विक्टिम बताते हुए भाजपा पर हमला भी बोल सकेंगे।

3. पार्टी जानती है कि यदि किसी सिटिंग विधायक का टिकट काटा तो वह बगावत कर सकता है। अभी BJP के साथ-साथ JJP और INLD के कैंडिडेट्स का ऐलान पेंडिंग है। ऐसे में टिकट कटने की सूरत में उसका विधायक इन दलों में जा सकता है।

जाट-SC चेहरे सबसे ज्यादा, लोकसभा में इन्होंने 5 सीटें जिताईं

1. जाट चेहरों पर ज्यादा भरोसा दिखाया। गढ़ी-सांपला-किलोई से भूपेंद्र हुड्‌डा, जुलाना से विनेश फोगाट और गोहाना से जगबीर मलिक समेत जाट बिरादरी के 7 नेताओं को टिकट देकर इस वर्ग की भाजपा के प्रति नाराजगी को भुनाने की कोशिश की। जून में हुए लोकसभा चुनाव में जाट बाहुल्य रोहतक, सोनीपत और हिसार सीट पर कांग्रेस ही जीती थी।

2. अनुसूचित जाति (SC) को जाटों के बराबर रखा। दो लिस्टों में 9 SC चेहरे उतारे। होडल से 5 साल पहले चुनाव हारे पार्टी प्रदेशाध्यक्ष चौधरी उदयभान को फिर टिकट दी। जून में हुए लोकसभा चुनाव में हरियाणा की दोनों रिजर्व सीटे सिरसा और अंबाला में पार्टी जीती थी। राज्य की 17 रिजर्व विधानसभा सीटों में से 11 पर कांग्रेस आगे रही थी।

3. पहली लिस्ट में 4 OBC चेहरों को टिकट दी। इनमें राव दान सिंह को महेंद्रगढ़, रेवाड़ी से चिरंजीव राव, रादौर से बिशन लाल सैनी और सोनीपत से सुरेंद्र पंवार शामिल रहे। पार्टी ने यह मैसेज देने का प्रयास किया कि वह अकेले जाटों की नहीं बल्कि 36 बिरादरी के बारे में सोचती है। BJP ही नॉन जाट की पॉलिटिक्स का तोड़ निकालने का प्रयास किया।

4. पहली लिस्ट में 3 मुस्लिम चेहरों को उतारा। इनमें फिरोजपुर झिरका से मामन खान, पुन्हाना से मुहम्मद इलियास और नूंह से आफताब अहमद शामिल रहे। भाजपा की 67 उम्मीदवारों की लिस्ट में एक भी मुस्लिम कैंडिडेट नहीं था। कांग्रेस ने नूंह और दूसरी मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर वोटरों को मैसेज देने का प्रयास किया कि उसकी राजनीति में वह भी मायने रखते हैं।

5. ब्राह्मण, पंजाबी और सिख चेहरों को भी प्रतिनिधित्व दिया। बादली से कुलदीप वत्स और फरीदाबाद एनआईटी से नीरज शर्मा ब्राह्मण चेहरे हैं। रोहतक से भारत भूषण बत्रा पंजाबी और असंध से शमशेर सिंह गोगी सिख समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।

क्षेत्रीय समीकरण: जाटलैंड-मुस्लिम बेल्ट साधी लेकिन कई चैलेंज बाकी

1. कांग्रेस ने पहली लिस्ट में जाटलैंड कहे जाने वाले रोहतक-झज्जर-सोनीपत के वोटरों को साधने की कोशिश की। झज्जर की चारों सीटों पर टिकट घोषित कर दिए। भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के गृह जिले रोहतक की 4 में से 3 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए। यहां 2019 में हारी महम सीट का टिकट रोका गया। सोनीपत में भी 4 सीटों पर टिकटों का ऐलान कर दिया जबकि 2 रोक ली गईं।

2. मुस्लिम बाहुल्य नूंह जिले की तीनों सीटों पर कांग्रेस स्ट्रॉन्ग पोजिशन में है। इसीलिए यहां की तीनों सीटों पर मुस्लिम चेहरों के तौर पर मौजूदा विधायकों को फिर से उतार दिया।

3. भाजपा के गढ़ साउथ हरियाणा-अहीरवाल बेल्ट को भेदना कांग्रेस के लिए चुनौती बना हुआ है। इसलिए पहली लिस्ट में वहां की 23 में से सिर्फ 7 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। बाकी सीटों पर मंथन जारी है।

4. किरण चौधरी के BJP में चले जाने के बाद कांग्रेस, खासकर हुड्‌डा गुट के सामने पूर्व सीएम बंसीलाल के गढ़ रहे भिवानी को साधने का चैलेंज है। इसलिए पहली लिस्ट में यहां की 4 में से एक भी सीट पर कैंडिडेट नहीं उतारा गया।

5. जींद और उससे लगती बांगर बेल्ट वाली सीटों पर भी पार्टी ने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया। यहां सर छोटूराम के नाती और वरिष्ठ नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह का प्रभाव है। बीरेंद्र सिंह लगातार उचाना में बेटे बृजेंद्र सिंह और बाकी सीटों पर अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए गोलबंदी कर रहे हैं।

6. कांग्रेस ने बागड़ बेल्ट, जिसमें हिसार, सिरसा और फतेहाबाद का इलाका आता है, की 15 में से सिर्फ दो सीटों पर टिकटों का ऐलान किया। यह एरिया भाजपा और इनेलो का गढ़ है जिसे वह 2019 में भेद नहीं पाई थी।

कांग्रेस की पहली लिस्ट से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब पढ़िए

1. विनेश फोगाट को जॉइनिंग के महज 7 घंटे में टिकट क्यों? विनेश फोगाट के जरिए कांग्रेस 3 निशाने लगाना चाहती है। पहला- विनेश पहलवानों के आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा रहीं। हरियाणा में रेसलिंग खासा लोकप्रिय गेम है। ऐसे में रेसलिंग में भविष्य देख रहे युवाओं को कांग्रेस अपनी तरफ खींच सकेगी। दूसरा- पेरिस ओलिंपिक में फाइनल में पहुंचने के बाद महज 100 ग्राम वजन के कारण डिस्क्वालिफाई होने वाली विनेश फोगाट के प्रति प्रदेश में भावनात्मक लहर है। इसका फायदा पार्टी को मिलेगा। तीसरा- विनेश के जरिए महिला रेसलरों के साथ आंदोलन के दौरान हुए व्यवहार को लेकर पार्टी भाजपा को घेर सकेगी।

2. सैलजा-सुरजेवाला के चुनाव लड़ने पर क्या फैसला हुआ? शीर्ष नेताओं के लेवल पर किसी तरह की खींचतान से बचने के लिए पार्टी ने इनकी सीटों के बारे में कोई फैसला नहीं लिया। सांसद होने के बावजूद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला के चुनाव लड़ने पर अड़े रहने के बाद पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्‌डा के बेटे दीपेंद्र हुड्‌डा ने भी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जता दी। हाईकमान नहीं चाहता कि पहली ही लिस्ट से हरियाणा में बने-बनाए माहौल में कोई विघ्न पड़ जाए।

3. कांग्रेस ने लिस्ट जारी कर दी, अब AAP से गठबंधन का क्या होगा? कांग्रेस ने लिस्ट जरूर जारी की लेकिन यह छोटी है। कांग्रेस ने आप को 5 सीटें ऑफर की हैं लेकिन शहरी क्षेत्र से लड़ने को कहा। आप 7 से 10 सीटें मांग रही है और वह भी पंजाब-दिल्ली बॉर्डर से सटे इलाकों में। ऐसे में कांग्रेस ने गठबंधन की गुंजाइश अभी भी छोड़ रखी है। दूसरा गठबंधन का विरोध कर रहे पूर्व CM हुड्‌डा को भी मैसेज भेज दिया कि अभी कांग्रेस ने गठबंधन की बात को सिरे से खारिज नहीं किया है।

4. कांग्रेस की बाकी लिस्ट कब तक आएगी? हरियाणा चुनाव के लिए 5 सितंबर से नामांकन शुरू हो चुके हैं। 12 सितंबर तक नॉमिनेशन भरे जाएंगे। कांग्रेस बची हुई 59 सीटों पर भी टिकटों का ऐलान एक साथ करेगी, इसकी उम्मीद नहीं है। इसके लिए दो या उससे ज्यादा लिस्टें आ सकती हैं। तीसरी लिस्ट में कम विवाद वाली सीटें होंगी। सबसे ज्यादा विवाद वाली सीटों के टिकट आखिरी लिस्ट में आने की उम्मीद है। ताकि नेताओं को बगावत कर निर्दलीय नामांकन भरने का कम से कम टाइम मिल सके। इसके अलावा तब तक दूसरी पार्टियों की लिस्टें भी आ चुकी होंगी। ऐसे में नाराज नेताओं के पास वहां जाने के रास्ते भी ज्यादा नहीं बचेंगे।

5. कांग्रेस को बगावत का खतरा क्यों? भाजपा प्रदेश में 10 साल से सरकार चला रही है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 10 में से 5 सीटें जीतने में कामयाब रही। लोकसभा चुनाव में उसका वोट शेयर भी 2019 के 28.42% के मुकाबले बढ़कर 43.73% पर पहुंच गया। 44 विधानसभा सीटों पर पार्टी को बढ़त मिली। वहीं भाजपा का वोट शेयर 2019 के 58% के मुकाबले गिरकर 46.06% रह गया। भाजपा भी 44 विधानसभा सीटों पर ही बढ़त बना पाई।

ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में उसका वोट शेयर और बढ़ेगा। चूंकि कांग्रेसी नेता राज्य का माहौल अपने पक्ष में मान रहे हैं इसलिए पार्टी में बगावत ज्यादा हो सकती है। कांग्रेस को 90 टिकटों के लिए 2,556 आवेदन मिले हैं। इसी से जाहिर है कि प्रदेश में उसके टिकट पर चुनाव लड़ने वालों की तादाद बहुत बड़ी है।